"असम": अवतरणों में अंतर

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असमिया और बोडो प्रमुख क्षेत्रीय और आधिकारिक भाषाएं हैं। बंगाली बराक घाटी के तीन जिलों में आधिकारिक दर्जा रखती है और राज्य की दूसरी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा (३३.९१%) है।
असमिया और बोडो प्रमुख क्षेत्रीय और आधिकारिक भाषाएं हैं। बंगाली बराक घाटी के तीन जिलों में आधिकारिक दर्जा रखती है और राज्य की दूसरी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा (३३.९१%) है।
असमिया प्राचीन कामरूप और मध्ययुगीन राज्यों जैसे कामतापुर कछारी, सुतीया, बोरही, अहोम और कोच राज्यों में लोगों कि आम भाषा रही है। ७वीं–८वीं ई. में लिखी गई लुइपा, सरहपा जैसे कवियों के कविताओं में असमिया भाषा के निशान पाए जाते हैं। कामरूपी, ग्वालपरिया जैसे आधुनिक बोलियाँ इसकी अपभ्रंश हैं। असमिया भाषा को नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर में स्थानीकृत करके इस्तेमाल किया जाता रहा है।
असमिया प्राचीन कामरूप और मध्ययुगीन राज्यों जैसे कामतापुर कछारी, सुतीया, बोरही, अहोम और कोच राज्यों में लोगों कि आम भाषा रही है। ७वीं–८वीं ई. में लिखी गई लुइपा, सरहपा जैसे कवियों के कविताओं में असमिया भाषा के निशान पाए जाते हैं। कामरूपी, ग्वालपरिया जैसे आधुनिक बोलियाँ इसकी अपभ्रंश हैं। असमिया भाषा को नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर में स्थानीकृत करके इस्तेमाल किया जाता रहा है।
असमिया उच्चारण और कोमलता की अपनी अनूठी विशेषताओं के साथ अपने संकर प्रकृति की वजह से एक समृद्ध भाषा है। असमिया साहित्य सबसे अमीर साहित्यों में से एक है। ,dosto jo bhi aasam se hai jo koi kisi nepali ko jaante hai woh please mujhe is no. par missed call kare
असमिया उच्चारण और कोमलता की अपनी अनूठी विशेषताओं के साथ अपने संकर प्रकृति की वजह से एक समृद्ध भाषा है। असमिया साहित्य सबसे अमीर साहित्यों में से एक है।
+919600018639
aapki bahut kripa hogi mujhpar , mai kisi biltu mandal ke naam ke aadmi ko dhund raha hu jo apni puri family ke saath aasam me kahi rahte hai so dosto plz help me , ye mere jindgi aur maut ka savaal hai , agar mai khush ho gaya to aap ko bhi nirash nahi karunga ,ye mera waada hai!


== धर्म ==
== धर्म ==

04:27, 5 जुलाई 2016 का अवतरण

{{{राज्य का नाम}}}
भारत का राज्य

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भारत के मानचित्र पर
भारत के मानचित्र पर

राजधानी दिसपुर
सबसे बड़ा शहर गुवाहाटी
जनसंख्या 26,655,528
 - घनत्व 340 /किमी²
क्षेत्रफल {{{क्षेत्रफल}}} किमी² 
 - ज़िले {{{ज़िले}}}
राजभाषा असमिया, बांग्ला (बराक घाटी मे), बोडो (बोडो वासित आदिवासी क्षेत्रों मे)
गठन {{{गठन}}}
सरकार
 - राज्यपाल शिवचरण माथुर
 - मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल
 - विधानमण्डल {{{विधानमण्डल}}}
 - भारतीय संसद {{{भारतीय संसद}}}
 - उच्च न्यायालय {{{उच्च न्यायालय}}}
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वाहन अक्षर {{{वाहन अक्षर}}}
आइएसओ 3166-2 {{{आइएसओ}}}
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असम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है।

नाम की उत्पत्ति

विशेषज्ञों के अनुसार आसाम नाम काफी परवर्ती है। पहले इस राज्य को असम कहा जाता था।

सामान्य रूप से माना जाता है कि असम नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है, वो भूमि जो समतल नहीं है। कुछ लोगों की मान्यता है कि "आसाम" संस्कृत के शब्द "अस्म " अथवा "असमा", जिसका अर्थ असमान है का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 'असम' शब्‍द संस्‍कृत के 'असोमा' शब्‍द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्‍न जातियां प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्‍कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्‍कृति और सभ्‍यता की समृ‍द्ध परंपरा रही है।

कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति 'अहोम' (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं।

आसाम राज्य में पहले मणिपुर को छोड़कर बंगलादेश के पूर्व में स्थित भारत का संपूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था तथा उक्त नाम विषम भौम्याकृति के संदर्भ में अधिक उपयुक्त प्रतीत होता था क्योंकि हिमालय की नवीन मोड़दार उच्च पर्वतश्रेणियों तथा पुराकैब्रियन युग के प्राचीन भूखंडो सहित नदी (ब्रह्मपुत्) निर्मित समतल उपजाऊ मैदान तक इसमें आते थे। परंतु विभिन्न क्षेत्रों की अपनी संस्कृति आदि पर आधारित अलग अस्तित्व की माँगों के परिणामस्वरूप वर्तमान आसाम राज्य का लगभग ७२ प्रतिशत क्षेत्र ब्रहापुत्र की घाटी (असम की घाटी) तक सीमित रह गया है जो पहले लगभग ४० प्रतिशत मात्र ही था।

इतिहास

पौराणिक असम

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस स्थान को प्रागज्योतिच्ह के नाम से जाना जाता था। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने यहाँ की उषा नाम की युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था। हालाँकि यहाँ की दन्तकथाओं में ऐसा कहा जाता है कि अनिरुद्ध पर मोहित होकर उषा ने ही उसका अपहरण कर लिया था। इस घटना को यहाँ कुमार हरण के नाम से जाना जाता है।

प्राचीन असम

प्राचीन असम, कमरुप के रूप में जाना जाता है, यह शक्तिशाली राजवंशों का शासन था: वर्मन (३५०-६५० ई॰) शाल्स्ताम्भस (६५५-९०० ई॰) और कामरुप पाल (९००-११०० ई॰). पुश्य वर्मन ने वर्मन राजवंश कि स्थापना की थी। भासकर वर्मन (६००-६५० ई॰), जो कि प्रसिद्ध वर्मन शासक थे, के शासनकाल में चीनी यात्री क्षुअन झांग क्षेत्र का दौरा किया और अपनी यात्रा दर्ज की।

बाद में, कमजोर और विघटन (कामरुप पाल) के बाद, कामरुप परंपरा कुछ हद तक बढ़ा दी गई चंद्र (११२०-११८५ ई॰) मैं और चंद्र द्वितीय (११५५-१२५५ ई॰) राजवंशों द्वारा १२५५ ई॰।

मध्यकालीन असम

मध्यकाल में सन् १२२८ में बर्मा के एक चीनी विजेता चाउ लुंग सिउ का फा ने पुर्वी असम पर अधिकार कर लिया। वह अहोम वंश का था जिसने अहोम वंश की सत्ता यहाँ कायम की। अहोम वंश का शासन १८२९ पर्यन्त तब तक बना रहा जब तक कि अंग्रेजों ने उन्हें हरा नहीं दिया।

भूगोल

भू आकृति के अनुसार इस राज्य को तीन विभागों में विभक्त किया जा सकता है :

  • १. उत्तरी मैदान अथवा ब्रह्मपुत्र का मैदान जो कि संपूर्ण उत्तरी भाग में फैला हुआ है। इसकी ढाल बहुत ही कम है जिसके कारण प्राय: यह ब्रद्मपुत्र की बाढ़ से आक्रांत रहता है। यह नदी इस समतल मैदान को दो असमान भागों में विभक्त करती है जिसमें उत्तरी भाग हिमालय से आनेवाली लगभग समानांतर नदियों, सुवंसिरी आदि, से काफी कट फट गया है। दक्षिणी भाग अपेक्षाकृत कम चौड़ा है। गौहाटी के समीप ब्रद्मपुत्र मेघालय चट्टानों का क्रम नदी के उत्तरी कगार पर भी दिखाई पड़ता है। बूढ़ी दिहिंग, धनसिरी तथा कपिली ने अपने निकासवर्ती अपरदन की प्रक्रिया द्वारा मिकिर तथा रेग्मा पहाड़ियों को मेघालय की पहाड़ियों से लगभग अलग कर दिया है। संपूर्ण घाटी पूर्व में ३० मी॰ से पश्चिम में १३० मी॰ की ऊँचाई तक स्थित है जिसकी औसत ढाल १२ से॰मी॰ प्रति कि॰ मी॰ है। नदियों का मार्ग प्राय: सर्पिल है।
  • २. मिकिर तथा उत्तरी कछार का पहाड़ी क्षेत्र भौम्याकृति की दृष्टि से एक जटिल तथा कटा फटा प्रदेश है और आसाम घाटी के दक्षिण में स्थित है। इसका उत्तरी छोर अपेक्षाकृत अधिक ढलवा है।
  • ३. कछार का मैदान अथवा सूरमा घाटी जलोढ़ अवसाद द्वारा निर्मित एक समतल उपजाऊ मैदान है जो राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित है। वास्तव में इसे बंगाल डेल्टा का पूर्वी छोर ही कहा जा सकता है। उत्तर में डौकी भ्रंश इसकी सीमा बनाता है।

