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मन्दोदरी

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मन्दोदरी रामायण के पात्र, पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा गया है। मन्दोदरी मयदानव की पुत्री थी। उसका विवाह लंकापति रावण के साथ हुआ था, रावण के मृत्यु के बाद विभीषण के साथ उनका नियोग विधि से विवाह हुआ [1]

हेमा नामक अप्सरा से उत्पन्न रावण की पटरानी जो मेघनाद और अक्षय कुमार की माता तथा मायासुर की कन्या थी। अतिकाय , त्रिशरा , देवान्तक और नरान्तक रावण और दम्यमालिनी के पुत्र थे मेघनाद और अक्षयकुमार रावण और मन्दोदरी के पुत्र थे। रावण को सदा यह अच्छी सलाह देती थी और कहा जाता है कि अपने पति के मनोरंजनार्थ इसीने शतरंज के खेल का प्रारम्भ किया था। इसकी गणना भी पंचकन्याओं में है

सिंघलदीप की राजकन्या और एक मातृका का भी नाम मन्दोदरी था।

मंदोदरी के पिता का नाम महिदतं था न कि मायासुर

महिदतं से लकां कुबेर ने छिन ली धी जिसे रावण वापस जीत ता है। ईसीलिए रावण को लकां उपहार मे मिली थी ।

सन्दर्भ

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  1. Pro, Editor (28-01-2025). शव्द शुद्धिकरण. Varanashi: Editor Pro. पपृ॰ शव्द शुद्धिकरण. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 5686323568854 |isbn= के मान की जाँच करें: invalid prefix (मदद). |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link)

मंदोदरी महान ऋषि कश्यप के पुत्र मायासुर की गोद ली हुई पुत्री थी, रावण से शादी के पच्यात मंदोदरी के तीन पुत्र हुए जिनका नाम मेघनाद अक्षकुमार और अतिक्य था कुछ कथाओं के अनुसार मंदोदरी अपने पूर्व जन्म में एक मेंडकी थी और सप्तऋषि के आशीर्वाद से उन्हें मनुष्य रूप मिला था

मंदोदरी के पूर्व जन्म की संपूर्ण कथा Archived 2020-10-30 at the वेबैक मशीन


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