मुफद्दल सैफुद्दीन
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मुफद्दल सैफुद्दीन (Arabic: عـالي قـدر مُـفـضّـل سـيـفُ ٱلـدّين, romanized: Aali Qadr Mufaddal Saifuddin) एक धर्मगुरु और दस लाख दाऊदी बोहरा शर्द्धालुओं के ५३ वें दाई अल-मुतलक हैं, जो दाऊदी बोहरा समाज, इस्लाम की इस्माइली शिया शाखा का एक उपसमूह है । वह 52वें दाई अल-मुतलक, मोहम्मद बुरहानुद्दीन के दूसरे पुत्र हैं, जिसे उन्होंने २०१४ में उत्तराधिकारी नियुक्त कि था ।
सैफुद्दीन ने कई सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक पहलों का नेतृत्व किया है। मिस्र की राजधानी काहिरा शहर में, उन्होंने अहलेबैत (पैगम्बर मुहम्मद के परिवार) से जुड़े धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण किया और १००० साल पुराने फातेमी वास्तुकला की बहाली का नेतृत्व किया, विशेष रूप से (जामे अनवर) अल-अनवर मस्जिद, (जामे अकमर) अल-अकमर मस्जिद, (जामे जुयुशी) अल-जुयुशी मस्जिद और (जामे लुलुवा) लुलुआ मस्जिद । यमन में, उन्होंने हराज़ क्षेत्र के निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार, स्थायी कृषि प्रणालियों की शुरुआत, स्थानीय बुनियादी ढांचे में सुधार और बच्चों के लिए शिक्षा की समान पहुंच प्रदान करने के लिए कई अभियानों का नेतृत्व किया है।
सैफुद्दीन दुनिया भर में सामुदायिक कार्यक्रमों की देखरेख करते हैं, जैसे मुंबई के भिंडी बाजार में सैफी बुरहानी उत्थान परियोजना (SBUT) Archived 2021-11-06 at the वेबैक मशीन, प्रोजेक्ट राइज़ (एक दाऊदी बोहरा वैश्विक परोपकारी पहल), और एफ.एम.बी [1] (सामुदायिक रसोई), जो सामाजिक-आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा और खाद्य अपशिष्ट को कम करना एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करते हैं । [2]
प्रारंभिक जीवन
[संपादित करें]मुफद्दल सैफुद्दीन का जन्म २० अगस्त १९४६ (माहे रमज़ान की २३मि तारीख़ हिजरी साल १३६५) को सूरत शहर (गुजरात; भारत) में हुआ था । अपने दादा ताहिर सैफुद्दीन द्वारा उन्हें “आली कद्र मुफद्दल” नाम दिया गया था । नाम का अरबी अंक मूल्य १३६५ होता है जो उनके जन्म की हिजरी साल भी है । उनकी कुनयत (पैतृक नाम) अबू-जाफ़रूसादिक़ है जो उनके सबसे बड़े बेटे जाफूरुस्सदिक इमादुद्दीन से जुड़ा हुआ है और उनका उपनाम सैफुद्दीन है ।
अपने दादा ताहिर सैफुद्दीन के युग के दौरान, उन्होंने कोलंबो (श्रीलंका) के सैफी विला में कुरान का पाठ शुरू किया । उन्होंने अपने पिता, मोहम्मद बुरहानुद्दीन, और उनके ससुर, युसुफ नजमुद्दीन, जामेआ सैफियाह के दिवंगत रेक्टर से अपनी आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की । उन्होंने भारत और मिस्र में अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की, मिस्र के काहिरा शहर मे उनका एक कस्टम-अनुरूप अध्ययन कार्यक्रम रचा गया था जिसमें प्राचीन और ऐतिहासिक अल-अज़हर विश्वविद्यालय और काहिरा विश्वविद्यालय सहित काहिरा के प्रमुख विश्वविद्यालयों के विद्वान शामिल थे । १९६९ में, उन्होंने सूरत के जामेआ सैफियाह से अल-फ़क़ीह अल-जय्यद की डिग्री (प्रतिष्ठित न्यायविद) के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की । १९७१ में, उन्हें अल-अलीम अल-बारें (उत्कृष्ट विद्वान) की उपाधि से सम्मानित किया गया । [3]