नदियाँ

इस राज्य की प्रमुख नदी ब्रह्मपुत्र (तिब्बत की सांगपी) है जो लगभग पूर्व पश्चिम में प्रवाहित होती हुई धुबरी के निकट बंगलादेश में प्रविष्ट हो जाती है। प्रवाहक्षेत्र के कम ढलवां होने के कारण नदी शाखाओं में विभक्त हो जाती है तथा नदीस्थित द्वीपों का निर्माण करती है जिनमें माजुली (९२९ वर्ग कि॰मी॰) विश्व का सबसे बड़ा नदी स्थित द्वीप है। वर्षाकाल में नदी का जलमार्ग कहीं कहीं ८ कि॰मी॰ चौड़ा हो जाता है तथा झील जैसा प्रतीत होता है। इस नदी की ३५ प्रमुख सहायक नदियां हैं। सुवंसिरी, भरेली, धनसिरी, पगलडिया, मानस तथा संकाश आदि दाहिनी ओर से तथा लोहित, नवदिहिंग, बूढ़ी दिहिंग, दिसांग, कपिली, दिगारू आदि बाई ओर से मिलने वाली प्रमुख नदियां हैं। ये नदियां इतना जल तथा मलबा अपने साथ लाती है कि मुख्य नदी गोवालपारा के समीप ५० लाख क्यूसेक जल का निस्सारण करती है। ब्रह्मपुत्र की ही भाँति सुवंसिरी आदि भी मुख्य हिमालय (हिमाद्रि) के उत्तर से आती है तथा पूर्वगामी प्रवाह का उदाहरण प्रस्तुत करती है। पर्वतीय क्षेत्र में इनके मार्ग में खड्ड तथा प्रपात भी पाए जाते हैं। दक्षिण में सूरमा ही उल्लेख्य नदी है जो अपनी सहायक नदियों के साथ कछार जनपद में प्रवाहित होती है।

भौमिकीय दृष्टि से आसाम राज्य में अति प्राचीन दलाश्म (नीस) तथा सुभाजा (शिस्ट) निर्मित मध्यवर्ती भूभाग (मिकिर तथा उत्तरी कछार) से लेकर तृतीय युग की जलोढ़ चट्टानें भी भूतल पर विद्यमान हैं। प्राचीन चट्टानों की पर्त उत्तर की ओर क्रमश: पतली होती गई है तथा तृतीयक चट्टानों से ढकी हुई हैं। ये चट्टानें प्राय: हिमालय की तरह के भंजों से रहित हैं। उत्तर में ये क्षैतिज हैं पर दक्षिण में इनका झुकाव (डिप) दक्षिण की ओर हो गया है।

भूकंप तथा बाढ़ आसाम की दो प्रमुख समस्याएं हैं। बाढ़ से प्राय: प्रतिवर्ष ८ से १० करोड़ रुपए की माल की क्षति होती है। १९६६ की बाढ़ से लगभग १६,००० वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र जलप्लावित हुआ था। स्थल खंड के अपेक्षाकृत नवीन होने तथा चट्टानी स्तरों के अस्थायित्व के कारण इस राज्य में भूकंप की संभावना अधिक रहती है। १८९७ का भूकंप, जिसकी नाभि गारो खासी की पहाड़ियों में थी, यहाँ का सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है। रेल लाइनों का उखड़ना, भूस्खलन, नदी मार्गावरोध तथा परिवर्तन आदि क्रियाएँ बड़े पैमाने पर हुई थीं और लगभग १०,५५० व्यक्ति मर गए थे। अन्य प्रमुख भूकंपक्रमश: १८६९, १८८८, १९३०, १९३४ तथा १९५० में आए।

जलवायु

सामान्यतः आसाम राज्य की जलवायु, भारत के अन्य भागों की भांति, मानसूनी है पर कुछ स्थानीय विशेषताएं इसमें विश्लेषणोपरांत अवश्य दृष्टिगोचर होती हैं। प्राय: पाँच कारक इसे प्रभावित करते हैं :

