बमराडी सावली-५, थलीसैंण तहसील

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कुनबी पटेल की राखी पर्व का इतिहास

सैकड़ो वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज राना कालमिनजी का गुजरात के ठटानगर नीमड़ी पर राज कर रहे थे,

तब उस समय के बादशाह शहाबुद्दीन गौरी ने गुजरात देश का दौरा किया ओर राना कालमिननी की लड़की फुलकुवर बाई की सुंदरता और शौर्य के बारे में सुना और राजा के पास संदेश भिजवाया की आपकी लड़की की मुझसे शादी करो या युद्ध करो तब राजा ने अपने सगे संबंधियों से चर्चा कर निर्णय लिया कि हम युद्ध करेंगे चाहे जो भी हो, ओर वापिस संदेश भिजवाया की तुम जात के मुसलमान, ओर सूर्यवंशी राजपूत हम हमारी बेटी तो क्या उसकी दासी से आपकी शादी नही करेंगे

तब बादशाह ने ठठानगर नीमड़ी शहर पर अपनी फ़ौन के साथ चढ़ाई कर दी, युद्ध आठ दिन तक चला राजा कालमिननी शहीद हो गए, उनके साथ ही उनके भाई बन्धु भी शहीद हो गए

परिवार में कोई मार्गदर्शक नही होने के कारण फुलकुवर बाई ने अपने हाथ मे युद्ध की बागडोर ली और -ढ़ता पूर्वक लड़ी जब चारो ओर से घिर जाने के कारण श्रावण सुदी पूर्णिमा के दिन हमारी फुलकुवर बाई के आत्मघात कर लिया

उस दिन से हमारी यानी कुनबी पटेल समाज की राखी ओटण हो गई उस दिन से हम एक दिन पूर्व यानी श्रावण सुदी चौदस के दिन से हम राखी (रक्षाबंधन) का त्योहार मनाते है हिदुत्व की रक्षा करने के लिए अपने

प्राणों की आहुति देने वाले हमारे समस्त

पूर्वजो को कोटि कोटि नमन

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • गुजरात का इतिहास
  • कुनबी समाज का इतिहास

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]