मिज़ोरम
मिज़ोरम | |
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राज्य | |
ऊपर से दक्षिणावर्त: वंतावंग झरना, मिजोरम में कोलोडाइन कैसल के रूप में जाना जाने वाला रॉक फॉर्मेशन, मिजोरम बांगो नृत्य प्रदर्शन, चम्फाई सील | |
निर्देशांक (अइज़ोल): 23°22′N 92°48′E / 23.36°N 92.8°Eनिर्देशांक: 23°22′N 92°48′E / 23.36°N 92.8°E | |
देश | भारत |
केंद्र शासित प्रदेश | 21 जनवरी 1972 |
राज्य | 20 फ़रवरी 1987† |
राजधानी | अइज़ोल |
सबसे बड़ा शहर | अइज़ोल |
जिले | 11 |
शासन | |
• सभा | मिज़ोरम सरकार |
• राज्यपाल | कमभमपति हरिबाबू |
• मुख्यमंत्री | ज़ोरामथंगा (MNF) |
• विधानमण्डल | एकसदनीय
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• संसदीय क्षेत्र | |
• उच्च न्यायालय | |
क्षेत्रफल[1] | |
• कुल | 21081 किमी2 (8,139 वर्गमील) |
क्षेत्र दर्जा | 24वां |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 10,97,206 |
• दर्जा | 27वां |
• घनत्व | 52 किमी2 (130 वर्गमील) |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+05:30) |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-MZ |
साक्षरता | 91.33 % (2011 Census) |
राजभाषा | मिज़ो और अंग्रेज़ी[2] |
वेबसाइट | mizoram |
†इसे मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 द्वारा एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था |
मिज़ोरम भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। २००१ में यहाँ की जनसंख्या लगभग ८,९०,००० थी। मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक ९१.०३% है। यहाँ की राजधानी आईजोल है।[5]
इतिहास और नामोत्पत्ति
[संपादित करें]मिजोरम एक पर्वतीय प्रदेश है। 1986 में भारतीय संसद ने भारतीय संविधान के 53वें संशोधन को अपनाया, जिसने 20 फरवरी 1987 को भारत के 23वें राज्य के रूप में मिजोरम राज्य के निर्माण की अनुमति दी।[6] १९७२ में केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक जिला था। १८९१ में ब्रिटिश अधिकार में जाने के बाद कुछ वर्षो तक उत्तर का लुशाई पर्वतीय क्षेत्र असम के और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन रहा। १८९८ में दोनों को मिलाकर एक ज़िला बना दिया गया जिसका नाम पड़ा-लुशाई हिल्स ज़िला और यह असम के मुख्य आयुक्त के प्रशासन में आ गया। १९७२ में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिज़ोरम केंद्रशासित प्रदेश बन गया। भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ़्रंट के बीच १९८६ में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप २० फ़रवरी १९८७ को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बंग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिज़ोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य हैं। मिज़ोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है तथा इस क्षेत्र में प्रकृति की विभि्न छटाएं देखने को मिलती हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रजातियों के प्राणिमयों तथा वनस्पतियों से संपन्न हैं।
मिज़ो’ शब्द की उत्पत्ति के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है। मिज़ोरम शब्द का स्थानीय मिज़ो भाषा में अर्थ है, पर्वतनिवासीयों की भूमि। १९वीं शताब्दी में यहां ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फैल गया और इस समय तो अधिकांश मिज़ो लोग ईसाई धर्म को ही मानते हैं। मिज़ो भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। मिशनरियों ने मिज़ो भाषा और औपचारिक शिक्षा के लिए रोमन लिपि को अपनाया। मिज़ोरम में शिक्षा की दर तेजी से बढ़ी हैं। वर्तमान में यह ८८.८ प्रतिशत है, जोकि पूरे देश में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। मिज़ोरम शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पहले स्थान पर आने के लिए बड़े प्रयास कर रहा हैं।
भारत में विलय
[संपादित करें]भारत को आज़ादी मिले करीब दस साल बीत चुके थे। देश में शामिल क़रीब 500 से ज्यादा रियासतों का भी भारत में विलय करा लिया गया था। लेकिन इन सब के बीच पूर्वोत्तर के कुछ इलाके अभी भी भारत से अलग हो कर एक आज़ाद देश की मांग कर रहे थे और इनमें ही शामिल था एक जिला लुशाई हिल्स यानी आजका मिजोरम। 1958 - 1960 के बीच का वक़्त था। अंग्रेज़ी सरकार के दौरान असम के लुशाई हिल और बंगाल के दक्षिणी भाग के अधीन रहा अब का मिजोरम बुरे संकट में था। ये संकट कुछ प्राकृतिक थे तो कुछ मानवनिर्मित। प्राकृतिक संकट की शुरुवात उस वक़्त होती हैं जब बांस की झाड़ियों से फूल निकलने लगें, अब आप सोंच रहे होंगे कि मासूम और ख़ूबसूरत से दिखने वाले फूल आखिर कोई मुसीबत कैसे खड़ी कर सकते हैं ?
