नई दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग
दिल्ली-नागपुर-चेन्नई रेलमार्ग | |||
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अवलोकन | |||
स्थिति | संचालित | ||
स्वामित्व | भारतीय रेलवे | ||
स्थान | दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु | ||
प्रारंभ/समापन | |||
सेवा | |||
संचालक | उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, मध्य रेलवे, दक्षिण मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे | ||
इतिहास | |||
प्रारंभ | 1929 | ||
तकनीकी | |||
लाइन/रेखा लंबाई | 2,182 कि॰मी॰ (1,356 मील) | ||
ट्रैक संख्या | 2 | ||
रेल गेज | 1,676 mm (5 ft 6 in) ब्रॉड गेज | ||
विद्युतीकरण | 25 kV 50 Hz एसी ओएचएलई 1980-1991 के दौरान | ||
संचालन गति | 160 किमी/घंटा तक | ||
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दिल्ली-नागपुर-चेन्नई रेलमार्ग, भारत में स्थित एक रेलवे मार्ग है जो भारत के दक्षिणी भाग पूर्वी तटीय मैदानों, पूर्वी घाटों, दक्कन के पठार और यमुना घाटी से होते हुए, चेन्नई और दिल्ली को जोड़ती है। यह 2,182 किलोमीटर (1,356 मील) की दूरी तय करती हुई, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्य से गुजरती हैं। मार्ग का उपयोग ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस द्वारा किया जाता है और इसलिये कई बार इसे ग्रैंड ट्रंक मार्ग द्वारा संदर्भित किया जाता है।
खंड
[संपादित करें]2,182 कि॰मी॰ (1,356 मील) लंबी ट्रंक मार्ग, महानगरों को जोड़ने वाली इस लंबी और व्यस्त ट्रंक मार्ग को अधिक विस्तार से सम्भालने के लिये बीच में कई छोटे खंडो विभाजित किया गया है:
- आगरा कॉर्ड
- आगरा-भोपाल खंड
- भोपाल-नागपुर खंड
- नागपुर-काज़िपेट खंड
- काजीपेट-विजयवाड़ा खंड
- विजयवाड़ा-चेन्नई खंड
इतिहास
[संपादित करें]आगरा-दिल्ली कॉर्ड 1904 में चालु किया गया था।[1] नई दिल्ली के निर्माण (1927-28 में उद्घाटन) के दौरान इसके कुछ हिस्सों को स्थानांतरित कर दिया गया था।[2]
आगरा-ग्वालियर लाइन 1881 में ग्वालियर के महाराजा द्वारा बनवाया गया और यह सिंधिया राजकीय रेलवे बन गई।
भारतीय मिडलैंड रेलवे ने 1889 में ग्वालियर-झाँसी लाइन और झाँसी-भोपाल लाइन का निर्माण किया।[3]
भोपाल-इटारसी लाइन भोपाल की बेगम द्वारा 1884 में बनवाया गया था।[3] इटारसी को 1923 और 1924 के बीच नागपुर से जोड़ा गया था।[4]
नागपुर-बल्हारशाह मार्ग के निर्माण की अवधि अनिश्चित है।
विजयवाड़ा-चेन्नई रेलमार्ग का निर्माण 1899 में हुआ था।[3]
वाडी-सिकंदराबाद रेलमार्ग का निर्माण 1874 में हैदराबाद के निज़ाम द्वारा वित्तपोषण के साथ किया गया था। यह बाद में निजाम के गारंटीड स्टेट रेलवे का हिस्सा बन गया। 1889 में, निज़ाम के गारंटीड स्टेट रेलवे की मुख्य लाइन को विजयवाड़ा तक विस्तारित किया गया था, जिसे तब बेजवाड़ा के नाम से जाना जाता था।[3]
1929 में काजीपेट-बल्हारशाह लिंक के पूरा होने के साथ, चेन्नई सीधे दिल्ली से जुड़ा गया।[1]
विद्युतीकरण
[संपादित करें]विजयवाड़ा-चेन्नई खंड 1980 तक विद्युतीकृत हो गया।[5]
विजयवाड़ा-काजीपेट खंड को 1985-88 में विद्युतीकृत किया गया था।[6]
काजीपेट- रामागुंडम -बलशाह-नागपुर खंड को 1987-89 में विद्युतीकृत किया गया था।
1988-89 में भोपाल-इटारसी खंड और 1990-91 में नागपुर-इटारसी खंड का विद्युतीकरण किया गया ।
आगरा-भोपाल खंड को 1984-89 में विद्युतीकृत किया गया था।
1982-85 में आगरा-फरीदाबाद खंड का विद्युतीकरण किया गया। [6]
गतिसीमा
[संपादित करें]दिल्ली-चेन्नई रेलमार्ग (ग्रैंड ट्रंक मार्ग) को "ग्रुप ए" लाइन के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो 160 किमी / घंटा तक की गति झेल सकती है। [7]
यात्री यातायात
[संपादित करें]नई दिल्ली, मथुरा जंक्शन, आगरा कैंट।, ग्वालियर, झांसी, भोपाल, भोपाल हबीबगंज, नागपुर, रामागुंडम, वारंगल, विजयवाड़ा, नेल्लोर और चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन, इस मार्ग पर, भारतीय रेलवे के शीर्ष सौ बुकिंग स्टेशनों में से एक हैं।[8]
हीरा चतुर्भुज
[संपादित करें]दिल्ली-चेन्नई रेलमार्ग हीरे के चतुर्भुज का एक हिस्सा है। चार प्रमुख महानगरों (नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) को जोड़ने वाले मार्ग, उनके विकर्णों के साथ, जिन्हें हीरा चतुर्भुज के रूप में जाना जाता है, लगभग आधा माल और लगभग आधा यात्री यातायात इन रेलमार्गो से होता हैं, हालांकि ये कुल लंबाई का केवल 16 प्रतिशत ही हैं। [9]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "IR History: Part III (1900-1947)". IRFCA. मूल से 1 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014. सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "irhistoryiii" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ "A fine balance of luxury and care". Hindusthan Times, 21 July 2011. मूल से 2 June 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014.
- ↑ अ आ इ ई "IR History: Early Days – II". Chronology of railways in India, Part 2 (1870-1899). मूल से 26 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014. सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "irfcaii" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ "Introduction". Nagpur Itarsi Route. Nagpur district authorities. मूल से 10 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014.
- ↑ "IR History Part VII (2000-present)". IRFCA. मूल से 15 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014.
- ↑ अ आ "History of Electrification". IRFCA. मूल से 19 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014. सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "electric" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ "Chapter II – The Maintenance of Permanent Way". मूल से 3 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014.
- ↑ "Indian Railways Passenger Reservation Enquiry". Availability in trains for Top 100 Booking Stations of Indian Railways. IRFCA. मूल से 10 May 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014.
- ↑ "Geography – Railway Zones". Major routes. IRFCA. मूल से 19 अगस्त 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 March 2014.