सैफुद्दीन ने 1 जनवरी १९७० को युसूफ नजमुद्दीन की बेटी जौहरतुस-शराफ नजमुद्दीन से शादी की । [4]
२२ वर्ष की आयु में, उनके पिता मोहम्मद बुरहानुद्दीन द्वारा १९६९ में और बाद में २००५ और २०११ में उन पर “नस (उत्तराधिकार नियुक्ति)” का प्रदर्शन करके उन्हें अपना उत्तराधिकारी नामित किया ।
सैफुद्दीन को उनके पिता बुरहानुद्दीन ने १९७० में अमीरुल-हज नियुक्त किया था । हज के बाद उन्होंने इराक, सीरिया, मिस्र और यमन की धार्मिक स्थलों की यात्रा की । यमन में, उन्होंने तीसरे दाई अल-मुतलक हातिम बिन इब्राहिम के मकबरे की नींव रखी । उस यात्रा के बाद, बुरहानुद्दीन ने उन्हें १९७१ में अकीक-उल-यमन (यमन का नगीना) की सम्मानित उपाधि प्रदान की |
सैफुद्दीन अक्सर अपने पिता मोहम्मद बुरहानुद्दीन की यात्राओं मे साथ थे । [5]
समुदाय में हासिल की पहचान |
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मुफद्दल सैफुद्दीन के मिसाक को उनके दादा ताहिर सैफुद्दीन के 75 वें जन्मदिन समारोह के दौरान 22 मई 1960 लिया था |
मुफद्दल सैफुद्दीन ने पूरे कुरान को याद किया है (जिसे हाफिज अल-कुरान (अरबी: حافظ القران) के रूप में जाना जाता है |
यमन की अपनी यात्रा के बाद, उन्हें 1971 को मानद उपाधि अकीक अल-यमन (अरबी: عقيق اليمنl अनुवाद: यमन के अगेट) से सम्मानित किया गया |
सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने उन्हें (अरबी: ثقة الدعوة الطيبية; थिक़ात अल-द'वत अल-तैयिबियाह, जिसका अर्थ है 'तैयबी मिशन का विश्वसनीय') की उपाधि प्रदान की और उन्हें "सैफुद्दीन" की उपाधि 18 मार्च 1966 के दिन प्रदान की। जिसका अर्थ है 'इस्लाम की तलवार') |
उन्हें 14 जून 1971 मे जामिया सैफियाह (अरबी: العليم البارع; अल-'अलीम अल-बारे', जिसका अर्थ है 'उत्कृष्ट रूप से सीखा') की सर्वोच्च उपाधियों में से एक से सम्मानित किया गया। |
उन्हें 24 अप्रैल 1987 को जामिया सैफियाह (अरबी: امير الجامعة; अमीर अल जामिया) का रेक्टर नियुक्त किया गया था |
परियोजनाओं
[संपादित करें]सैफुद्दीन ने इस्लामी इमारतों और खासतौर पर मिस्र में फातेमी मस्जिदों की बहाली के लिए कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया। परियोजनाओं में जामे-अनवर की बहाली और पुनरुद्धार, १९८६ में ज़ोएब बिन मूसा की मस्जिद की बहाली, १९८८ में जामे-अकमर की बहाली और नवीकरण शामिल हैं [6]। १९९४ में सलामियाह (सीरिया) में अब्दुल्ला इब्न मुहम्मद की मस्जिद, १९९६ में काहिरा (मिस्र) में लुलुआ मस्जिद और जुयुशी मस्जिद की बहाली के साथ ज़ैनब बिन्त अली के मक़बरे का निर्माण, मशहद रास अल-हुसैन का निर्माण, २००१ मे इजराइल के अस्क़लान क्षेत्र मे समुद्री तट के निकट एक मस्जिद को पुनर्जीवित किया जहा कई सालो लग इमाम हुसैन इब्न अली का सिर दफनाया गया था, २००५ में यमन के हुतेब मुबारक गांव मे हातिम बिन इब्राहिम के मक़बरे और मस्जिद का निर्माण, और यमन में आठवें दाई अल-मुतलक के दफन स्थानों की खोज की ।