दरअसल ज्यादा बारिश और पहाड़ी इलाके वाले मिजोरम में मुश्किल से सिर्फ एक ही मौसम की खेती हो पाती है, और इसमें भी फसलों की पैदावार उत्तर भारत की तुलना में बहुत कम होती है। इसलिए यहां रहने वाले लोग अपने पुराने अनाजों को बड़े जतन से संभाल कर रखते हैं ताकि पूरे साल का काम आसानी से चल जाय। लेकिन लगभग 50 साल बाद निकलने वाले बांस के फूलों के आते ही पूरे इलाके में चूहों का राज हो जाता है। बांस के फूल न सिर्फ चूहों का पसंदीदा भोजन होता है बल्कि इसे खाने से उनकी प्रजनन क्षमता भी और तेज़ हो जाती है। इन सब के दौरान देखते देखते ही थोड़े से वक्त में चूहों की एक लम्बी फ़ौज खड़ी हो जाती है। बांस के फूलों के ख़त्म होते ही चूहे धीरे धीरे गांवों और खेतों में लगी फसलों पर भी धावा बोल देते हैं। जिससे दुनिया भर में बांस के जंगलों के लिए मशहूर उत्तर पूर्वी क्षेत्र मिजोरम में मौतम यानी अकाल जैसी समस्या खड़ी हो जाती है। साल 1958 से 1960 के दौरान भी यही हुआ था। पहले बांसों में फूल आये और फिर फूलों के जाते ही आया अकाल। मिजोरम के जिन जिन इलाकों में मौतम आया वहां खाने तक के लाले पड़ गए। भूख से बेहाल लोगों की मौतें भी होने लगी। तत्कालीन राज्य की असम सरकार से लोगों ने आर्थिक मदद की गुहार लगाई। लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को बेबुनियाद बताते हुए अस्वीकार कर दिया। धीरे धीरे हालत बद से बदतर होते चले गए। मिजोरम की जनता के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था। या तो वो वो भूख से मर जाते या फिर सरकार की मदद का इंतज़ार करते करते। सरकार से कोई मदद न मिलता देख स्थानीय लोग अब विद्रोह पर उतारू हो गए। मिजोरम के लोगों को मरता देख आख़िरकार एक वक़्त बाद लोगों ने सरकार के ख़िलाफ़ हथियार उठा ही लिए। मिज़ो नेशनल फेमाईने फ्रंट नाम के संगठन ने इस पूरे विद्रोह की अगुवाई की। जोकि बाद में चलकर मिजोरम की राजनैतिक पार्टी मिज़ो नेशनल फ्रंट के रूप में सामने भी आई। जोरम के विद्रोह में शामिल प्राकृतिक कारण को तो आपने जान लिया लिया। आइये अब थोड़ा सा ज़िक्र मानव निर्मित कारण का भी कर लेते हैं।
दरअसल मिजोरम में फैले अकाल के दौरान ही असम में एक और विवाद चल रहा था। ये विवाद असम में शामिल कुछ सांस्कृतिक और भाषाई रूप से अलग पहचान रखने वाले इलाकों का था। और इन इलाकों में उत्तर पूर्वी मिजोरम भी शामिल था। 1960 में पूरे राज्य में असमी भाषा विधेयक को लागू करने की मांग हो रही थी। इस विधेयक का मतलब था की उस समय के असम में शामिल सभी इलाकों में असमी भाषा को राजभाषा बना दिया जायेगा। जिसे गैर असमी समुदाय के लोग बिलकुल भी मानने को तैयार नहीं थे। बांस के फूलों से शुरू हुई लड़ाई को इस विधेयक ने और भी ज़्यादा मज़बूती दे दी। मिज़ो फ्रंट में अब स्थानीय लोगों ने और बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया। जिससे ये विद्रोह न सिर्फ उग्र हुआ बल्कि धीरे धीरे आतंकवाद का रूप धारण करने लगा। 