  • १. उच्चावच;
  • २. पश्चिमोत्तर भारत तथा बंगाल की खाड़ी पर सामयिक परिवर्तनशील दबाव की पेटियां, तथा उनका उत्तरी एवं पूर्वोत्तरीय सामयिक दोलन;
  • ३. उष्णकटिबंधीय समुद्री हवाएं;
  • ४. सामयिक पश्चिमी चक्रवातीय हवाएं तथा
  • ५. पर्वत एवं घाटी की स्थानीय हवाएं।

गंगा के मैदान की भांति यहाँ ग्रीष्म की भीषणता का अनुभव नहीं होता क्योंकि प्राय: बूंदाबांदी तथा वर्षा हो जाया करती है। कोहरा, बिजली की चमक दमक तथा धूल के तूफान प्राय: आते रहते हैं। वर्ष में ६०-७० दिन कोहरा तथा ८०-११५ दिन बिजली की कड़वाहट अनुभव की जाती है। औसत वार्षिक वर्षा २०० सें॰मी॰ होती है पर मध्य भाग (गौहाटी, तेजपुर) में यह मात्रा १०० से॰मी॰ से भी कम होती है जबकि पूर्व एवं पश्चिम में कहीं कहीं १,००० से॰मी॰ तक भी वर्षा होती है। सापेक्ष आर्द्रता वर्ष भर अधिक रहती है (९० प्रतिशत)। जाड़े का औसत तापमान १२.८° सें॰ग्रे॰ तथा ग्रीष्म का औसत तापमान २३° सें॰ग्रे॰ रहता है। अधिकतम तापमान वर्षा ऋतु के अगस्त महीने में रहता है (२७.१७° सें॰ग्रे॰)।

भूमि

काँप तथा लैटराट इस राज्य की प्रमुख मिट्टियां हैं जो क्रमश: मैदानी भागों तथा पहाड़ी क्षेत्रों के ढालों पर पाई जाती हैं। नई काँप मिट्टी नदियों के बाढ़ क्षेत्र में पाई जाती है तथा धान, जूट, दाल एवं तिलहन के लिए उपयुक्त है। यह प्राय: उदासीन प्रकृति की होती है। बाढ़ेतर प्रदेश की वागर मिट्टी प्राय: अम्लीय होती है। यह गन्ना, फल, धान के लिए अधिक उपुयक्त है। पर्वतीय क्षेत्र की लैटराइट मिट्टी अपेक्षाकृत अनुपजाऊ होती है। चाय की कृषि के अतिरिक्त ये क्षेत्र प्राय: वनाच्छादित हैं।

खनिज

तृतीय युग का कोयला तथा खनिज तेल इस प्रदेश की मुख्य संपदाएं हैं। खनिज तेल का अनुमानित भंडार ४५० लाख टन है जो पूरे भारत का लगभग ५० प्रतिशत है तथा प्रमुखतः बह्मपुत्र की ऊपरी घाटी में दिगबोई, नहरकटिया, मोशन, लक्वा, टियोक आदि के चतुर्दिक्‌ प्राप्य है। राज्य के दक्षिणपूर्वी छोर पर लकड़ी लेड़ी नजीरा के निकट कोयले का भांडार है। अनुमानित भांडार ३३ करोड़ टन है। उत्पादन क्रमश: कम होता जा रहा है। (१९६३ से ५,७७,००० टन; १९६५ में ५,४१,००० टन)। फायर क्ले, गृह-निर्माण-योग्य पत्थर आदि अन्य खनिज हैं।

कृषि

असम एक कृषिप्रधान राज्य है। १९७०-७१ में कुल (मिजोरमयुक्त) लगभग २५,५०,००० हेक्टेयर भूमि (कुल क्षेत्रफल का लगभग १/३) कृषिकार्य कुल भूमि का ९० प्रतिशत मैदानी भाग में है। धान (१९७१) कुल भूमि (कृषियोग्य) के ७२ प्रतिशत क्षेत्र में पैदा किया जाता है (२०,००,००० हेक्टेयर) तथा उत्पादन २०,१६,००० टन होता है। अन्य फसलें (क्षेत्रपफल १,००० हेक्टेयर में) इस प्रकार हैं- गेहूँ २१; दालें ७९; सरसों तथा अन्य तिलहन १३९। कुल कृषिभूमि का ७७ प्रतिशत खाद्य फसलों के उत्पादन में लगा है। इतना होते हुए भी प्रति व्यक्ति कृषिभूमि का औसत ०.५ एकड़ (०.२ हेक्टेयर) ही है। विभिन्न साधनों द्वारा भूमि को सुधारने के उपरांत कृषि क्षेत्र को पाँच प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है।