अपने शताब्दी जन्मदिन समारोह के दौरान, २०११ में, मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने घोषणा की कि केन्या के नैरोबी शहर में एक नया जामेआ सैफियाह परिसर बनाया जाएगा । इस 14 एकड़ के परिसर का निर्माण २०१३ में शुरू हुआ था, और इसका उद्घाटन मुफद्दल सैफुद्दीन और केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा ने २० अप्रैल २०१७ को किया था । [7]
अल-दई अल-मुतलक़ का कार्यालय
[संपादित करें]मुफद्दल सैफुद्दीन दाऊदी बोहरा समुदाय के वर्तमान और 53वें दाई अल-मुतलाक हैं, जिन्हें उनके पूर्ववर्ती और पिता ५२ वे दाई अल-मुतलक़ मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने नियुक्त किया था।
प्रतिनिधि
[संपादित करें]- २० अक्टूबर २०१४ को, सैफुद्दीन ने अपने चाचा हुसैन हुसामुद्दीन को माज़ून के पद पर पदोन्नत किया और अपने चाचा कासिम हकीमुद्दीन को मुकासिर के रूप में मुंबई में आयोजित एक धार्मिक सभा में नियुक्त किया
- ७ जनुअरी २०१८ को, सैफुद्दीन ने हुसैन हुसामुद्दीन के निधन के बाद कासिम हकीमुद्दीन को माज़ून के पद पर पदोन्नत किया और सूरत में एक धार्मिक सभा में अपने चाचा अली असगर कलीमुद्दीन को मुकासिर के रूप में नियुक्त किया । [8]
- ४ मार्च २०१९ को, सैफुद्दीन ने कासिम हकीमुद्दीन के निधन के बाद अली असगर कलीमुद्दीन को माज़ून के पद पर पदोन्नत किया और अहमदाबाद में एक धार्मिक सभा में अपने बड़े भाई क़ाइद जौहर इज़्ज़ुद्दीन को मुकासिर के रूप में नियुक्त किया । [9]
लोकोपकार
[संपादित करें]सैफुद्दीन के पिता, मोहम्मद बुरहानुद्दीन ने दक्षिण मुंबई के घनी आबादी इलाक़े भिंडी बाज़ार मे पुनर्विकास परियोजना की कल्पना की और सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट नामक एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना २३ जनुअरी २००९ को अपने बड़े पुत्र क़ाइद जौहर इज़्ज़ुद्दीन और छोटे भाई अब्बास फ़खरुद्दीन द्वारा प्रदान की गई एक प्रारंभिक कोष के साथ की गई थी । पहले चरण का उद्घाटन १८ मई २०१६ को सैफुद्दीन ने किया था । भिंडी बाज़ार में लगभग २५० जीर्ण इमारतों को १७ नए टावरों के साथ चौड़ी सड़कों, आधुनिक बुनियादी ढांचे, अधिक खुली जगहों और अत्यधिक दृश्यमान वाणिज्यिक क्षेत्रों के साथ बदल दिया जाएगा । इस महत्वाकांक्षी परोपकारी उद्यम का लक्ष्य ३२०० परिवारों और 1250 व्यवसायों का पुनर्वास करना है जो वर्तमान में खराब परिस्थितियों में रह रहे हैं ।[10] इस योजना को २०२५ तक पूरा होने की उम्मीद है । [11] [12]
दान
[संपादित करें]- अल-दाई अल-मुतलक़ की गद्दी संभालने के बाद २७ अप्रैल २०१७ को, सैफुद्दीन ने केन्या की प्रथम महिला मार्गरेट केन्याटा को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए बियॉन्ड ज़ीरो पहल के लिए KSh ५.२ मिलियन (लगभग ३४ लाख रुपयों) का दान दिया । [13] [14] [15]