1960 के दशक में मिज़ो फ्रंट ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से भी भारत के खिलाफ मदद माँगी। जिसमें पाकिस्तान ने पैसा और गोला बारूद के साथ साथ इसे चलाने का भी इस संगठन के लोगों को प्रशिक्षण दिया। भारत के उत्तर पूर्व मिजोरम में जब ये सब कुछ जब चल रहा था तो उस दौरान भारत अपने दो पडोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन के साथ युद्धों में उलझा हुआ था। जिसके कारण उसका ध्यान इस ओर गया ही नहीं। शुरूआती वक़्त में भारत सरकार की ओर से कोई विशेष कार्रवाई नहीं होने के कारण मिज़ो फ्रंट ने जल्दी ही हिंसक रूप ले लिया। मिज़ो नेशनल फेमाइन फ्रंट का मकसद अब न सिर्फ असम से मिजोरम को अलग कर देने का था बल्कि वो पूरे मिजोरम क्षेत्र को ही भारत से आज़ाद कराना चाहते थे। मिज़ो फ्रंट के अगुवा लालडेंगा ने इसके लिए गुप्त रूप से योजना भी बनाई थी । और इसका नाम रखा था -ऑपरेशन जेरिचो। इस मिशन का मकसद था कि 1 मार्च 1966 तक पूरे मिज़ोरम को अपने कब्जे में लेकर इसे स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया जाए। और हुआ भी बिलकुल यही। 28 फरवरी की आधी रात को लालडेंगा के नेतृत्व वाली मिज़ो फ्रंट आइजॉल पहुंची। पूरे आइजोल शहर का घेराव करते हुए इस गुट के लोगों ने सारे संपर्क मार्गों को बाधित कर दिया। मिजोरम के बाहरी मदद के लिए बचा एकमात्र रास्ता - सिल्चर सड़क को भी मिज़ो फ्रंट ने क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। जिसके कारण स्थानीय पुलिस और असम रायफल्स को भी इलाके से दूर हटना पड़ा। आख़िरकार 1 मार्च 1966 को MNF नेता लालडेंगा अपने मंसूबों में कामयाब हुआ और उसने मिजोरम को भारत से अलग राष्ट्र की घोषणा कर दी। आज़ाद देश घोषित कर देने के बाद पूरे शहर में बुरी तरह से हिंसा फ़ैल गयी। गैर मिजोरम लोगों को मारा गया दुकाने जलाई गयी और उनके घरों में आग लगा दिया गया । ये सब कुछ सिर्फ आइजॉल में ही नहीं हुआ मिजोरम के अन्य इलाक़े भी लालडेंगा के इस कदम का शिकार हुए। मिजोरम के आज़ाद देश घोषित हो जाने के बाद भारत सरकार ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के आदेश दिए। इस कार्रवाई में सेना के हेलीकाप्टर भेजे गए जोकि अपनी पहली कोशिश में नाकाम रहे।
मिज़ो फ्रंट ने भारत सरकार की ओर से भेजे गए हेलीकॉप्टरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके बाद आख़िरकार मज़बूरन भारत सरकार को स्थिति को काबू में लाने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी और तब जाकर इस आतंकवाद कुछ हद तक नियंत्रण मिल सका । मिज़ो फ्रंट पर सेना द्वारा काबू पा लेने के बाद 1967 में भारत सरकार ने ग्रुपिंग पॉलिसी लागू की जिसके बाद आतंकवादियों का पूरे तरीके से सफाया किया जा सका। 1968 तक आते आते हालात और बेहतर हो गए जिसके बाद विद्रोहियों ने सरेंडर कर आम लोगों के साथ रहने की इच्छा जताई। 21 जनवरी 1972 को पहले मिजोरम केंद्र शासित राज्य बना और फिर 1976 में मिज़ो नेशनल फ्रंट के साथ हुई संधि के मुताबिक 20 फरवरी 1987 को मिजोरम को भारत के 23 वें राज्य का दर्ज़ा प्राप्त हो गया। मिजोरम में अब तक कुल तीन बार मौतम अकाल आ गया चूका है। पहला मौतम - ब्रिटिश शासन काल 1911-1912 के बीच, दूसरा - 1958-1960 के बीच जिसका अभी हम ज़िक्र कर रहे थे। और तीसरा - 2007 - 2008 के बीच।
