शिर्क

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शिर्क का शाब्दिक अर्थ हिस्सेदार या साझेदार है।अर्थ यह हुआ कि किसी और को अल्लाह के समान ईश्वर मानना, या किसी को ईश्वर की प्रकृति,अस्तित्व और गुणों के साथ जोड़ना, यह विश्वास करना कि वह इस गुण में भी अल्लाह जैसा है।[1] इस्लाम में बहुदेववाद पाप है। तौहीद: एक अल्लाह को मानना इस्लाम का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। शिर्क एक अक्षम्य अपराध है। इस्लाम के विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, अल्लाह अपने उपासकों के किसी भी गलत काम को मृत्यु के बाद अपने फैसले के अनुसार माफ कर सकता है, भले ही वह अल्लाह ताला से माफी न मांगे, लेकिन शिर्क के अपराधी को कभी माफ नहीं करता।[2][3] [4]

क़ुरआन में[संपादित करें]

  • अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। [क़ुरआन 7:73]
  • अल्लाह इसके क्षमा नहीं करेगा कि उसका साझी ठहराया जाए। किन्तु उससे नीचे दर्जे के अपराध को जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा और जिस किसी ने अल्लाह का साझी ठहराया, तो उसने एक बड़ा झूठ घड़ लिया - 4:48

हदीस में[संपादित करें]

  • सहीह हदीसों में आता है कि नबी से पूछा गया, “महापाप क्‍या है?” आप ने फ़रमाया : तुम किसी को अल्लाह का समकक्ष ठहराओ, जबकि उसी ने तुमको पैदा किया। (सहीह बुख़ारी, 4477 तथा सहीह मुस्लिम, 86)
  • एक दूसरी सहीह हदीस में नबी ने फ़रमाया“क्या मैं हुम लोगों को बताऊँ कि महापाप क्या है? लोगों ने कहा, “हाँ / ऐ अल्लाह के रसूल/ आपने फ़ममाया, अल्लाह के साथ किसी को साझी बनाना, माता-पिता की आज्ञा न मानना, और झूठी गवाही देना / “ (सहीह बुख़ारी, 2654 तथा सहीह मुस्लिम, 87)
  • एक और सहीह हदीस में नबी ने फ़रमाया“ सात तबाह करने वाली चीज़ों से बचे रहो /” लोगों ने पूछ, “वो क्या हैं?” फ़रमाया, अल्लाह के साथ किसी को साझी बनाना, जादू करना, किसी की नाहक़ हत्या करना, ब्याज खाना, अनाथ का धन खाना,जिहाद में मुंह मोड़कर भागना, और मोमिन पाकदामन स्मत्रोरियों पर मिध्यारोप लगाना (सहीह बुख़ारी, 2766 तथा सहीह मुस्लिम 89) [5]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "شرک", آزاد دائرۃ المعارف، ویکیپیڈیا (उर्दू में), 2023-01-04, अभिगमन तिथि 2023-12-14
  2. "শির্‌ক (ইসলাম)", উইকিপিডিয়া (Bengali में), 2023-09-01, अभिगमन तिथि 2023-12-14
  3. "Shirk". Encyclopædia Britannica
  4. Kamoonpuri, S: "Basic Beliefs of Islam" pages 42–58. Tanzania Printers Limited, 2001.
  5. प्रोफेसर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया (20 दिसम्बर 2021). "शिर्क". www.archive.org. पृष्ठ ६४०.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]