- १९ जुलाई २०१८ को, सैफुद्दीन ने अब्देल फत्ताह अल-सीसी से मुलाकात की और मिस्र में निवेश करने में रुचि व्यक्त की । सैफुद्दीन ने भी २०१४ से अपने स्वयं के दान से मेल खाते हुए लॉन्ग लिव इजिप्ट फंड (ताह्या मिश्र) को £E १० मिलियन (लगभग ५ करोड़ रुपयों) का दान दिया । [16] [17]
- सितंबर २०१९ में, सैफुद्दीन ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से मुलाकात की और क्रोनिक किडनी रोग से प्रभावित रोगियों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने और कल्याण और निवारक देखभाल में सुधार के लिए श्रीलंका के राष्ट्रीय किडनी कोष में १० मिलियन / - (लगभग ४० लाख) का दान दिया। [18] | उसी महीने, सैफुद्दीन ने २०१९ की भारतीय बाढ़ के बाद पुनर्वास प्रयासों में सहायता के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के राहत कोष में महत्वपूर्ण योगदान दिया [19]। अक्टूबर २०१९ में सैफुद्दीन ने कोलंबो (श्रीलंका) के बाहरी इलाके में महारागामा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे और क्षमता विस्तार के लिए राष्ट्रीय कैंसर संस्थान को 5 मिलियन (लगभग १० लाख रुपयों) का दान दिया ।
- अक्टूबर २०१९ में, सैफुद्दीन ने केन्या को ६०,००० बीज गेंदें दान कीं, और एक महीने बाद, अपने ७६वें जन्मदिन के अवसर पर, उन्होंने ७६,००० बीज गेंदें और दान किए, जिनका उपयोग अंबोसेली नेशनल पार्क (केन्या) में ३५,००० से अधिक स्वदेशी वृक्ष प्रजातियों को विकसित करने के लिए किया गया था । [20]
- मई २०२१ में, सैफुद्दीन ने COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए ₹1 करोड़ रुपयों का दान दिया । [21]
- सैफुद्दीन ने तंजानिया के पब्लिक स्कूलों को ५३००० अमरीकी डॉलर (लगभग ४० लाख रुपयों) का दान दिया | उसी महीने, सैफुद्दीन के नेतृत्व में एक स्थानीय समुदाय ने तंजानिया में भूकंप राहत प्रयासों के लिए TZS ५४.५ मिलियन (लगभग २० लाख रुपयों) का दान दिया ।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि समुदाय का एक भी सदस्य भूखा न रहे, मुफद्दल सैफुद्दीन ने सक्रिय रूप से विश्वव्यापी सामुदायिक रसोई योजना का विस्तार किया है [23] [24] , जिसका नाम फैज़ुल मवाईदील बुरहानियाह [25](अरबी: فيض الموائد البرهانية) है । दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रत्येक परिवार को हर दिन एक टिफिन या थाली पूरी तरह से तैयार और पका हुआ भोजन दिया जाता है । भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए, सैफुद्दीन ने किसी भी समुदाय, सामाजिक या व्यक्तिगत सभा में परोसे जाने वाले व्यंजनों की संख्या को सख्ती से सीमित करने के लिए एक नियम पेश किया, जहां दाऊदी बोहरा मौजूद हैं । यह एक नमकीन व्यंजन (खारास) - "एक मिष्ठान्न (मिठास)" कोई इसराफ (बर्बादी) नहीं के आदर्श वाक्य के तहत शुरू किया गया था [26]। इस तरह समुदाय के १ लाख घरों मे फैज़ुल मवाईदील बुरहानियाह की थाली के द्वारा ताजा, पौष्टिक और स्वस्थ खाना प्रतिदिन पहुँचाया जाता है | दुनिया भर में लगभग ७००० दाना समिति के स्वयंसेवकों को सामुदायिक रात्रिभोज में भोजन की बर्बादी को खत्म करने का काम सौंपा गया है | [27] [28]
