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भारत और बांग्लादेश के अंतर्वेश

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भारत और बांग्लादेश के अंतर्वेश (छिटमहल या इन्क्लेव)

भारत और बांग्लादेश की सीमा पर सैकड़ों अन्तर्वेश (बांग्ला: ছিটমহল; अंग्रेज़ी: Enclaves) हैं। भारत के अन्तर्वेशों की संख्या १०६ है जबकि बंगलादेश के अन्तर्वेशों की संख्या ९२ है। बांग्लादेश के अन्तर्वेश भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम , मिजोरम तथा मेघालय राज्यों में हैं।

२०१० की जनगणना के अनुसार इन अन्तर्वेशों में कुल 51,549 लोग रहते हैं जिनमें से 37,334 भारतीय अन्तर्वेशों पर तथा 14,215 बांग्लादेशी अन्तर्वेशों पर रहते हैं।इन्हें न तो बांग्लादेश और न ही भारत अपना नागरिक मानने को तैयार है। भारत में मौजूद बांग्लादेशी छिटमहलों में भारत सरकार विकास के काम नहीं कर पाती और बांग्लादेश में मौजूद भारतीय छिटमहलों में वहां की सरकार। समस्या के समाधान के लिए लंबे समय से लगी दोनों सरकारें 162 ऐसे छिटमहलों की अदलाबदली के लिए तैयार हो गई हैं। जून २०१५ के आरम्भ में भारतीय संसद में अदलाबदली को कानूनी जामा पहनाने के लिए अधिनियम पारित हो चुका है।

क्या हैं ये छिटमहल? वास्तव में सदियों पहले कूचबिहार के राजा और रंगपुर के महाराजा जब शतरंज की बिसातें चलते थे तो दांव पर लगते थे - गांव। दोनों रियासतों के सैकड़ों गांव एक दूसरे की रियासत में मौजूद थे। फिर मुगलकाल में इन गांवों की सीमा को लेकर विवाद बना रहा। ऐसे 1713 विवादित क्षेत्र बने रहे। भारत (और पाकिस्तान) की स्वतंत्रता के बाद बंटवारा तो हुआ पर पूर्वी पाकिस्तान के कई इलाके भारत में और भारत के कई इलाके पूर्वी पाकिस्तान में बने रहे। यहीं से 'छिटमहल' की समस्या शुरू हुई।

भू-सीमा समझौता (LBA)

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इस समझौते के तहत बांग्लादेश का कुछ भू-भाग भारत में शामिल होगा और पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले का कुछ भाग बांग्लादेश में चला जाएगा। साथ ही इन भू-भागों पर रहने वालों को भी स्थानांतरित कर स्थायी ठिकाना दिया जाएगा, जिसमें करीब 51 हजार लोग शामिल रहेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारत के क्षेत्र में पड़ने वाले 51 बांग्लादेशी एनक्लेव (छींटमहल) के लोगों को नागरिकता देने का फैसला किया है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की तरफ से की गई 2011 की जनगणना के मुताबिक, दोनों देशों के एनक्लेव में रहने वाले ज्यादातर लोग मुसलमान हैं। नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को 12 साल का निवास साबित करना होता है। भूमि सीमा समझौते के मद्देनजर एनक्लेव का नियंत्रण लिए जाने के बाद सरकार की योजना सामूहिक आधार पर नागरिकता देने की है।

हर व्यक्ति को नागरिकता देने से पहले सहमति ली जाएगी कि वह भारत में रहना चाहता है या बांग्लादेश जाने का इच्छुक है। भूमि सीमा समझौते (एलबीए) के मुताबिक, बांग्लादेश में 17,160 एकड़ में तकरीबन 111 भारतीय एनक्लेव (छींटमहल) हैं, जो बांग्लादेश को हस्तांतरित किए जाएंगे, जबकि 7,110 एकड़ में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव भारत को मिलेंगे।

इन्हें भी देखें

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