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गोवालपारा जिला

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गोवालपारा ज़िला
গোৱালপাৰা জিলা
Goalpara district
मानचित्र जिसमें गोवालपारा ज़िला গোৱালপাৰা জিলা Goalpara district हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी : गोवालपारा
क्षेत्रफल : 1,824 किमी²
जनसंख्या(2011):
 • घनत्व :
10,08,959
 550/किमी²
उपविभागों के नाम: विधान सभा सीटें
उपविभागों की संख्या: ?
मुख्य भाषा(एँ): असमिया


गोवालपारा भारतीय राज्य असम का एक जिला है। जिले का मुख्यालय गोवालपारा है। क्षेत्रफल - वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - (2001 जनगणना) गोवालपारा असम का बहुत ही खूबसूरत जिला है। इस जिले की स्थापना 1983 ई॰ में की गई थी। पर्यटकों के देखने और करने के लिए यहाँ पर बहुत कुछ है। पर्यटक यहाँ पर कई ऐतिहासिक विरासतों और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों को देख सकते हैं।

यह एक मैदानी क्षेत्र है लेकिन यहाँ कई छोटी-छोटी पहाड़ियाँ भी हैं। इन पहाड़ियों की ऊंचाई 100-500 मी॰ है। इन पहाड़ियों के नाम पंचरत्न, श्री सुरज्या, तुर्केश्वरी और नालंगा हैं। पहाड़ियों के अलावा पर्यटक यहाँ पर अनेक नदियों को भी देख सकते हैं।

इन नदियों में ब्रह्मपुत्र नदी प्रमुख है। बाकी अन्य इसकी सहायक नदियाँ हैं। इन सहायक नदियों में दूधनोई, कृष्णाई, जिंजीराम और जिनारी प्रमुख हैं। इनमें से दूधनोई और कृष्णाई मेघालय की चोटियों से निकलती हैं और मतिया में मिलती हैं। संगम के बाद यह एक नदी बन जाती है और इसे मोरनोई के नाम से जाना जाता है।

आगे चलकर मोरनोई ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। पहाड़ों व नदियों के साथ-साथ इसकी झीलें भी बहुत खूबसूरत हैं। स्थानीय निवासी इन झीलों को बील नाम से पुकारते हैं। इसकी प्रमुख झीलों के नाम उरापद बील, हसिला बील, कुमरी बील और धामर रिसान बील है। झीलों के अलावा यहाँ कई तालाब भी बनाए गए हैं। यह तालाब भी बहुत खूबसूरत हैं। इसके पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए असम सरकार यहाँ पर कई वन्‍यजीव अभ्‍यारणय बनाने वाली है।

मुख्य नदियाँ

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ब्रह्मपुत्र, मोरनाई, जिंजीम

मुख्य आकर्षण

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हूलूकुण्ड़ा पहाड़

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यह गोवालपारा जिले में स्थित एक खूबसूरत पहाड़ी है। ब्रिटिश काल में यहाँ पर अनुमण्डलाधिकारी का दफ्तर था। इस पहाड़ से पूर गोवालपारा के खूबसूरत और मनोहारी दृश्य देखा जा सकता हैं। विशेषरूप से ब्रह्मपुत्र नदी और नारायण सेतू के खूबसूरत दृश्य देखना पर्यटकों को बहुत भाता है।

कुमरी बील

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कुमरी बील गोवालपारा के उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित अत्यंत खूबसूरत प्राकृतिक झील है। यह गोवालपारा से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस झील के पास ही नारायण सेतू और पगलाटेक मन्दिर भी है। झील से नारायण सेतू 1 किलोमीटर की दूरी पर और पगलाटेक मन्दिर 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पगलाटेक मन्दिर एक ऐतिहासिक विरासत है। यह बहुत खूबसूरत है। पर्यटक यहाँ पर वाटर स्पोट्स का आनंद भी ले सकते हैं। यहाँ के पर्यटन उद्योग में असीम संभावनाएं हैं। इसीलिए यहाँ के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए असम सरकार यहाँ पर कई नई परियोजनाओं को शुरू कर रही है। कुमरी बील तक पर्यटक आसानी से बिना किसी परशानी के पहुंच सकते हैं।

देखधोवा

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देखधोवा श्री श्री सुरज्या पहाड़ से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसको पहाड़ सिंह के नाम से भी जाना जाता है। इसके पास ही ब्रह्मपुत्र नदी भी बहती है। ब्रह्मपुत्र देखने के बाद पर्यटक यहाँ से कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों तक आसानी से पहुंच सकते हैं। देखधोवा के पास ही रायखासिनी पहाड़, नंदेश्वर देवालय और सैनिक स्कूल स्थित है।

बाराड़ा चिबनांग

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मेघालय में स्थित बाराड़ा चिबनांग बहुत ही खूबसूरत स्थान है। यह गोवालपारा के बिल्कुल पास स्थित है। यहाँ तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। पिकनिक मनाने के लिए यह स्थान बेहद उम्दा और खूबसूरत है। पर्यटक कभी भी यहाँ पर पिकनिक मनाने आ सकते हैं।

श्री श्री सुरज्या पहाड़

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गोवालपारा से श्री श्री सुरज्या पहाड़ 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोवालपारा से इस पहाड़ तक जाने के रास्ते में मोरनोई और सैनिक स्कूल भी आते हैं। इस पहाड़ पर पर्यटक अनेक देवी-देवताओं की अत्यंत सुन्दर प्रतिमाओं को देख सकते हैं। इन प्रतिमाओं में दुर्गा, गणेश, सूरज, चन्द्रमा और बुद्ध की प्रतिमाएं प्रमुख हैं। कुल मिलाकर यहाँ पर 107 प्रतिमाएं हैं। यह सभी प्रतिमाएं बहुत खूबसूरत हैं। असम के माघ बिहु में पूर्णिमा के दिन यहाँ पर तीन दिन तक मेले का आयोजन भी किया जाता है।

श्रीमंत शंकर मठ

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यह मठ मध्यकालीन वैष्णव संत श्री श्रीमंत शंकर देव को समर्पित है। इसका निर्माण 11 फ़रवरी 1979 ई॰ को पूरा हुआ था। मठ में शंकर देव की एक अस्थि भी रखी हुई है। इसको पूटा अस्थि के नाम से जाना जाता है। श्री शंकर देव का मठ गोवालपारा शहर के हृदय तिलपाड़ा में स्थित है।

श्री चैतन्य गौड़ीय मठ

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श्रीमंत मठ के पास ही एक मठ और है। इस मठ का नाम श्री चैतन्य गौड़ीय मठ है। यह मठ भी तिलपाड़ा में ही स्थित है। इस मठ का उद्घाटन ॐ विष्णुपाद 108 श्री श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी ने 1969 ई॰ में किया था।