सामग्री पर जाएँ

विराग सागर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

विराग सागर जी एक दिगम्बर जैन साधु थे।

आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज
नाम (आधिकारिक) आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज
व्यक्तिगत जानकारी
जन्म नाम अरविन्द
जन्म 2 May 1963
पथरिया जिला- दमोह (म.प्र.)
निर्वाण 04 July 2024
Jalna, Maharashtra
माता-पिता श्री कपूरचंदजी और श्रीमती श्यामा देवी
शुरूआत
सर्जक आचार्य श्री विमलसागरजी

'विराग सगर जी' का जन्म २ मई ,१९६३ को [पथरिया] जिला दमोह (म.प्र) मे हुआ था |

उनके पिता का नाम श्री कपूरचंद जी (समाधिस्थ क्षुल्लक श्री विश्ववन्ध सागर जी) व माता का नाम श्रीमती श्यामा देवी (समाधिस्थ श्री विशांत श्री माता जी) है |

आचार्य श्री १०८ सन्मति सागर जी महाराज द्वारा [क्षुल्लक] दीक्षा (२ फरवरी १९८० ग्राम बुढार ,जिला-शहडोल ,म.प्र.) एवम्ं 

आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी महाराज द्वारा मुनि [दीक्षा] (९ दिसंबर १९८३ औरंगाबाद)


एवमं आचार्य पद (८ नवम्बर १९९२ सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जिला [छतरपुर]) प्राप्त किया



आचार्य श्री एक सृजनशील गणेषक तथा चिन्तक है।अपने गहरे चिंतन की छाप प्रकट करने वाला उनका साहित्य निम्न उल्लेखित है- शुद्धोपयोग ,आगम चकखू साहू ,सम्यक दर्शन ,सल्लेखना से समाधि ,तीर्थंकर ऐसे बने,कर्म विज्ञान भाग १ व् २ ,चैतन्य चिंतन ,साधना,आरधना आदि|

शिष्य गण

[संपादित करें]

२२७ दीक्षित साधु (आचार्य ९ ,मुनि ८३ ,गणिनी ४ ,आर्यिका ६९ , क्षुल्लक २५ , एलक ५ , क्षुल्लिका २५)

आचार्य विमर्श सागर, आचार्य विशुध्द सागर, आचार्य विशद सागर, आचार्य विभव सागर, आचार्य विहर्ष सागर ,आचार्य विनिश्चय सागर व आचार्य विमद सागर सात आचार्य है |