"जयप्रकाश नारायण": अवतरणों में अंतर

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'''जयप्रकाश नारायण''' ([[11 अक्टूबर]], [[1902]] - [[8 अक्टूबर]], [[1979]]) (संक्षेप में ''जेपी'') भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें [[1970]] में [[इंदिरा गांधी]] के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। [[1999]] में उन्हें मरणोपरान्त [[भारत रत्न]] से सम्मनित किया गया।
'''जयप्रकाश नारायण''' ([[11 अक्टूबर]], [[1902]] - [[8 अक्टूबर]], [[1979]]) (संक्षेप में ''जेपी'') भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें [[१९७०|1970]] में [[इंदिरा गांधी]] के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। [[1999]] में उन्हें मरणोपरान्त [[भारत रत्न]] से सम्मनित किया गया।
इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिये १९६५ में [[मैगससे पुरस्कार]] भी प्रदान किया गया था। [[पटना]] के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। [[दिल्ली सरकार]] का सबसे बड़ा अस्पताल '[[लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल]]' भी उनके नाम पर है।
इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए १९६५ में [[मैगससे पुरस्कार]] प्रदान किया गया था। [[पटना]] के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। [[दिल्ली सरकार]] का सबसे बड़ा अस्पताल '[[लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल]]' भी उनके नाम पर है।


== शिक्षा ==
== शिक्षा ==
[[पटना]] मे अपने विद्यार्थी जीवन में जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता संग्राम मे हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गए, जिसे युवा प्रतिभाशाली युवाओं को प्रेरित करने के लिए डॉ॰ [[राजेन्द्र प्रसाद]] और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ [[अनुग्रह नारायण सिन्हा]] द्वारा स्थापित किया गया था जो [[महात्मा गांधी|गांधी जी]] के एक निकट सहयोगी रहे और बाद मे [[बिहार]] के पहले उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री रहे। वे [[1922]] मे उच्च शिक्षा के लिए [[अमेरिका]] गए, जहाँ उन्होंने 1922-1929 के बीच [[कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय]]-[[बरकली]], [[विसकांसन विश्वविद्यालय]] में [[समाज-शास्त्र]] का अध्ययन किया। महंगी पढ़ाई के खर्चों को वहन करने के लिए उन्होंने खेतों, कंपनियों, रेस्टोरेन्टों मे काम किया। वे [[मार्क्स]] के [[समाजवाद]] से प्रभावित हुए। उन्होने एम.ए. की डिग्री हासिल की। उनकी माताजी की तबियत ठीक न होने की कारण वे भारत वापस आ गए और पी.एच.डी पूरी न कर सके।
[[पटना]] में अपने विद्यार्थी जीवन में जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये, जिसे युवा प्रतिभाशाली युवाओं को प्रेरित करने के लिए डॉ॰ [[राजेन्द्र प्रसाद]] और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ [[अनुग्रह नारायण सिन्हा]] द्वारा स्थापित किया गया था, जो [[महात्मा गांधी|गांधी जी]] के एक निकट सहयोगी रहे और बाद में [[बिहार]] के पहले उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री रहे। वे [[1922]] में उच्च शिक्षा के लिए [[अमेरिका]] गये, जहाँ उन्होंने 1922-1929 के बीच [[कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय]]-[[बरकली]], [[विसकांसन विश्वविद्यालय]] में [[समाज-शास्त्र]] का अध्ययन किया। महँगी पढ़ाई के खर्चों को वहन करने के लिए उन्होंने खेतों, कम्पनियों, रेस्त्रा में काम किया। वे [[मार्क्स]] के [[समाजवाद]] से प्रभावित हुए। उन्होंने एम॰ ए॰ की डिग्री हासिल की। उनकी माताजी की तबियत ठीक न होने के कारण वे भारत वापस आ गये और पी॰ एच॰ डी॰ पूरी न कर सके।