सामाजिक उत्थान
[संपादित करें]अपलिफ्टमेंट प्रोग्राम
[संपादित करें]दिसंबर २०१६ में सैफुद्दीन ने अपने समुदाय के सदस्यों के जीवन स्तर में सुधार करने के लिए एक सामाजिक 'अपलिफ्टमेंट प्रोग्राम' (अरबी: رفع مستوى معيشة المؤمنين, , lit. 'Raising the Standard of the Life of Mumineen') की शुरुआत की [29]। भारत, पूर्वी एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व के ४१०० से अधिक स्वयंसेवक २०० से अधिक कस्बों और शहरों में फैले हुए थे। [30] ५ दिवसीय उत्थान अभियान में समुदाय के सदस्यों द्वारा खुद के ही शहरों में स्तिथित बोहरा समुदाय श्रद्धालुओ के घरों का मुफ्त नवीनीकरण, पेड़ और झाड़ियाँ लगाना, सामुदायिक संपत्तियों और मैदानों की स्वच्छता का उन्नयन, खेल के मैदान और खेल सुविधाओं का निर्माण, दंत स्वच्छता और टीकाकरण शिविर, एक खेल दिवस और नए साल के दिन एक सामुदायिक नाश्ता शामिल था । [31]
उन्होंने हाशिए पर, उपेक्षित या गरीबी रेखा के नीचे में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए “प्रोजेक्ट राइज़” नाम से एक वैश्विक पहल भी शुरू की है। दुनिया भर के सरकारी निकायों और स्थानीय संगठनों के साथ साझेदारी में, प्रोजेक्ट राइज़ के उत्थान कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल, पोषण, स्वच्छता और सफ़ाई, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और संरक्षण, और शिक्षा सहित कई नीतिगत क्षेत्रों में फैले हुए हैं। ये पहल COVID-19 महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करती रही । [32]
सैफी बुरहानी मेडिकल एसोसिएशन
[संपादित करें]सैफुद्दीन ने उत्तरी अमेरिका की अपनी पहली यात्रा पर [33], १४ मार्च २०१५ [34] को सैफी बुरहानी मेडिकल एसोसिएशन (अमेरिका) की स्थापना की, जिसकी अध्यक्षता उनके भाइयों, क़ाइदजौहर इज़्ज़ुद्दीन, कुसई वजीहुद्दीन, अम्मार जमालुद्दीन और मुफद्दल सैफुद्दीन के सबसे छोटे बेटे - हुसैन बुरहानुद्दीन ने की [35]। एसोसिएशन का चार्टर मुफ्त चिकित्सा क्लीनिक चलाने, छात्रों को सलाह देने और पेशेवर विकास की सुविधा प्रदान करना है | [36]
साल और तारीख | देश | पुरस्कार / सम्मान |
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२६ जून २०१४ | संयुक्त राज्य | प्रशस्ति प्रमाण पत्र, टांपा, फ्लोरिडा |
९ मार्च २०१५ | प्रशंसा का प्रमाण पत्र - ओंटारियो, कैलिफोर्निया | |
१२ मार्च २०१४ | विशेष कांग्रेस मान्यता का प्रमाण पत्र - यूनाइटेड स्टेट्स हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स | |
३ मार्च २०१५ | संकल्प कैलिफोर्निया विधानमंडल | |
६ मार्च २०१५ | प्रशंसा का प्रमाण पत्र - बेकर्सफील्ड का शहर | |
७ मार्च २०१५ | अमेरिकी सीनेट मान्यता का प्रमाण पत्र। | |
