अल-हुमज़ह
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क़ुरआन |
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विषय-वस्तु (अवयव) |
सूरा अल-हुमज़ह (इंग्लिश: Al Humazah) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 104 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 9 आयतें हैं।
नाम
[संपादित करें]इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल-हु-म-ज़ह [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-हु-म-ज़ह [2] नाम दिया गया है।
नाम पहली आयत के शब्द “अल-हु-म-ज़ह" (ताना मारने वाला ) को इसका नाम दिया गया है।
अवतरणकाल
[संपादित करें]मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।
इसके मक्की होने पर समस्त टीकाकार सहमत हैं। और इसकी वार्ता और वर्णन शैली पर विचार करने से प्रतीत होता है कि यह भी मक्का के आरम्भिक काल में अवतरित होने वाली सूरतों में से है।
विषय और वार्ता
[संपादित करें]इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि इसमें कुछ ऐसी नैतिक बुराइयों की निंदा की गई है जो अज्ञानकालीन समाज में धन के लोभी मालदारों में पाई जाती थीं। इस घृणित चरित्र को प्रस्तुत करने के पश्चात् यह बताया गया है कि परलोक में उन लोगों का क्या परिणाम होगा जिनका यह चरित्र है। ये दोनों बातें ऐसे ढंग से बयान की गई है कि जिससे श्रोता की बुद्धि स्वयं इस निष्कर्ष पर पहुँच जाए कि इस तरह के चरित्र का यही परिणाम होना चाहिए और क्योंकि दुनिया में ऐसे चरित्रवालों को कोई दण्ड नहीं मिलता, बल्कि ये फलते - फूलते ही दीख पड़ते हैं, इसलिए परलोक का प्रादुर्भाव निश्चय ही अवश्यम्भावी है। इस सूरा को यदि उन सूरतों के क्रम में रखकर देखा जाए जो सूरा 99 (ज़िलज़ाल) से यहाँ तक चली आ रही हैं, तो आदमी भली-भाँति यह समझ सकता है कि मक्का मुअज़्ज़मा के आरम्भिक काल में किस तरीके से इस्लाम की धारणाओं और उसकी नैतिक शिक्षाओं को लोगों के मन में बिठाया गया था।
सुरह "अल-हुमज़ह का अनुवाद
[संपादित करें]बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।
इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:
क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [3]"मुहम्मद अहमद" ने किया:
بسم الله الرحمن الرحيم
तबाही है हर कचो के लगाने वाले, ऐब निकालने वाले के लिए,(104:1) जो माल इकट्ठा करता और उसे गिनता रहा (104:2) समझता है कि उसके माल ने उसे अमर कर दिया (104:3) कदापि नहीं, वह चूर-चूर कर देनेवाली में फेंक दिया जाएगा, (104:4) और तुम्हें क्या मालूम कि वह चूर-चूर कर देने वाली क्या है? (104:5) वह अल्लाह की दहकाई हुई आग है, (104:6) जो झाँक लेती है दिलों को (104:7)वह उन पर ढाँक कर बन्द कर दी गई होगी, (104:8) लम्बे-लम्बे स्तम्भों में (104:9)
बाहरी कडियाँ
[संपादित करें]इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें
- क़ुरआन के अनुवाद 92 भाषाओं में Archived 2020-07-30 at the वेबैक मशीन [4]
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सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ सूरा अल-हु-म-ज़ह,(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. p. 1018 से.
- ↑ "सूरा अल्-हु-म-ज़ह का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. Archived from the original on 22 जून 2020. Retrieved 16 जुलाई 2020.
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: External link in
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- ↑ "Al Humazah सूरा का अनुवाद". http://tanzil.net. Archived from the original on 25 अप्रैल 2018. Retrieved 15 जुलाई 2020.
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: External link in
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- ↑ "Quran Text/ Translation - (92 Languages)". www.australianislamiclibrary.org. Archived from the original on 30 जुलाई 2020. Retrieved 15 March 2016.