"मऊ, उत्तर प्रदेश": अवतरणों में अंतर

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तथा उत्तरी सीमा से घाघरा नदी बहती है।
तथा उत्तरी सीमा से घाघरा नदी बहती है।

मऊ से 86किलोमीटर दूर उत्तर देवरिया जिले में सुप्रसिद्ध पार्टी , युवा भारतीय संघ के संस्थापक/अध्यक्ष शिवानन्द मिश्र, पुत्र आचार्य पंडित केशव मिश्र का निवास स्थान है जो ग्राम सोन्दा के रहने वाले है.. इस पार्टी के उपाध्यक्ष चन्दन मिश्र (जिला बलिया) है


मऊ जिला का बहुत ही गर्वशाली इतिहास रहा है।पांडवो के वनवास के समय वो मऊ जिले में भी आये थे,आज वो स्थान खुरहत के नाम से जाना जाता है। तथा उत्तरी सीमा पर बसे छोटा सा शहर दोहरीघाट जहा पर राम और परशुराम जी मीले थे।
मऊ जिला का बहुत ही गर्वशाली इतिहास रहा है।पांडवो के वनवास के समय वो मऊ जिले में भी आये थे,आज वो स्थान खुरहत के नाम से जाना जाता है। तथा उत्तरी सीमा पर बसे छोटा सा शहर दोहरीघाट जहा पर राम और परशुराम जी मीले थे।

14:37, 18 नवम्बर 2018 का अवतरण


मऊनाथ भंजन
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मऊ
जनसंख्या 2,10,071 (2001 के अनुसार )
लिंगानुपात 947 (as of 1991) /

निर्देशांक: 26°N 83°E / 26°N 83°E / 26; 83 मऊ उत्तर प्रदेश के मऊ जिले का मुख्यालय है। इसका पूर्व नाम 'मऊनाथ भंजन' था। यह जिला लखनऊ के दक्षिण-पूर्व से 282 किलोमीटर और आजमगढ़ के पूर्व से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर तमसा नदी के किनारे बसा है। तमसा नदी शहर के बीच से निकलती/गुजरती है।

तथा उत्तरी सीमा से घाघरा नदी बहती है।

मऊ से 86किलोमीटर दूर उत्तर देवरिया जिले में सुप्रसिद्ध पार्टी , युवा भारतीय संघ के संस्थापक/अध्यक्ष शिवानन्द मिश्र, पुत्र आचार्य पंडित केशव मिश्र का निवास स्थान है जो ग्राम सोन्दा के रहने वाले है.. इस पार्टी के उपाध्यक्ष चन्दन मिश्र (जिला बलिया) है

मऊ जिला का बहुत ही गर्वशाली इतिहास रहा है।पांडवो के वनवास के समय वो मऊ जिले में भी आये थे,आज वो स्थान खुरहत के नाम से जाना जाता है। तथा उत्तरी सीमा पर बसे छोटा सा शहर दोहरीघाट जहा पर राम और परशुराम जी मीले थे।

तथा दोहरीघाट से दस किलोमीटर पूर्व सूरजपुर नामक गाँव है,जहां पर श्रवण की समाधिस्थल है,जहाँ दशरथ ने श्रवण को मारा था।

। सामान्यत: यह माना जाता है कि 'मऊ' शब्द तुर्किश शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ गढ़, पांडव और छावनी होता है। वस्तुत: इस जगह के इतिहास के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। माना जाता है प्रसिद्ध शासक शेर शाह सूरी के शासनकाल में इस क्षेत्र में कई आर्थिक विकास करवाए गए। वहीं मिलिटरी बेस और शाही मस्जिद के निर्माण में काफी संख्या में श्रमिक और कारीगर मुगल सैनिकों के साथ यहां आए थे। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय में भी मऊ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 3 अक्टूबर 1939 ई. को महात्मा गांधी इस जगह पर आए थे।

दोहरी घाट