१३ मार्च २०१५ | प्रशंसा का प्रमाण पत्र - लॉस एंजिल्स शहर | |
अक्टूबर २०१५ | ह्यूस्टन शहर की कुंजी - ह्यूस्टन के मेयर, एनिस पार्कर | |
१६ जनुअरी २०२२ | टांपा शहर की कुंजी - टांपा के मेयर, जेन कैस्टर | |
९ सितम्बर २०१५ | पाकिस्तान | सिंध के राज्यपाल डॉ इशरत-उल-इबाद खान ने गवर्नर हाउस में कराची विश्वविद्यालय (केयू) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में मुफद्दल सैफुद्दीन को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की |
२०१५ & २०१८ | भारत | मुफद्दल सैफुद्दीन, 11 अप्रैल 2015 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नए चांसलर के रूप में चुने गए। उन्हें 2 दिसंबर 2018 को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चांसलर के रूप में चुना गया |
२०१४ से २०२० | जार्डन | वर्ष 2014, 2015, 2016, 2017, 2018, 2019 और 2020 में 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में से एक नामित किया गया था |
२३ जून २०१४ | मेडागास्कर | उन्हें मेडागास्कर में ग्रैंड-क्रॉइक्स डी डेक्सिएम क्लासे से सम्मानित किया गया था |
१८ अगस्त २०१४ | मिस्र | मिस्र के राष्ट्रपति, अब्दल फत्ताह अल-सीसी ने पदभार ग्रहण करने के बाद से मिस्र की अपनी पहली यात्रा पर मुफद्दल सैफुद्दीन की अगवानी की। सैफुद्दीन ने लॉन्ग लाइव मिस्र फंड में LE 10 मिलियन का दान दिया |
२०१५ | भारत | उन्हें 2015 "मानव अधिकारों और सामाजिक न्याय" को बढ़ावा देने में उनके उत्कृष्ट योगदान की मान्यता के लिए "वैश्विक शांति पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था "। उन्हें ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स, लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस (AICHLS) के आजीवन वैश्विक संरक्षण से भी सम्मानित किया गया |
२८ फेब्रुअरी २०१६ | उन्होंने 28 फरवरी 2016 को इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र नई दिल्ली में और 4 मई 2016 को जामिया सैफिया विश्वविद्यालय में अपनी उपस्थिति के दौरान "मैं तुलसी तेरे आंगन की" विषय के तहत "बेटी बचाओ बेटी पढाओ" का पोस्टर लॉन्च किया | |
२९ अगस्त २०१५ | तंजानिया | मोशी, तंजानिया की अपनी यात्रा के दौरान, मुफद्दल सैफुद्दीन को 29 अगस्त 2015 को मेयर जाफरी आर माइकल द्वारा "मोशी की कुंजी - किलिमंजारो की भूमि" भेंट की गई |
अगस्त २०१५ | मिस्र | मिस्र सरकार के निमंत्रण पर मुफद्दल सैफुद्दीन ने नई स्वेज नहर के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। सैफुद्दीन ने टिप्पणी की कि "स्वेज नहर मानव जाति का चमत्कार है जिसे उचित रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए |
२० अप्रैल २०१७ | केन्या | नैरोबी में अल जामिया सैफियाह परिसर के उद्घाटन पर राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा द्वारा एल्डर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द गोल्डन हार्ट, द्वितीय श्रेणी से भी सम्मानित किया गया |
