जैन मूर्तियाँ
जैन धर्म के अनुयाइयों द्वारा पूजनीय मूर्तियां जैन मूर्तियां कहलाती है। जैन धर्मावलम्बियों द्वारा २४ तीर्थंकरों की मूर्तियाँ या प्रतिमाएँ पूजी जाती हैं। जैन तीर्थंकरों के वक्ष के मध्य में श्रीवत्स होता है। प्रायः सिर के ऊपर तीन छत्र होते हैं। जैन धर्म के देवताओं में 21 लक्षणों का वर्णन आता है। जिसमें धर्म, चक्र, चँवर, सिंहासन, तीन क्षत्र, अशोक वृक्ष आदि प्रमुख है।
जैन धर्म |
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प्रार्थना |
मुख्य व्यक्तित्व |
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खुदाई से प्राप्त हुई जैन मूर्तियाँ
[संपादित करें]सिरपुर से
[संपादित करें]सिरपुर में उत्खनन से मिले तीन जैन विहार सात वाहन काल के भी नीचे की सतह से मिले हैं। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि बौद्घ धर्म के आगमन से पूर्व ही सिरपुर में जैन धर्म के अनुयायी आ गए थे। ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी न सही तो भी ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में जब सिरपुर में व्यापार चरम सीमा पर था तो वहाँ जैन धर्म की स्थापना हो चुकी थी। सिरपुर में पार्श्वनाथ की प्रतिमा मिलने से ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी या भगवान पार्श्वनाथ के समय से ही सिरपुर में जैन धर्म का प्रादुर्भाव हो चुका था। यद्यपि सिरपुर में उत्खनन से अभी तक छठवीं शताब्दी तक के प्रमाण मिले हैं। [1]
मध्य प्रदेश
[संपादित करें]२०१५ में दमोह-सागर रोड पर सड़क किनारे ५ जैन मूर्तियाँ मिली थी।[2] -ronak news
रूपांतरण
[संपादित करें]जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर की एक मूर्ति, तमिलनाडु में कोयम्बटूर जिले में Puliyankandi गांव के निकट अलियार बांध के किनारे पर एक हिंदू अम्मान (देवी माँ) की मूर्ति में तब्दील कर दिया गया है, एक विद्वान ने कहा| मूल मूर्ति, लगभग सातवीं शताब्दी की है। महावीर पद्मासन मुद्रा में है। K.T. गंधिराजन, कला के इतिहास में माहिर हैं और तमिलनाडु में कई रॉक कला साइटों में पाया गया है, जो , ३५ से अधिक जगहों पर इसी तरह तीर्थंकर मूर्ति का रूपांतरण किया गया है। उसिलमपट्टी, निकट Puthurmalai, एक जैन स्थल पर तीर्थंकर महावीर, आदिनाथ और पार्श्वनाथ की तीन बस राहत की मूर्तियां है। लेकिन वे ब्रह्मा, विष्णु और शिव की मूर्तियों के रूप में तब्दील कर दिया गया है। विष्णु और शिव खेल सिंदूर (कुमकुम) और पवित्र राख। तीन और सिर यह ब्रह्मा की तरह लग रहे बनाने के लिए मूर्तियों में से एक को नहीं जोड़ा जा सकता है, तमिल में एक पौराणिक कथा ब्रह्मा के रूप में यह दावा करता है, उन्होंने कहा। [3]
चोरी
[संपादित करें]सिंगोली से 15 किमी दूर ग्राम झांतला में दिगंबर जैन मंदिर से 14 दिसंबर की रात चोर 550 वर्ष पुरानी 12 मूर्तियाँ चुरा ले गए। चोर मंदिर का ताला तोड़कर घुसे थे। [4] मुरैना के अम्बाह विकासखंड के बरेह गाँव स्थित प्राचीन जैन मंदिर से चोर कुछ दिन पूर्व अष्टधातु की छः मूर्तियाँ व चाँदी के तीन छत्र चुरा ले गए। भगवान पार्श्वनाथ की अष्टधातु से बनीं कुछ मूर्ति 600 वर्ष पुरानी हैं तथा कुछ मूर्ति 500 वर्ष पुरानी हैं।[5] उदयपुर 23 सितम्बर : कुराबड़ थाना क्षेत्र के वाली गाँव में दिनांक 15.09.13 को दिगम्बर आदिनाथ भगवान् के जैन मंदिर स्तिथ परिसर से 9 अष्ठ धातु पीतल की मूर्तियाँ चोरी हो गयीं थीं। [6] महाराष्ट्र के मालेगाँव तालुका स्थित एक जैन मंदिर से गत रात विभिन्न देवी देवताओं की 23 मूर्तियाँ चोरी हो गईं। [7]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 5 मार्च 2016. Retrieved 14 जून 2020.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 10 जनवरी 2015. Retrieved 10 जनवरी 2015.
- ↑ http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/metamorphosis-of-a-mahavira-image/article1866338.ece
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 4 मार्च 2016. Retrieved 14 जून 2020.
- ↑ http://hindi.webdunia.com/religion-news/जैन-मंदिर-से-छः-मूर्तियाँ-चोरी-109112400019_1.htm
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 26 सितंबर 2013. Retrieved 14 जून 2020.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 5 मार्च 2016. Retrieved 14 जून 2020.