अन्य उत्पादन

चाय, जूट तथा गन्ना यहाँ की प्रमुख औद्योगिक तथा धनद फसलें हैं। चाय की कृषि के अंतर्गत लगभग ६५ प्रतिशत कृषिगत भूमि सम्मिलित है। आसाम के आर्थिक तंत्र में इसका विशेष हाथ है। भारत की छोटी बड़ी ७,१०० चाय बागान में से लगभग ७०० असम में ही स्थित हैं। १९७० ई॰ में कुल २,००,००० हेक्टेयर क्षेत्र में चाय के बाग थे जिनसे लगभग २१.५ करोड़ कि॰ग्रा॰ (१९७०) चाय तैयार की गई। इस उद्योग में प्रतिदिन ३,७९,७८१ मजदूर लगे हैं, जिनमें अधिकांश उत्तर बिहार तथा पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश के हैं। जूट लगभग छह प्रतिशत कृषियोग्य भूमि में उगाई जाती है। आर्थिक दृष्टिकोण से यह अधिक महत्वपूर्ण है। आसाम घाटी के पूर्वी भाग तथा दरंग जनपद इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। १९७० ई॰ में यहाँ की नदियों में से २६.५ हजार टन मछलियाँ भी पकड़ी गईं।

सिंचाई

वर्षा की अधिकता के कारण सिंचाई की व्यवस्था व्यापक रूप से लागू नहीं की जा सकी, केवल छोटी-छोटी योजनाएं ही क्रियान्वित की गई हैं। कुल कृषिगत भूमि का मात्र २२ प्रतिशत ही सिंचित है। १९६४ में प्रारंभ की गई जमुना सिंचाई योजना (दीफू के निकट) इस राज्य की सबसे बड़ी योजना है जिससे लगभग २६,००० हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाने का अनुमान है। नहरों की कुल लंबाई १३७.१५ कि॰मी॰ रहेगी।

विद्युत्

राज्य के प्रमुख शक्ति-उत्पादक-केंद्र (क्षमता तथा स्वरूप के साथ) ये हैं - गुवाहाटी (तापविद्युत्‌) 32,500 किलोवाट, नामरूप (तापविद्युत्‌) लखीमपुर में नहरकटिया से २० कि॰मी॰, २३,००० किलोवाट का प्रथम चरण १९६५ में पूर्ण। ३०,००० किलोवाट का दूसरा चरण १९७२-७३ तक पूर्ण। जलविद्युत्‌ केंद्रों में यूनिकेम प्रमुख है (पूरी क्षमता ७२,००० किलोवाट)।

उद्योग

आसाम के आर्थिक तंत्र में उद्योग धंधों में, विशेष रूप से कृषि पर आधारित, तथा खनिज तेल का महत्वपूर्ण योगदान है। गुवाहाटी तथा डिब्रूगढ़ दो स्थान इसके मुख्य केंद्र हैं। कछार का सिलचर नगर तीसरा प्रमुख औद्योगिक केंद्र है। चाय उद्योग के अतिरक्ति वस्त्रोद्योग (शीलघाट, जूट तथा जारीरोड सिल्क) भी यहाँ उन्नत है। हाल ही में एक कपड़ा मिल गौहाटी में स्थापित की गई है। एरी, मूगा तथा पाट आसाम के उत्कृष्ट वस्त्रों में हैं। तेलशोधक कारखाने दिगबोई (पाँच लाख टन प्रति वर्ष) तथा नूनमाटी (७.५ लाख टन प्रति वर्ष) में है। उर्वरक केंद्र नामरूप में हैं जहाँ प्रतिवर्ष २,७५,००० टन यूरिया तथा ७,०५,००० टन अमोनिया का उत्पादन किया जाता है। चीरा में सीमेंट का कारखाना है जहाँ प्रतिवर्ष ५४,००० टन सीमेंट का उत्पादन होता है। इनके अतिरिक्त वनों पर आधारित अनेक उद्योग धंधे प्राय: सभी नगरों में चल रहे हैं। धुबरी की हार्डबोर्ड फैक्टरी तथा गुवाहाटी का खैर तथा आगर तैल विशेष उल्लेखनीय हैं।