राजनीति
[संपादित करें]भारत की संसद में प्रतिनिधित्व हेतु मिज़ोरम राज्य में केवल एक ही लोकसभा सीट है। मिज़ोरम की विधानसभा में 40 सीटें हैं।[7] सी॰ एल॰ रुआला यहाँ के वर्तमान सांसद हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध हैं।[8][9]यहां की राजनीति में मिज़ो नेशनल फ्रंट प्रमुख राजनीतिक दल है। जिसके मुखिया जोरमथांगा हैं।
जिले
[संपादित करें]मिज़ोरम में ८ जिले हैं-
मिजोरम के ८० प्रतिशत लोग कृषि कार्यो में लगे हैं। कृषि की मुख्य प्रणाली झूम या स्थानांतरित कृषि हैं। अनुमानित २१ लाख हेक्टेयर भूमि में से ६.३० लाख हेक्टेयर भूमि बागवानी के लिए उपलब्ध है। वर्तमान में ४१२७.६ हेक्टेयर क्षेत्र पर ही विभिन्न फसलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का मात्र ६.५५ प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि मिज़ोरम में बागवानी फसलों के फलने-फूलने की विस्तृत संभावनाएं हैं। बागवानी की मुख्य फसलें फल हैं। इनमें मैडिरियन संतरा, केला, सादे फल, अंगूर, हटकोडा, अनन्नास और पपीता आदि सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त यहां एंथुरियम, बर्ड ऑफ पेराडाइज, आर्किड, चिरासेथिंमम, गुलाब तथा अन्य कई मौसमी फूलों की खेती होती हैं। मसालों में अदरक, हल्दी, काली मिर्च, मिर्चे (चिडिया की आँख वाली मिर्चे) भी उगाए जाते हैं। यहां के लोग पाम आयल, जड़ी-बूटियों तथा सुगंध वाले पौधों की खेती भी बड़े पैमाने पर करने लगे हैं।
सिंचाई
[संपादित करें]मिज़ोरम में संभावित भूतल सिंचाई क्षेत्र लगभग ७०,००० हेक्टेयर है। इसमें से ४५,००० हेक्टेयर बहाव क्षेत्र में है और २५,००० हेक्टेयर ७० पक्की लघु सिंचाई परियोजनाओं और छः लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने से प्राप्त किया जा सकता है, जिसमे वर्ष में दो या तीन फसलें ली जा सकती हैं।
उद्योग
[संपादित करें]संपूर्ण मिज़ोरम अधिसूचित पिछड़ा क्षेत्र है और इसे ‘उद्योगविहीन क्षेत्र’ के अर्न्तगत वर्गीकृत किया गया है। १९८९ में मिज़ोरम सरकार की औद्योगिक नीति की घोषणा के बाद पिछले दशक में यहां थोड़े से आधुनिक लघु उद्योगों की स्थापाना हुई है। मिज़ोरम उद्योगों को और तेज़ी से बढ़ाने के लिए वर्ष २००० में नई औद्योगिक नीति की घोषणा की गई। इनमें इलेक्ट्रॉनिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी, बांस तथा इमारती लकड़ी पर आधारित उत्पाद, खाद्य तथा फलों का प्रसंस्करण, वस्त्र, हथकरघा तथा हस्तशिल्प सम्मिलित हैं।
औद्योगिक नीति में राज्य से बाहर के निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐसे सभी बड़े, मध्यम तथा लघु पैमाने के उद्योगों, जिनमें कि स्थानीय लोग भागीदारी हों, की स्थापना के लिए साझे उपक्रम लगाने की अनुमति दी गई है। विद्यमान औद्योगिक संपदाओं के उन्नयन के अतिरि्त संरचनात्मक विकास कार्य जैसे कि लुंआगमुआल, आइज़ोल में औद्योगिक प्रोत्साहन संस्थान (आईआईडीसी), निर्यात प्रोत्साहन औद्योगिक पार्क, लेंगरी, एकीकृत संचनात्मक केद्र (आईआईडीसी), पुकपुई, लुंगत्तेई तथा खाद्य पार्क, छिंगछिप आदि पूर्ण होने वाले है।
