भरत (रामायण)

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भरत मिलाप के दौरान राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान और भरत
श्रीराम के चरण पादुका को सिहांसन पर रखते हुए भरत.

भरत रामायण के अनुसार, राजा दशरथ के दूसरे पुत्र थे, उनकी माता कैकेयी थी। वे राम जी के भाई और गरुड़ के अवतार थे। लक्ष्मण और शत्रुघ्न इनके अन्य भाई थे। परंपरा के अनुसार राम राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे।[1] भरत के दो बेटे थे- तक्ष और पुष्कल। भरत की पत्नी का नाम माण्डवी था जो कुशध्वज की बेटी थी। रामायण में भरत को धर्म से प्रस्तुत किया है। भरत को सुदर्शन चक्र का अवतार भी माना गया है जबकि उसके भाई राम को विष्णु का अवतार कहा गया है। केरल में भरत के कुछ मंदिर है जो कुण्डलमणिक्यं मंदिर के नाम से जाना जाता है। भरत का संस्कृत भाषा में मतलब होता है 'एक जो बनाये रखता है। (एकता)

राज-प्रतिनिधि का पद[संपादित करें]

जब भरत के भाई राम को खुद उसकी सौतेली माँ यानी भरत की एकलौती माँ कैकेयी के वचन के अनुसार १४ वर्ष वनवास भोगने के लिए जाना पड़ा तब भरत अपनी माँ पर काफी नाराज हो गए और अपने भाई राम,लक्षमन और सीता के वनवास को ख़त्म के लिए गए चित्रकूट धाम गए और राम को अयोध्या के सिहासन पर विराजने का प्रस्ताव दिया लेकिन राम माने नहीं उन्होंने कहा की ये विधि का विधान है और अपने पिता का दिया वादा नहीं तोड़ेंगे। भरत जब समझ चुके थे की राम अपने वादे से पीछे नहीं हटेंगे तो उन्होंने राम से दृढ़तापूर्वक निवेदन किया की वो अपनी चरण पादुका उन्हें दे जिसे वो सिहांसन पर उसे प्रथापित करेंगे जब तक की वनवास ख़त्म ना हो जाए। [2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Miller, Frederic P.; Vandome, Agnes F.; John, McBrewster (2010). Bharata (Ramayana) (अंग्रेज़ी में). VDM Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9786133970977. मूल से 25 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2018.
  2. https://books.google.co.in/books?id=hjBiDwAAQBAJ&pg=PT1734&lpg=PT1734&dq=shatrughati+subahu&source=bl&ots=gK8LRoOvSg&sig=ACfU3U0CQR98upbloypDeLJkLDEfq7RADg&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwjJhdvNkorjAhUFOisKHTsQAsUQ6AEwCXoECAkQAQ#v=onepage&q=shatrughati%20subahu&f=false

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]