भारतीय रेल सिविल इंजीनियरी संस्थान, पुणे
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भारतीय रेल सिविल इंजीनियरी संस्थान रेलपथ, पुलों एवं संरचनाओं पर रेलों के विशेष उद्देश्य को शामिल करते हुए प्रशिक्षण मॉड्युल की व्यवस्था करता है। यह पेशेवर इंजीनियरों, योग्य अनुभवी एवं नामचीन व्यावसायिकों तथा नवागंतुकों के बीच परस्पर विचार विमर्श की व्यवस्था करता है। सन 1959 में पुणे में प्रारंभ हुई रेल प्रशिक्षण पाठशाला के रूप में अस्तित्व में आया भा.रे.सि.इ.से. नए भर्ती हुए रेल सिविल इंजीनियरों एवं व्यावसायिकों के प्रशिक्षण की आवश्यकताएं पूरी करता रहा है।
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक शहर पुणे में स्थित इरिसेन में एक साथ ही एक समय करीब 100 इंजीनियरों प्रबंधकों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। विकासशील देशों की रेलों के अलावा, सरकारी विभागों एवं निजी संगठनों के इंजीनियरों को भी प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का स्वरूप सामान्य तथा आवासीय है। प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए सुभंडारित तकनीकी ग्रंथालय, कंप्युटर केंद्र, सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला, मॉडल कक्ष, संग्रहालय, छात्रावास, भोजन कक्ष एवं मनोरंजन सुविधाओं के साथ विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संरचनागत सुविधाएं उपलब्घ हैं।
प्रशिक्षण देने में उत्कृष्टता प्राप्त इरिसेन को आइ.एस.ओ.9001-2000 प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है। मेसर्स डेट नार्स्के वेरिटास (डीएनवी), हॉलैंड, (प्रमाणित करनेवाला निकाय) द्वारा जारी प्रमाणीकरण पत्र के अनुसार प्रमाणपत्र 9 सितंबर 2003 से 9 दिसम्बर 2006 तक प्रभावी है। सिविल इंजीनियरी एवं निर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तथा विकासशील देशों विशेषकर एशिया एवं अफ्रीका के रेल, राइट्स, इरकॉन, कोंकण रेल प्रतिष्ठित सार्वजनिक/निजी क्षेत्र की कंपनियों निकाय की कंपनियों के अधिकारी इसके ग्राहक हैं।
इतिहास
[संपादित करें]भारतीय रेल के नए भर्ती सिविल इंजीनियरों को आंतरिक प्रशिक्षण देने की लंबे समय से अनुभव की जा रही मांग को पूरा करने के लिए पुणे में सन् 1959 में रेल पथ प्रशिक्षण पाठशाला के रूप में भा.रे.सि.इंजी.संस्थान प्रारंभ हुआ। बाद के वर्षों में रेलपथ एवं पुल प्रौद्योगिकी में उन्नतियों के कारण संस्था की श्रेणी में वृद्धि की गई ताकि रेलपथ, पुलों एवं रेलवे के सिविल इंजीनियरों के सामने आनेवाले अन्य विषयों को इसमें शामिल किया जा सके. इस संस्थान के नाम में निम्नानुसार परिवर्तन हुए हैं।
वर्ष 1971 में - भारतीय रेल उन्नत रेलपथ प्रौद्योगिकी संस्थान.
वर्ष 1985 में भारतीय रेल सिविल इंजीनियरी संस्थान (इरिसेन)
बाद के वर्षों में इसमें आधुनिक सुसज्जित प्रयोगशालाएं तथा मॉडल कक्षों वाले अनेक अतिरिक्त प्रभाग जोडे गए, जिससे संस्थान का यह वर्तमान स्वरूप सामने आया है। आज हर नवागंतुक इंजीनियर उन्नति के अपने साझा प्रयासों में तथा ज्ञान एवं निपुणता की अभिवृद्धि के लिए अनुभवी तथा वरिष्ठ इंजीनियरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करते हैं।
उद्देश्य
[संपादित करें]- इरिसेन द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रत्येक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए ग्राहकों की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से बताना.
- प्रभावी उन्नतियों के लिए सेवा के (प्रशिक्षण पाठ्यक्रम) परिमेय विशेषताओं को विनिर्दिष्ट करना.
- प्रशिक्षण देने के लिए आधुनिकतम आधारभूत संरचना (अध्यापन सहायक सामग्रियों) की व्यवस्था करना.
- संकाय की तकनीकी तथा संचार निपुणताओं का निर्धारण करने के लिए परिमेय.
- परिमेय मानदंडों को तैयार करना, इन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए संकाय की निपुणताओं में वृद्धि करना तथा इस गुणवत्ता का अनुपालन करनेवाले अतिथि संकाय सदत्यों का चयन करना.
- ग्राहक असंतुष्टि की पहचान, रोकथाम तथा निवारण की एक प्रणाली तैयार करना.
- इरिसेन के समस्त कर्मचारियों के बीच गुणवत्ता के प्रति समर्पण का भाव पैदा करना.
- सेवा की गुणवत्ता के आवधिक निर्धारण तथा इसमें लगातार उन्नति के लिए एक प्रणाली तैयार करना तथा उसे कार्यान्वित करना.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- भारतीय रेल सिविल इंजीनियरी संस्थान, पुणे का जालघर
- Indian Railways Institute of Civil Engineering, Pune
- Indian Railways information portal