== जीवन ==
== जीवन ==
उनका विवाह [[बिहार]] के प्रसिद्ध गांधीवादी [[बृज किशोर प्रसाद]] की पुत्री प्रभावती के साथ अक्टूबर 1920 मे हुआ। प्रभावती विवाह के उपरांत [[कस्तूरबा गांधी]] के साथ गांधी आश्रम मे रहीं। वे डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित [[बिहार विद्यापीठ]] में शामिल हो गए। १९२९ में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे [[जवाहर लाल नेहरु]] से हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। [[1932]] मे गांधी, नेहरु और अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओ के जेल जाने के बाद, उन्होने भारत मे अलग-अलग हिस्सों मे संग्राम का नेतृत्व किया। अन्ततः उन्हें भी [[मद्रास]] में सितंबर 1932 मे गिरफ्तार कर लिया गया और [[नासिक]] के जेल में भेज दिया गया। यहाँ उनकी मुलाकात [[मीनू मसानी]], [[अच्युत पटवर्धन]], [[एन. सी. गोरे]], [[अशोक मेहता]], [[एम. एच. दांतवाला]], [[चार्ल्स मास्कारेन्हास]] और [[सी. के. नारायणस्वामी]] जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल मे इनके द्वारा की गई चर्चाओं ने [[कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी]] (सी.एस.पी) को जन्म दिया। सी.एस.पी समाजवाद में विश्वास रखती थी। जब कांग्रेस ने 1934 मे चुनाव मे हिस्सा लेने का फैसला किया तो जेपी और सी.एस.पी ने इसका विरोध किया।
उनका विवाह [[बिहार]] के प्रसिद्ध गांधीवादी [[बृज किशोर प्रसाद]] की पुत्री प्रभावती के साथ अक्टूबर 1920 में हुआ। प्रभावती विवाह के उपरान्त [[कस्तूरबा गांधी]] के साथ गांधी आश्रम में रहीं। वे डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित [[बिहार विद्यापीठ]] में शामिल हो गये। १९२९ में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका सम्पर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे [[जवाहर लाल नेहरु]] से हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। [[1932]] में गांधी, नेहरु और अन्य महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों मे संग्राम का नेतृत्व किया। अन्ततः उन्हें भी [[मद्रास]] में सितम्बर 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया और [[नासिक]] के जेल में भेज दिया गया। यहाँ उनकी मुलाकात [[मीनू मसानी]], [[अच्युत पटवर्धन]], [[एन. सी. गोरे|एन॰ सी॰ गोरे]], [[अशोक मेहता]], [[एम. एच. दांतवाला|एम॰ एच॰ दाँतवाला]], [[चार्ल्स मास्कारेन्हास]] और [[सी. के. नारायणस्वामी|सी॰ के॰ नारायण स्वामी]] जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल में इनके द्वारा की गयी चर्चाओं ने [[कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी]] (सी॰ एस॰ पी॰) को जन्म दिया। सी॰ एस॰ पी॰ समाजवाद में विश्वास रखती थी। जब कांग्रेस ने 1934 में चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया तो जे॰ पी॰ और सी॰ एस॰ पी॰ ने इसका विरोध किया।