यातायात

आवागमन तथा यातायात के साधनों के सुव्यवस्थित विकास में इस प्रदेश के उच्चावचन तथा नदियों का विशेष महत्व है। आसाम घाटी उत्तरी दक्षिणी भाग को स्वतंत्र भारत में एक दूसरे से जोड़ दिया गया है। गौहाटी के निकट यह संपूर्ण ब्रह्मपुत्र घाटी का एक मात्र सेतु है। १९६६ में रेलमार्गों की कुल लंबाई ५,८२७ कि॰मी॰ थी (३,३३४ कि॰मी॰ साइडिंग के साथ)। धुबरी, गौहाटी, लामडि, सिलचर आदि रेलमार्ग द्वारा मिले हुए हैं। राजमार्ग कुल २०,६७८ कि॰ मी॰ है जिसमें राष्ट्रीय मार्ग २,९३४ कि॰मी॰ (१९६८8) है। यहाँ जलमार्गों का विशेष महत्व है और ये अति प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण रहे हैं। नौकावहन-योग्य नदियों की लंबाई ३,२६१ कि॰ मी॰ है जिसमें १६५३ कि॰मी॰ मार्ग स्टीमर चलने योग्य है तथा वर्ष भर उपयोग में लाए जा सकते हैं। शेष मात्र मानसून के दिनों में ही काम लायक रहते हैं।

शिक्षा

असम में छह से बारह वर्ष की उम्र तक के बच्चों के लिए माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य तथा नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था है। गुवाहाटी, योरहाट एवं डिब्रूगढ़ में विश्वविद्यालय हैं। राज्य के 80 से भी ज़्यादा केंद्रों से लोक कल्याण की विभिन्न योजनाओं का संचालन हो रहा है। जो महिलाओं एवं बच्चों के लिए मनोरंजन तथा अन्य सांस्कृतिक सुविधाओं की व्यवस्था करती हैं।

विश्वविद्यालय स्थान स्थापित श्रेणी शिक्षा
डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय डिब्रूगढ़ १९६५ राज्य सरकार विभिन्न
गुवाहाटी विश्वविद्यालय गुवाहाटी १९४८ राज्य सरकार विभिन्न
कॉटन कॉलेज स्टेट यूनिवर्सिटी गुवाहाटी १९०१ राज्य सरकार विभिन्न
कृष्णकांत हांडिक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी गुवाहाटी २००७ राज्य सरकार दूरस्थ शिक्षा
शंकरदेव विश्वविद्यालय गुवाहाटी २०१० राज्य सरकार स्वास्थ्य विज्ञान
असम कृषि विश्वविद्यालय जोरहाट १९६८ राज्य सरकार कृषि
काजीरंगा विश्वविद्यालय जोरहाट २०१२ निजी विभिन्न
असम डाउन टाउन विश्वविद्यालय गुवाहाटी २०१० निजी विभिन्न
असम डॉन बोस्को विश्वविद्यालय गुवाहाटी २००९ निजी विभिन्न
असम विश्वविद्यालय सिलचर १९९४ केंद्रीय विभिन्न
तेजपुर विश्वविद्यालय तेजपुर १९९४ केंद्रीय विभिन्न


इंजीनियरिंग कॉलेज-

मेडिकल कॉलेज-

  • जोरहाट मेडिकल कॉलेज - जोरहाट
  • असम मेडिकल कॉलेज - डिब्रुगढ़
  • गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज - गुवाहाटी
  • सिलचर मेडिकल कॉलेज - सिलचर
  • तेजपुर मेडिकल कॉलेज - तेजपुर (निर्माणाधीन)
  • बरपेटा मेडिकल कॉलेज - बरपेटा (निर्माणाधीन)
  • आयुर्वेदिक कॉलेज- गुवाहाटी

भाषा

असम की भाषायें 2001 की जनगणना के अनुसार[1][2] ██ असमिया (48.8%)██ बांग्ला (27.5%)██ बोडो (4.8%)██ नेपाली (2.12%)██ हिंदी (5.88%)██ अन्य (11.8%)