३० सितम्बर २०१७ | पाकिस्तान | कराची के मेयर वसीम अख्तर द्वारा कराची की चाबी |
३० अप्रैल २०१८ | सिंगापुर | आर्किड की एक नई प्रजाति का नाम डेंड्रोबियम परम पावन डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन रखा गया |
१३ जनुअरी २०१९ | श्रीलंका | 13 जनवरी 2019 को कोलंबो के मेयर रोज़ी सेनानायके द्वारा कोलंबो शहर की कुंजी |
अशरा मुबारका
[संपादित करें]अशरा मुबारका (अरबी: عشرة مباركه) कर्बला की लड़ाई में हुसैन इब्न अली की शहादत के दिनों का एक वार्षिक शोक है [37] [38]। फातिमिद राजवंश की परंपरा में, [39] [40] दाई अल-मुतलक अपने समुदाय के लोगो को इस्लामी दर्शनशास्र, इतिहास, वाद-विवाद, व्याख्यात्मक, होरेटरी पर दस प्रवचन (फ़ारसी: وعظ) देते है ।
हर साल दाई अल-मुतलक अशरा की मेज़बानी के लिए एक शहर का चयन करते है, [41] [42] जहा पर कभी-कभी समाज के १ लाख से २ लाख श्रद्धालु अज़ादार-ए हुसैन (उर्दू: عزادارِ حسين, lit. 'Mourners of Husain') को आकर्षित करते हैं । [43] [44] [45] [46] [47] मेजबान शहर से अशरा मुबारका के प्रवचन, विशेष अवसर पर, दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर भी प्रसारित किया जाता है ।
तीर्थयात्रियों को अक्सर मुफ्त आवास, परिवहन और भोजन प्रदान किया जाता है [48] [49] [50]। जामेआ सैफियाह के एक विभाग, फुनूनूल क़ुरान के संकाय, मेजबान स्थल के विस्तृत तज़यीन (lit. 'decor') की देखरेख करते हैं । [51]
ईस्वी | हिजरी | शहर | प्रांत | देश | महाद्वीप | आरंभ तिथि | समाप्ति तिथि | सहभागी |
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२०१४ | १४३६ | सूरत | गुजरात | भारत | एशिया | २५ अक्टूबर | २ नवंबर | २००,००० [52] |
२०१५ | १४३७ | हूस्टन | टेक्सास | संयुक्त राज्य | उत्तर अमेरिका | १४ अक्टूबर | २२ अक्टूबर | २५,००० [53] |
२०१६ | १४३८ | दार इस सलाम | पूर्वी अफ़्रीका | तंजानिया | अफ्रीका | ३ अक्टूबर | ११ अक्टूबर | ३२,००० |
२०१७ | १४३९ | कराची | सिंध | पाकिस्तान | एशिया | २२ सितम्बर | ३० सितम्बर | ६५,००० |
२०१८ | १४४० | इंदौर | मध्य प्रदेश | [[भारत| भारत]] | एशिया | १२ सितम्बर | २० सितम्बर | २१०,००० |
२०१९ | १४४१ | कोलोंबो | पश्चिमी प्रांत | श्रीलंका | एशिया | १ सितम्बर | ९ सितम्बर | २८,००० |
२०२० | १४४२ | खंडाला | महाराष्ट्र | [[भारत| भारत]] | एशिया | २० अगस्त | २८ अगस्त | - |
२०२१ | १४४३ | नायरोबी | नायरोबी सिटी काउंटी | केन्या | अफ्रीका | १० अगस्त | १८ अगस्त | - |
२०२२ | १४४४ | लंदन | इंग्लैंड | ग्रेट ब्रिटेन | यूरोप | ३० जुलाई | ७ अगस्त | १२,५०० |
ट्रेवल्स
[संपादित करें]सैफुद्दीन अपने अनुयायियों से मिलने, उपदेश देने, स्थानीय समुदायों को संगठित करने, सामाजिक परियोजनाओं को शुरू करने और महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यों को मनाने के लिए साल भर विभिन्न दाऊदी बोहरा सामुदायिक केंद्रों की यात्रा करते है ।[54] सूरत (गुजरात), समुदाय का पिछला मुख्यालय और मूल जामेआ सैफियाह परिसर की मातृ शाखा, और हाल मे समुदाय का मुख्यालय मुंबई, अधिकांश कार्यक्रमों की मेजबानी करती है। भारत के बाहर अनुयायियों की एक बड़ी उपस्थिति के कारण, सैफुद्दीन की औसत से अधिक विज़िट देखी जाती है। कोलंबो, तंजानिया और केन्या अन्य छोटे सामुदायिक भी केंद्र हैं, जहाँ सैफुद्दीन अक्सर यात्रा करते हैं ।