चाय की वैज्ञानिक ढंग से खेती आरंभ की गई है। निर्यातोन्मुखी औद्योगिक इकाइयों (ईओयूज) की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए एप्परेल प्रशिक्षण तथा डिजाइन केंद्र तथा रत्नों की कटाई तथा पॉलिश करने की इकाइयां लगाने की योजना है। कुटीर उद्योगों में हथकरधा तथा स्तशिल्प को उच्च प्राथमिकता दी जाती है तथा ये दोनो क्षेत्र मिज़ोरम तथा इसके पड़ोसी राज्यों मेघालय तथा नागालैंड में उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए फल-फूल रहे हैं।
राज्य की शांतिपूर्ण स्थिति, म्यांमार तथा बंग्लादेश की सीमाओं के व्यापार के लिए खुलने तथा भारत के सरकार की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ के कारण मिज़ोरम अब और अधिक समय तक देश के दूरस्थ होने का राज्य मात्र नहीं बना रहेगा। इन सब बातों से निकट भविष्य में मिज़ोरम में औद्योगिक की गति में भारी तेजी आएगी।
बिजली
[संपादित करें]तुईरियाल पनबिजली परियोजना (६० मेगावाट) का निर्माण कार्य प्रगति पर है। कोलोडाइन पनबिजली परियोजना (५०० मेगावाट) का सर्वेक्षण तथा अनवेषण कार्य सी.डब्ल्यू.सी. द्वारा दिंसबर २००५ तक पूरा कर लिया गया है। इस उपक्रम से ५०० मेगावाट बिजली के उत्पादन के अतिरिक्त क्षेत्र में जल परिवहन की सुविधाएं प्राप्त होंगी। मिजोरम सरकार ने इस परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। तीन मेगावाट क्षमता की तुईपांगुली तथा काऊतलाबंग राज्य पनबिजली परियोजनाओं को हाल में ही चालू किया गया है जिसने राज्य की पनबिजली उत्पादन क्षमता को १५ मेगावाट कर दिया है। मेशम-II (३ मेगावाट), सेरलुई ‘बी’ (१२ मेगावाट) तथा लामसियाल चालू होने की आशा है।
परिवहन
[संपादित करें]राज्य में सड़कों (सड़क सीमा संगठन तथा राज्य लोक निर्माण विभाग) की कुल लंबाई ५,९८२.२५ किलोमीट है। राज्य में बैराबी में रेलमार्ग स्थापित किया गया है। राज्य की राजधानी आइज़ोल विमान सेवा से जुड़ी है। बेहतर परिवहन सुविधा के लिए सरकार ने विश्व बैंक के अनुदान की सहायता से कुल ३.५ अरब (३५० करोड़) रूपये की लागत से मिज़ोरम राज्य सड़क परियोजना आरंभ की है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अर्न्तगत मिज़ोरम में ३८४ गांव नव पग
त्योहार
[संपादित करें]मिज़ो लोग मूलत: किसान हैं। अत: उनकी सारी गतिविधियां तथा त्योहार भी वनों की कटाई करके की जाने वाली झूम खेती से ही जुड़े है। त्योहार के लिए मिज़ो शब्द ‘कुट’ है। मिज़ो लोगों के विभिन्न त्योहारों में से आजकल केवल तीन मुख्य त्योहार ‘चेराव’, ‘मिम कुट’ और ‘थालफवांगकुट’ मनाए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त यहाँ की अधिसंख्य जनसंख्या ईसाइ है, इसलिए क्रिसमस का त्योहार भी यहाँ मनाया जाता है। यहाँ बौद्ध और हिन्दू समुदायों के लोग भी रहतें है जो अपने-२ त्योहारों को मनाते हैं