असमिया और बोडो प्रमुख क्षेत्रीय और आधिकारिक भाषाएं हैं। बंगाली बराक घाटी के तीन जिलों में आधिकारिक दर्जा रखती है और राज्य की दूसरी सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा (३३.९१%) है। असमिया प्राचीन कामरूप और मध्ययुगीन राज्यों जैसे कामतापुर कछारी, सुतीया, बोरही, अहोम और कोच राज्यों में लोगों कि आम भाषा रही है। ७वीं–८वीं ई. में लिखी गई लुइपा, सरहपा जैसे कवियों के कविताओं में असमिया भाषा के निशान पाए जाते हैं। कामरूपी, ग्वालपरिया जैसे आधुनिक बोलियाँ इसकी अपभ्रंश हैं। असमिया भाषा को नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर में स्थानीकृत करके इस्तेमाल किया जाता रहा है। असमिया उच्चारण और कोमलता की अपनी अनूठी विशेषताओं के साथ अपने संकर प्रकृति की वजह से एक समृद्ध भाषा है। असमिया साहित्य सबसे अमीर साहित्यों में से एक है।

धर्म

असम में धर्म[3]
धर्म प्रतिशत
हिंदू
  
64.90%
मुसलमान
  
30.90%
ईसाई
  
3.70%
अन्य
  
0.50%

२००१ की जनगणना के अनुसार, यहाँ हिंदुओं की संख्या १,७२,९६,४५५, मुसलमानों की ८२,४०,६११, ईसाई की ९,८६,५८९ और सिखों की २२,५१९, बौद्धों की ५१,०२९, जैनियों की २३,९५७ और २२,९९९ अन्य धार्मिक समुदायों से संबंधित थे।

अर्थव्यवस्था

असम से भारत का सर्वाधिक खनिज तेल प्राप्त होता है। यहाँ लगभग १००० किलोमीटर लम्बी पेटी में खनिज तेल पाया जाता है। यह पेटी इस राज्य की उत्तरी-पूर्वी सीमा से आरम्भ होकर खासी तथा जयन्तिया पहाड़ियों से होती हुई कछार जिले तक फैली है। यहाँ के मुख्य तेल क्षेत्र ळखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में पाया जाते हैं।

पारंपरिक शिल्प

असम में शिल्प की एक समृद्ध परम्परा रही है, वर्तमान केन और बाँस शिल्प, घंटी धातु और पीतल शिल्प रेशम और कपास बुनाई, खिलौने और मुखौटा बनाने, मिट्टी के बर्तनों और मिट्टी काम, काष्ठ शिल्प, गहने बनाने, संगीत बनाने के उपकरणों, आदि के रूप में बना रहा प्रमुख परंपराओं [56] ऐतिहासिक, असम भी लोहे से नावों, पारंपरिक बंदूकें और बारूद, हाथीदांत शिल्प, रंग और पेंट, लाख, agarwood उत्पादों की लेख, पारंपरिक निर्माण सामग्री, उपयोगिताओं बनाने में उत्कृष्ट आदि केन और बाँस शिल्प के दैनिक जीवन में सबसे अधिक इस्तेमाल किया उपयोगिताओं, घरेलू सामान से लेकर, उपसाधन बुनाई, मछली पकड़ने का सामान, फर्नीचर, संगीत वाद्ययंत्र, निर्माण सामग्री, आदि उपयोगिताएँ और Sorai और Bota जैसे प्रतीकात्मक लेख घंटी धातु और पीतल से बने प्रदान हर असमिया घर में पाया [57] [58] हाजो और Sarthebari पारंपरिक घंटी धातु और पीतल के शिल्प का सबसे महत्वपूर्ण केन्द्रों में कर रहे हैं। असम रेशम के कई प्रकार के घर है, सबसे प्रतिष्ठित हैं: मूगा - प्राकृतिक सुनहरे रेशम, पैट - एक मलाईदार उज्ज्वल चांदी के रंग का रेशम और इरी - एक सर्दियों के लिए गर्म कपड़े के विनिर्माण के लिए इस्तेमाल किया किस्म। सुआल्कुची (Sualkuch), पारंपरिक रेशम उद्योग के लिए केंद्र के अलावा, ब्रह्मपुत्र घाटी के लगभग हर हिस्से में ग्रामीण परिवार उत्कृष्ट कढ़ाई डिजाइन के साथ रेशम और रेशम के वस्त्र उत्पादन करते हैं। इसके अलावा, असम में विभिन्न सांस्कृतिक समूह अद्वितीय कढ़ाई डिजाइन और अद्भुत रंग संयोजन के साथ सूती वस्त्रों के विभिन्न प्रकार बनाते हैं।

इसके अलावा असम में खिलौना और मुखौटा आदि बनाने का एवं ज्यादातर वैष्णव मठों में मिट्टी के बर्तनों और निचले असम जिलों में काष्ठ शिल्प, लौह शिल्प, गहने, मिट्टी के काम आदि का अद्वितीय शिल्प लोगों के पास है।