सैफुद्दीन अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए यमन, मिस्र और इराक में केंद्रों का दौरा करते हैं। सैफुद्दीन भी अक्सर भारत के विभिन्न तीर्थ स्थानों जैसे राजस्थान में ताहेराबाद (गलियाकोट), गुजरात में अहमदाबाद, जामनगर, मांडवी और देनमाल, मध्य प्रदेश में बुरहानपुर और उज्जैन; विशेष रूप से वहां दफन किए गए पिछले शीर्ष अल-दाई अल-मुतलक़ और उनके शाही प्रशासक की वार्षिक स्मृति को मनाने के लिए की यात्रा करते हैं ।
२७ अप्रैल २०२२ को, मुफद्दल सैफुद्दीन ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी के साथ काहिरा में इमाम अल-हुसैन मस्जिद का उद्घाटन किया, जिसमें इमाम अल-हुसैन के पवित्र मक़बरा के नए परिसर सहित मस्जिद और उसके आसपास के क्षेत्र में नवीनीकरण कार्य किया गया । [55]
उत्तराधिकार
[संपादित करें]दाऊदी बोहरा के 52वें दाई अल-मुतलक, सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का १७ जनवरी २०१४ को निधन हो गया। [56] विश्वास के सिद्धांतों के अनुसार प्रत्येक पूर्ववर्ती को अपने जीवनकाल के दौरान अपने उत्तराधिकारी को नामित करना आवश्यक है। [57] उनकी मृत्यु ने एक उत्तराधिकार संकट को आकार दिया जहां दाऊदी बोहरा के ५३वे दाई अल-मुतलक के खिताब के लिए सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब के खिलाफ खुजैमा कुतुबुद्दीन एक प्रतिद्वंद्वी उभरा । [58] [59]
चुनौती ने मुफद्दल सैफुद्दीन के साथ गठबंधन करने वाले बहुसंख्यक और खुजैमा कुतुबुद्दीन के साथ गठबंधन के साथ समुदाय में विभाजन पैदा किया। [60] [61] मुफद्दल सैफुद्दीन ने दाऊदी बोहरा प्रशासन और सामुदायिक बुनियादी ढांचे का नियंत्रण ग्रहण किया। [62] मार्च 2014 में, खुजैमा कुतुबुद्दीन ने मुफद्दल सैफुद्दीन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में दीवानी मुकदमा 337/2014 दायर किया जिसमें उन्होंने एक घोषणा की मांग की कि उन्हें वैध रूप से 53 वें दाई अल-मुतलक के रूप में नियुक्त किया गया था। [63] [64] यू.के. चैरिटी आयोग ने यह विचार किया है कि "परम पावन सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन दाई अल-मुतलाक के कार्यालय के वर्तमान पदाधिकारी हैं।" [65]
वंशावली
[संपादित करें]- सैफुद्दीन इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद और इस्लामिक पैगंबर इब्राहिम के वंशज हैं । [66]
- सैफुद्दीन इमाम जाफरुस सादिक और भारत के हज़ारो साल पुराने प्राचीन संतो फखरुद्दीन शहीद (राजस्थान), अब्दुलक़ादिर हकीमुद्दीन (मध्य प्रदेश), खान्जिफीर (राजस्थान) और सैयदी लुकमानजी (राजस्थान) के वंशज भी हैं।
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