1939 मे उन्होंने [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के दौरान, अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सरकार को किराया और राजस्व रोकने के अभियान चलाए। [[टाटा स्टील कंपनी]] में हड़ताल करा के यह प्रयास किया कि अंग्रेज़ों को इस्पात न पहुंचे। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 महीने की कैद की सज़ा सुनाई गई। जेल से छूटने के बाद उन्होने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच सुलह का प्रयास किया। उन्हे बंदी बना कर मुंबई की आर्थर जेल और दिल्ली की कैंप जेल मे रखा गया। 1942 भारत छोडो आंदोलन के दौरान वे आर्थर जेल से फरार हो गए।
1939 मे उन्होंने [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के दौरान, अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सरकार को किराया और राजस्व रोकने के अभियान चलाये। [[टाटा स्टील कंपनी|टाटा स्टील कम्पनी]] में हड़ताल कराके यह प्रयास किया कि अंग्रेज़ों को इस्पात न पहुँचे। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 महीने की कैद की सज़ा सुनाई गयी। जेल से छूटने के बाद उन्होंने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच सुलह का प्रयास किया। उन्हें बन्दी बनाकर मुम्बई की आर्थर जेल और दिल्ली की कैम्प जेल में रखा गया। 1942 भारत छोडो आन्दोलन के दौरान वे आर्थर जेल से फरार हो गये।
: ''मुझे अपने लिए चिंता नहीं है, किंतु देश के लिए मुझे चिंता है।'' -- बिहार विभूति डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा
: ''मुझे अपने लिए चिन्ता नहीं है, किन्तु देश के लिए मुझे चिन्ता है।'' बिहार विभूति डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों के उपयोग को सही समझा। उन्होंने [[नेपाल]] जा कर [[आज़ाद दस्ते]] का गठन किया और उसे प्रशिक्षण दिया। उन्हें एक बार फिर [[पंजाब]] में चलती ट्रेन में सितंबर 1943 मे गिरफ्तार कर लिया गया। 16 महीने बाद जनवरी 1945 में उन्हें आगरा जेल मे स्थांतरित कर दिया गया। इसके उपरांत गांधी जी ने यह साफ कर दिया था कि डॉ॰ लोहिया और जेपी की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई समझौता नामुमकिन है। दोनो को अप्रेल 1946 को आजाद कर दिया गया।
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों के उपयोग को सही समझा। उन्होंने [[नेपाल]] जाकर [[आज़ाद दस्ते]] का गठन किया और उसे प्रशिक्षण दिया। उन्हें एक बार फिर [[पंजाब]] में चलती ट्रेन में सितम्बर 1943 में गिरफ्तार कर लिया गया। 16 महीने बाद जनवरी 1945 में उन्हें आगरा जेल मे स्थान्तरित कर दिया गया। इसके उपरान्त गांधी जी ने यह साफ कर दिया था कि डॉ॰ लोहिया और जे॰ पी॰ की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई समझौता नामुमकिन है। दोनों को अप्रील 1946 को आजाद कर दिया गया।
[[चित्र:J P Narayan.JPG|right|thumb|300px|१९५८ में इजराइल के प्रधानमन्त्री डेविड बेन गुरिओन के साथ [[तेल अवीब]] में जयप्रकाश जी]]
[[चित्र:J P Narayan.JPG|right|thumb|300px|१९५८ में इजराइल के प्रधानमन्त्री डेविड बेन गुरिओन के साथ [[तेल अवीब]] में जयप्रकाश जी]]
1948 मे उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिल कर [[समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी]] की स्थापना की। [[19 अप्रेल]], [[1954]] में [[गया]], [[बिहार]] मे उन्होंने [[विनोबा भावे]] के [[सर्वोदय आंदोलन]] के लिए जीवन समर्पित करने की घोषणा की। [[1957]] में उन्होंने लोकनीति के पक्ष मे राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया।
1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर [[समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी]] की स्थापना की। [[19 अप्रेल|19 अप्रील]], [[1954]] में [[गया]], [[बिहार]] में उन्होंने [[विनोबा भावे]] के [[सर्वोदय आंदोलन|सर्वोदय आन्दोलन]] के लिए जीवन समर्पित करने की घोषणा की। [[1957]] में उन्होंने लोकनीति के पक्ष मे राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया।


1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे। [[1974]] में किसानों के [[बिहार आंदोलन]] में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की।
1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे। [[1974]] में किसानों के [[बिहार आंदोलन|बिहार आन्दोलन]] में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की।


वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने [[गुजरात]] राज्य का चुनाव जीता। [[1975]] में इंदिरा गांधी ने [[आपातकाल (भारत)|आपात्काल]] की घोषणा की जिसके अंतर्गत जेपी सहित ६०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। जेल मे जेपी की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। [[1977]] जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।
वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने [[गुजरात]] राज्य का चुनाव जीता। [[1975]] में इंदिरा गांधी ने [[आपातकाल (भारत)|आपातकाल]] की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जे॰ पी॰ सहित ६०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गयी। जेल में जे॰ पी॰ की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। [[1977]] जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।


जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और [[मधुमेह]] के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[चौधरी चरण सिंह]] ने ७ दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए।
जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और [[मधुमेह]] के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[चौधरी चरण सिंह]] ने ७ दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए।
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[[चित्र:Jp's raily.jpg|right|thumb|300px|१५ जून सन् १९७५ को पटना के गांधी मैदान में छात्रों की विशाल समूह के समक्ष 'सम्पूर्ण क्रान्ति' का उद्घोष]]
[[चित्र:Jp's raily.jpg|right|thumb|300px|१५ जून सन् १९७५ को पटना के गांधी मैदान में छात्रों की विशाल समूह के समक्ष 'सम्पूर्ण क्रान्ति' का उद्घोष]]
पांच जून के पहले छात्रें-युवकों की कुछ तात्कालिक मांगें थीं, जिन्हें कोई भी सरकार जिद न करती तो आसानी से मान सकती थी। लेकिन पांच जून को जे. पी. ने घोषणा की:-
पाँच जून के पहले छात्रों - युवकों की कुछ तात्कालिक मांगें थीं, जिन्हें कोई भी सरकार जिद न करती तो आसानी से मान सकती थी। लेकिन पाँच जून को जे॰ पी॰ ने घोषणा की—
: "भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। और, सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, '''’सम्पूर्ण क्रान्ति'''’ आवश्यक है।"
: "भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, '''’सम्पूर्ण क्रान्ति'''’ आवश्यक है।"


सम्पूर्ण क्रान्ति के आह्वान उन्होने श्रीमती इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था।
सम्पूर्ण क्रान्ति के आह्वान उन्होंने श्रीमति इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए किया था।


लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।
लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है— राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।


सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। [[लालमुनि चौबे]], [[लालू प्रसाद]], [[नीतीश कुमार]], [[रामविलास पासवान]] या फिर [[सुशील मोदी]], आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।
सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जे॰ पी॰ के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। [[लालमुनि चौबे]], [[लालू प्रसाद]], [[नीतीश कुमार]], [[रामविलास पासवान]] या फिर [[सुशील मोदी]], आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==

11:20, 12 जून 2017 का अवतरण

जयप्रकाश नारायण
चित्र:JayaprakashNarayanLakshminarayanLal.jpg
जयप्रकाश नारायण (डॉ॰ लक्ष्मीनारायण लाल द्वारा लिखी गई किताब के मुखपृष्ठ से)

जन्म 11 अक्टूबर 1902
बलिया, भारत
मृत्यु अक्टूबर 8, 1979(1979-10-08) (उम्र 76)

जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए १९६५ में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है।

शिक्षा

पटना में अपने विद्यार्थी जीवन में जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये, जिसे युवा प्रतिभाशाली युवाओं को प्रेरित करने के लिए डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित किया गया था, जो गांधी जी के एक निकट सहयोगी रहे और बाद में बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री रहे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गये, जहाँ उन्होंने 1922-1929 के बीच कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली, विसकांसन विश्वविद्यालय में समाज-शास्त्र का अध्ययन किया। महँगी पढ़ाई के खर्चों को वहन करने के लिए उन्होंने खेतों, कम्पनियों, रेस्त्रा में काम किया। वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होंने एम॰ ए॰ की डिग्री हासिल की। उनकी माताजी की तबियत ठीक न होने के कारण वे भारत वापस आ गये और पी॰ एच॰ डी॰ पूरी न कर सके।

