त्रिशरा
त्रिशरा असुरराज रावण का पुत्र था जो रावण की पत्नी धम्यमालिनी की कोख से उत्पन्न हुआ था। इसका वध हनुमान रूपी भगवान शिव ने किया था।
जन्म
[संपादित करें]त्रिशरा का जन्म असुरराज रावण और धम्यमालिनी के पुत्र के रूप में हुआ था। त्रिशरा एक बहुत ही प्रचंड राक्षस योद्धा था। अपने पिता रावण की ही भांति त्रिशरा को भी विद्ववानों की ही श्रेणी में रखा गया है।
शिक्षा
[संपादित करें]त्रिशरा ने असुर गुरु शुक्राचार्य से सभी अस्त्र शस्त्र आदि चलाने की विद्या प्राप्त की तथा साथ ही चारों वेदों को भी कंठस्थ कर लिया था। वैसे तो त्रिशरा को हर प्रकार के अस्त्र शस्त्र आदि का ज्ञाता बताया गया है परन्तु गदा युद्ध में लंका का कोई भी योद्धा इसके समक्ष टिक नहीं पाता था।
मृत्यु
[संपादित करें]लंका युद्ध के समय रावण पुत्र अतिकाय ने लक्ष्मण को युद्ध के लिए ललकारा। इससे लक्ष्मण तत्काल ही श्रीराम की आज्ञा लेकर अतिकाय से युद्ध कर उसका वध कर दिया। त्रिशरा भी युद्ध करने हेतु आया। उसने हनुमान जी से गदा युद्ध किया। इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकल पा रहा था। तब हनुमान जी ने अपनी गदा से त्रिशरा के सिर पर जोरदार गदा का प्रहार किया। एक ही प्रहार में त्रिशरा के मुख से रुधिर की धारा बहने लगी और उसका सिर फट गया और वह वीरगति को प्राप्त हुआ।