ललित कला

पुरातन मौर्य गोलपाड़ा जिले में और उसके आस - पास की खोज स्तूप प्राचीन कला और वास्तु काम करता है (सी॰ ३०० सी॰ १०० ई॰ के लिए ई॰पू॰) के जल्द से जल्द उदाहरण हैं। तेजपुर में एक सुंदर चौखट प्राचीन असम में देर गुप्ता अवधि के कला के सारनाथ स्कूल के प्रभाव के साथ कला का काम करता है सबसे अच्छा उदाहरण के रूप में पहचान कर रहे हैं के साथ Daparvatiya (Doporboteeya) पुरातात्विक स्थल की खोज की बनी हुई है। कई अन्य साइटों को भी स्थानीय रूपांकनों और दक्षिण पूर्व एशिया में उन लोगों के साथ समानता के साथ कभी कभी के साथ स्थानीय कला रूपों के विकास दिखा रहे हैं। वर्तमान से अधिक की खोज कई मूर्तिकला और वास्तुकला के साथ रहता चालीस प्राचीन पुरातात्विक असम भर में साइटों। इसके अलावा, वहाँ कई देर मध्य आयु कला और कई शेष मंदिरों, महलों और अन्य इमारतों के साथ मूर्तियां और रूपांकनों के सैकड़ों सहित वास्तु काम करता है के उदाहरण हैं।

चित्रकारी असम के एक प्राचीन परंपरा है। Xuanzang (७ वीं शताब्दी ई.) का उल्लेख है कि हर्षवर्धन के लिए कामरुपा राजा भासकर वर्मन उपहार के बीच चित्रों और चित्रित वस्तुओं, असमिया रेशम पर थे जिनमें से कुछ थे। Hastividyarnava (हाथी पर एक ग्रंथ), चित्रा भागवत और गीता गोविंदा से मध्य युग में जैसे पांडुलिपियों के कई पारंपरिक चित्रों के उत्कृष्ट उदाहरण सहन. मध्ययुगीन असमिया साहित्य भी chitrakars और patuas करने के लिए संदर्भित करता है।

आसाम की जातियाँ

आसाम की आदिम जातियाँ संभवत: भारत चीनी जत्थे के विभिन्न अंश हैं। भारत चीनी जत्थे की जातियां कई समूहों में विभाजित की जा सकती है। प्रथम खासी है जो आदिकाल में उत्तर पूर्व से आए हुए निवासियों के अवशेष मात्र हैं। दूसरे समूह के अंतर्गत दिमासा (अथवा पहाड़ी कछारी), बोडो (या मैदानी कछारी), रामा, कारो, लालुंग तथा पूर्वी उपहिमालय में डफला, मिरी, अबोर, आपातानी तथा मिश्मी जातियां हैं। तीसरा समूह लुशाई, आका तथा कुकी जातियों का है, जो दक्षिण से आकर बसी हैं तथा मणिपुरी और नागा जातियों में मिल गई हैं। कछारी, रामा तथा बोड़ो हिमालय के ऊँचे घास के मैदानों में निवास करते हैं। कोच, जो मंगोल जाति के हैं, आसाम के निचले भागों में रहते हैं। गोवालपारा में ये राजवंशी के नाम से प्रसिद्ध हैं। सालोई कामरूप की प्रसिद्ध जाति है। नदियाल या डोम यहाँ की मछली मारने वाली जाति है। नवशाखा जाति के सदस्य तेली, ग्वाला, नापित (नाई), बरई, कुम्हार तथा कमार (लोहार) है। आधुनिक युग में यहाँ पर चाय के बाग में काम करनेवाले बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा अन्य प्रांतों से आए हुए आदिवासियों की संख्या प्रमुख हो गई है।

जिले

असम में २७ जिले हैं -

असम की समस्याएँ

वर्तमान असम बाढ़, गरीबी, पिछङेपन तथा विदेशी घुसपैठ (मुख्यतः बांग्लादेशी) का शिकारग्रस्त है।

प्रसिद्ध व्यक्ति

यह भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Distribution of the 22 Scheduled Languages". Census of India. Registrar General & Census Commissioner, India. 2001. अभिगमन तिथि 4 जनवरी 2014.
  2. "Census Reference Tables, A-Series - Total Population". Census of India. Registrar General & Census Commissioner, India. 2001. अभिगमन तिथि 4 जनवरी 2014.
  3. "Census of India - Socio-cultural aspects". Government of India, Ministry of Home Affairs. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2011.

बाहरी कड़ियाँ