उत्तरकाण्ड
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उत्तरकाण्ड गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।
उत्तरकाण्ड राम कथा का उपसंहार है। सीता, लक्ष्मण और समस्त वानर सेना के साथ राम अयोध्या वापस पहुँचे। राम का भव्य स्वागत हुआ, भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्याभिषेक हुआ। वानरों की विदाई दी गई। राम ने प्रजा को उपदेश दिया और प्रजा ने कृतज्ञता प्रकट की। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हुये। रामराज्य एक आदर्श बन गया। राम जी ने कभी किसी के कहने से सीता माता का त्याग नहीं किया था हां माता ने अग्नि परीक्षा जरूर दी थी पर कुछ सनातन धर्म को बदनाम और राजा राम की छवि खराब करने के लिए सनातन ग्रंथो से छेड़छाड़ की है।।।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- बालकाण्ड
- अयोध्याकाण्ड
- अरण्यकाण्ड
- किष्किन्धाकाण्ड
- सुन्दरकाण्ड
- लंकाकाण्ड
- रामायण आरती
- तुलसीदास
- वाल्मीकि
- रामायण
संदर्भ[संपादित करें]
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