अ-ब-स

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

सूरा अ- ब- स (इंग्लिश: Abasa) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 80 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 22 आयतें हैं।

नाम[संपादित करें]

इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अ़- ब- स [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अ़बस[2] नाम दिया गया है।

नाम पहले ही शब्द “अ़- ब- स" (त्यौरी चढ़ाई) को इस सूरा का नाम दिया गया है।

अवतरणकाल[संपादित करें]

मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।

टीकाकारों और हदीस-शास्त्रियों ने एकमत होकर इस सूरा के अवतरण का कारण यह बताया है कि एक बार अल्लाह के रसूल (सल्ल.) की सभा में मक्का मुअज़्ज़मा के कुछ बड़े सरदार बैठे हुए थे और नबी (सल्ल.) उन्हें इस्लाम को स्वीकार करने पर तैयार करने की कोशिश कर रहे थे। इतने में इब्ने उम्मे मकतूम (रजि.) नामक एक नेत्रहीन व्यक्ति नबी (सल्ल.) की सेवा में उपस्थित हुए और उन्होंने आप (सल्ल.) से इस्लाम के सम्बन्ध में कुछ पूछना चाहा। नबी (सल्ल.) को उनका यह हस्तक्षेप अप्रिय लगा और आपने उनसे बेरुखी बरती। इसपर अल्लाह की ओर से यह सूरा अवतरित हुई। इस ऐतिहासिक घटना से इस सूरा का अवतरणकाल आसानी से निश्चित हो जाता है।

प्रथम यह कि यह बात सिद्ध है कि हज़रत इब्ने उम्मे मकतूम बिलकुल आरम्भिक काल के इस्लाम लानेवालों में से हैं। दूसरे यह कि हदीस के जिन उल्लेखों में यह घटना वर्णित हुई है उनमें से कुछ से मालूम होता है कि उस समय वे इस्लाम ला चुके थे और र कुछ उल्लेखों से ज़ाहिर होता है कि इस्लाम की ओर उन्मुख हो चुके थे और सत्य की खोज में नबी (सल्ल.) के पास आए थे। तीसरे यह कि नबी (सल्ल.) की मजलिस में जो लोग उस समय बैठे थे, विभिन्न उल्लेखों में उनके नाम भी ज़ाहिर किए गए हैं । इस सूची में हम उतबह, शैबह, अबू जल, उमैया बिन ख़लफ़ और उबई बिन ख़लफ़ जैसे इस्लाम के निकृष्ट बैरियों के नाम मिलते हैं। इससे मालूम होता है कि यह घटना उस समय घटित थी जब अल्लाह के रसूल (सल्ल.) के साथ इन लोगों का मेल-जोल अभी बाक़ी था और संघर्ष इतना भी नहीं बढ़ा था कि आपके यहाँ उनके आने-जाने और आपके साथ उनकी मुलाक़ातों का सिलसिला बन्द हो गया हो। ये सब बातें प्रमाणित करती हैं कि यह सूरा अत्यन्त आरम्भिक काल की अवतरित सूरतों में से है।

विषय और वार्ता[संपादित करें]

इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि देखने में इस सूरा में नबी (सल्ल.) पर रोष प्रकट किया गया है, किन्तु पूरी सूरा पर सामूहिक रूप से विचार करने पर मालूम होता है कि वास्तव में रोष कुरैश के काफ़िरों के उन सरदारों पर प्रकट किया गया है जो अपने अहंकार और हठधर्मी और सत्यता से लापरवाही के कारण अल्लाह के रसूल (सल्ल.) के सत्यप्रचार को उपेक्षापूर्वक रद्द कर रहे थे, और (जहाँ तक नबी (सल्ल.) का सम्बन्ध है, आपको केवल प्रचार का सही तरीक़ा बताया गया है। आपने नेत्रहीन से बेरुखी की और कुरैश के सरदारों की ओर उन्मुख होने की उस समय जो नीति अपनाई थी उस का प्रेरक सर्वथा शुचिता और निस्सवार्थता और सत्य के आह्वान को प्रचारित एवं प्रसारित करने का भाव था न कि बड़े लोगों का सम्मान और छोटे लोगों की उपेक्षा का विचार। लेकिन अल्लाह ने आपको समझाया कि इस्लामी आह्वान का सही तरीक़ा यह नहीं है, बल्कि इस आह्वान के दृष्टिकोण से आपके ध्यान देने के वास्तविक पात्र वे लोग हैं जिनमें सत्य को स्वीकार करने की तत्परता पाई जाती हो, और आप और आपके उच्च आह्वान की प्रतिष्ठा से यह बात गिरी हुई है कि आप उसे उन अहंकारी लोगों के समक्ष रखें जो अपनी बड़ाई के घमंड में यह समझते हों कि उनको आपकी नहीं बल्कि आपको उनकी ज़रूरत है। यह सूरा के आरम्भ से आयत 16 तक का विषय है। तदनन्तर आयत 17 से प्रत्यक्षतः रोष का रुख़ उन काफ़िरों की ओर फिर जाता है जो अल्लाह के रसूल (सल्ल.) के आह्वान को रद्द कर रहे थे।

सुरह "अ ब स का अनुवाद[संपादित करें]

बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।

इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:

क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [3]"मुहम्मद अहमद" ने किया।

बाहरी कडियाँ[संपादित करें]

इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें


पिछला सूरा:
अन-नाज़िआत]]
क़ुरआन अगला सूरा:
अत-तकविर
सूरा 80 - अ ब स

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114


इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. सूरा अ़- ब- स,(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. पृ॰ 946 से.
  2. "सूरा अ़बस का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. मूल से 22 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  3. "Abasa सूरा का अनुवाद". http://tanzil.net. मूल से 25 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  4. "Quran Text/ Translation - (92 Languages)". www.australianislamiclibrary.org. मूल से 30 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 March 2016.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]