पर्यटन स्थल
[संपादित करें]समुद्र तल से लगभग ४,००० फुट की उंचाई पर स्थित पर्वतीय नगर आइज़ोल, मिज़ोरम का एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। म्यांमार की सीमा के निकट चमफाई एक सुंदर पर्यटन स्थल है। तामदिल एक प्राकृतिक झील है जहां मनोहारी वन हैं। यह आइज़ोल से ८० किलोमीटर और पर्यटक स्थल सैतुअल से १० किलोमीटर की दूरी पर है। वानतांग जलप्रपात मिज़ोरम में सबसे ऊंचा और अति सुंदर जलप्रपात है। यह थेनजोल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है। पर्यटन विभाग ने राज्य में सभी बड़े कस्बों में पर्यटक आवास गृह तथा अन्य कस्बों में राजमार्ग रेस्त्रां तथा यात्री सरायों का निर्माण किया है। जोबौक के निकट जिला पार्क में अल्पाइन पिकनिक हट तथा बेरो त्लांग में मनोरंजन केंद्र भी बनाए गए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- ↑ "AREA AND POPULATION - Statistical Year Book India 2017 | Ministry of Statistics and Program Implementation | Government Of India". www.mospi.gov.in. मूल से 4 August 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 February 2020.
- ↑ "Ministry of Development of North Eastern Region, North East India". mdoner.gov.in. अभिगमन तिथि 24 February 2021.
- ↑ "Mizoram Ki Jansankhya - मिजोरम की जनसंख्या, जाति, धर्म, साक्षरता दर। 2011" (अंग्रेज़ी में). 2023-11-09. मूल से 27 जुलाई 2024 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-07-28.
- ↑ "Mizoram Ki Jansankhya - मिजोरम की जनसंख्या, जाति, धर्म, साक्षरता दर। 2011" (अंग्रेज़ी में). 2023-11-09. मूल से 27 जुलाई 2024 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-07-27.
- ↑ Sajnani, Encyclopaedia of Tourism Resources in India, Volume 1, ISBN 81-78350173, page 241
- ↑ "मिजोरम भारत का 23वां राज्य होगा". अभिगमन तिथि 5 अगस्त 2005.
- ↑ "Election Commission of India". Election Commission of India. मूल से 27 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019.
- ↑ "भारतीय चुनाव आयोग की अधिसूचना, नई दिल्ली" (PDF). मूल से 30 जून 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2014.
- ↑ "Constituencywise-All Candidates". मूल से 18 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 मई 2014.
- ↑ "Distribution of the 22 Scheduled Languages". Census of India. Registrar General & Census Commissioner, India. 2001. मूल से 16 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 January 2014.
- ↑ "Census Reference Tables, A-Series - Total Population". Census of India. Registrar General & Census Commissioner, India. 2001. मूल से 13 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 January 2014.
- ↑ [1] Archived 2016-08-11 at the वेबैक मशीन Census 2011 Non scheduled languages