जीवन

उनका विवाह बिहार के प्रसिद्ध गांधीवादी बृज किशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती के साथ अक्टूबर 1920 में हुआ। प्रभावती विवाह के उपरान्त कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम में रहीं। वे डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये। १९२९ में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका सम्पर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहर लाल नेहरु से हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। 1932 में गांधी, नेहरु और अन्य महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों मे संग्राम का नेतृत्व किया। अन्ततः उन्हें भी मद्रास में सितम्बर 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया और नासिक के जेल में भेज दिया गया। यहाँ उनकी मुलाकात मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, एन॰ सी॰ गोरे, अशोक मेहता, एम॰ एच॰ दाँतवाला, चार्ल्स मास्कारेन्हास और सी॰ के॰ नारायण स्वामी जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल में इनके द्वारा की गयी चर्चाओं ने कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी॰ एस॰ पी॰) को जन्म दिया। सी॰ एस॰ पी॰ समाजवाद में विश्वास रखती थी। जब कांग्रेस ने 1934 में चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया तो जे॰ पी॰ और सी॰ एस॰ पी॰ ने इसका विरोध किया।

1939 मे उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सरकार को किराया और राजस्व रोकने के अभियान चलाये। टाटा स्टील कम्पनी में हड़ताल कराके यह प्रयास किया कि अंग्रेज़ों को इस्पात न पहुँचे। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 महीने की कैद की सज़ा सुनाई गयी। जेल से छूटने के बाद उन्होंने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच सुलह का प्रयास किया। उन्हें बन्दी बनाकर मुम्बई की आर्थर जेल और दिल्ली की कैम्प जेल में रखा गया। 1942 भारत छोडो आन्दोलन के दौरान वे आर्थर जेल से फरार हो गये।

मुझे अपने लिए चिन्ता नहीं है, किन्तु देश के लिए मुझे चिन्ता है। — बिहार विभूति डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों के उपयोग को सही समझा। उन्होंने नेपाल जाकर आज़ाद दस्ते का गठन किया और उसे प्रशिक्षण दिया। उन्हें एक बार फिर पंजाब में चलती ट्रेन में सितम्बर 1943 में गिरफ्तार कर लिया गया। 16 महीने बाद जनवरी 1945 में उन्हें आगरा जेल मे स्थान्तरित कर दिया गया। इसके उपरान्त गांधी जी ने यह साफ कर दिया था कि डॉ॰ लोहिया और जे॰ पी॰ की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई समझौता नामुमकिन है। दोनों को अप्रील 1946 को आजाद कर दिया गया।

१९५८ में इजराइल के प्रधानमन्त्री डेविड बेन गुरिओन के साथ तेल अवीब में जयप्रकाश जी

1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 19 अप्रील, 1954 में गया, बिहार में उन्होंने विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन के लिए जीवन समर्पित करने की घोषणा की। 1957 में उन्होंने लोकनीति के पक्ष मे राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया।

1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे। 1974 में किसानों के बिहार आन्दोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की।

वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता। 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जे॰ पी॰ सहित ६०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गयी। जेल में जे॰ पी॰ की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।

जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने ७ दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए।

सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान

चित्र:Jp's raily.jpg
१५ जून सन् १९७५ को पटना के गांधी मैदान में छात्रों की विशाल समूह के समक्ष 'सम्पूर्ण क्रान्ति' का उद्घोष

पाँच जून के पहले छात्रों - युवकों की कुछ तात्कालिक मांगें थीं, जिन्हें कोई भी सरकार जिद न करती तो आसानी से मान सकती थी। लेकिन पाँच जून को जे॰ पी॰ ने घोषणा की—

"भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है।"

सम्पूर्ण क्रान्ति के आह्वान उन्होंने श्रीमति इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए किया था।

लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है— राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।

सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जे॰ पी॰ के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालमुनि चौबे, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।

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