पूज्यपाद
पठन सेटिंग्स
आचार्य पूज्यपाद विक्रम सम्वत की छठीं और ईसा की पाँचवीं शती के बहुश्रुत विद्वान एवं श्वेतांबर जैन आचार्य हैं। जैन मुनि बनने से पूर्व इनका नाम देवनन्दि था।
- ये तार्किक, वैयाकरण, कवि और स्तुतिकार हैं।
- तत्त्वार्थसूत्र पर लिखी गयी विशद व्याख्या सर्वार्थसिद्धि में इनकी दार्शनिकता और तार्किकता अनेक स्थलों पर उपलब्ध होती है।[1]
- इनका एक न्याय-ग्रन्थ 'सार-संग्रह' रहा है, जिसका उल्लेख श्वेतांबर जैन आचार्य वीरसेन ने किया है और उनमें दिये गये नयलक्षण को धवला-टीका में उद्धृत किया है।
- इष्टोपदेश- [1]
- जैनेन्द्रव्याकरण, समाधिशतक, निर्वाणभक्ति आदि अनेक रचनाएँ भी इन्होंने लिखी हैं
सन्दर्भ
[संपादित करें]सन्दर्भ ग्रंथ
[संपादित करें]- Jain, Vijay K (2014-03-26), Acarya Pujyapada's Istopadesa – the Golden Discourse, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788190363969, मूल से 12 अप्रैल 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 9 फ़रवरी 2016
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