"मुसलमान": अवतरणों में अंतर

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* हज़रत [[मुहम्मद]] (स) अल्लाह के सबसे प्यारे और अन्तिम रसूल हैं।
* हज़रत [[मुहम्मद]] (स) अल्लाह के सबसे प्यारे और अन्तिम रसूल हैं।
* [[नमाज़]], [[रोज़ा]], [[ज़कात]] और उसके (जो नये बूते रखता हो) की फ़र्ज़ियत पर विश्वास।
* [[नमाज़]], [[रोज़ा]], [[ज़कात]] और उसके (जो नये बूते रखता हो) की फ़र्ज़ियत पर विश्वास।
* [[कुरान]] अल्लाह की किताब है और अल्लाह की कलाम है।
* [[कुरान]] अल्लाह की किताब है और उसका हर शब्द और अक्षर अल्लाह से है।
* क़यामत और हिसाब और किताब यानी हयात बाद (बाद अल मौत) पर विश्वास।
* क़यामत और हिसाब और किताब यानी हयात बाद (बाद अल मौत) पर विश्वास।
* फ़रिशतों, पूर्व अम्बिया (नबी का बहुवचन) और पुस्तकों पर विश्वास।
* फ़रिशतों, पूर्व अम्बिया (नबी का बहुवचन) और पुस्तकों पर विश्वास।

17:13, 9 सितंबर 2019 का अवतरण

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर।

मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है।[1][2]

मुख्य इस्लामी धर्म

मुसलमान यह स्वीकार करते हैं कि अल्लाह अकेला परवरदिगार है और हज़रत मुहम्मद (स) अल्लाह के प्रेषित (रसूल) हैं। इस तरीके से कोई भी व्यक्ति इस्लाम में जाता है। जब हज़रत मोहम्मद(स) को अल्लाह का रसूल मान ले तो उस पर वाजिब हो जाता है कि उनकी हर बात पर विश्वास रखे और अमल करने की कोशिश करे। जैसे उन्होंने कहा कि मेरे बाद कोई नबी नहीं और वे परमेश्वर के अन्तिम रसूल हैं तो इस बात पर विश्वास रखना इस्लाम के एकाधिकार में है। इस्लाम के मुख्य धर्म जिन पर मुसलमानों के किसी समुदाय में कोई मतभेद नहीं, निम्नलिखित हैं

  • अल्लाह एकमात्र परमेश्वर है। इसके अलावा कोई पूजा के योग्य नहीं।
  • हज़रत मुहम्मद (स) अल्लाह के सबसे प्यारे और अन्तिम रसूल हैं।
  • नमाज़, रोज़ा, ज़कात और उसके (जो नये बूते रखता हो) की फ़र्ज़ियत पर विश्वास।
  • कुरान अल्लाह की किताब है और उसका हर शब्द और अक्षर अल्लाह से है।
  • क़यामत और हिसाब और किताब यानी हयात बाद (बाद अल मौत) पर विश्वास।
  • फ़रिशतों, पूर्व अम्बिया (नबी का बहुवचन) और पुस्तकों पर विश्वास।

उपरोक्त बातों पर विश्वास करने को मुसलमान कहते हैं। उनके अलावा अन्य मतभेद फरोइई और राजनीतिक हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Siṃha, Śivaprasāda (1987). Sampūrṇa nibandha. Vāṇī Prakāśana. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788170551188. अभिगमन तिथि 22 जुलाई 2018.
  2. Reichmuth, Stefan; Rüsen, Jörn; Sarhan, Aladdin (2012). Humanism and Muslim Culture: Historical Heritage and Contemporary Challenges (अंग्रेज़ी में). V&R unipress GmbH. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9783899719376. अभिगमन तिथि 22 जुलाई 2018.

बाहरी कड़ियाँ