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|नाम - कोटमीसोनार मगरमच्छ राष्ट्रीय उद्यान
| name = भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान

| alt_name = Bhitarkanika National Park<br>ଭିତରକନିକା ଜାତୀୟ ଉଦ୍ୟାନ
|राज्य - छत्तीसगढ़
| iucn_category = II

| photo = Sunrise at Bhitarakanika.jpg
|जिला - जांजगीर चांपा
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| photo_caption = भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में सूर्योदय
|विकासखंड - अकलतरा
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| map = India Odisha
|गांव - कोटमीसोनार
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|क्षेत्रफल - 200 एकड़
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| location = [[केन्द्रापड़ा ज़िला]], [[ओड़िशा]], [[भारत]]
|स्थापना वर्ष - 06 मई 2006
| nearest_city = [[चाँदबाली]]

| coordinates = {{coords|20|45|N|87|0|E|display=inline,title}}
|मगरमच्छों की संख्या - 400+
| area_km2 = 145

| established = 16 सितम्बर 1998
छत्तीसगढ़ के जांजगीर- चाम्पा जिले के अकलतरा विकासखण्ड के ग्राम - कोटमीसोनार में स्थित क्रोकोडाईल पार्क जो मगरमच्‍छो के संरक्षण के लिए बनाया गया हैं यहां साइंस पार्क, एनर्जी पार्क, ऑडीटोरियम आदि बनाया गया हैं
| visitation_num =
इस संरक्षण केंद्र में 400 से भी ज्यादा मगरमच्छ हैं। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने इस केंद्र को पर्यटन स्थलों में शामिल किया है। यहां आने वाले देसी-विदेशी सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
| visitation_year =

| governing_body = [[वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (भारत)|वन एवं पर्यावरण मंत्रालय]], [[भारत सरकार]]

| url = http://www.bhitarkanikanationalpark.com/
मगरमच्छ संरक्षण केंद्र का विस्तार 200 एकड़ जमीन पर है। इसमें 85 एकड़ पर जलाशय निर्माण किया गया है। जलाशय में लगभग 400 मगरमच्छों को उनके अनुकूल प्राकृतिक वातावरण में संरक्षित रखा गया है। इस जलाशय में 165 मगरमच्छों को अन्य स्थानों से लाया गया है। शेष मगरमच्छ यहां पूर्व से उपलब्ध थे या वंशवृद्धि किए गए हैं।
}}

'''भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान''' (Bhitarkanika National Park) [[भारत]] के [[ओड़िशा]] राज्य के [[केन्द्रापड़ा ज़िले]] में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह 145 वर्ग किमी (56 वर्ग मील) पर फैला हुआ है। इसे 16 सितम्बर 1998 को सन् 1975 में निर्धारित एक केन्द्रीय क्षेत्र को लेकर नामांकित करा गया और 19 अगस्त 2002 को इसे [[रामसर सम्मेलन|रामसर स्थल]] का दर्जा मिल गया। ओड़िशा में [[चिल्का झील]] के बाद यह दूसरा रामसर स्थल है। यह राष्ट्रीय उद्यान '''भीतरकनिका वन्य अभयारणय''' (Bhitarkanika Wildlife Sanctuary) से घिरा हुआ है जो स्वयं एक 672 वर्ग किमी (259 वर्ग मील) के क्षेत्रफल पर विस्तारित है। पूर्व में [[गहीरमथा बालूतट]] और समुद्री अभयारण्य है, जो इसके [[दलदल]] और [[मैन्ग्रोव]] से ढके क्षेत्र को [[बंगाल की खाड़ी]] से अलग करता है। [[ब्राह्मणी नदी|ब्राह्मणी]], [[बैतरणी नदी|बैतरणी]], [[धामरा नदी|धामरा]] और पाठशाला नदियाँ राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य को जल पहुँचाती हैं। यहाँ कई मैन्ग्रोव जातियाँ हैं और यहाँ का [[भीतरकनिका मैन्ग्रोव पारिक्षेत्र]] भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैन्ग्रोव [[पारिक्षेत्र]] है। राष्ट्रीय उद्यान में [[खारे पानी के मगरमच्छ]], भारतीय [[अजगर]], [[नागराज (सांप)|नाग]], [[काला बाज़ा]] (आइबिस पक्षी), [[डार्टर]] (पनकौआ) और कई अन्य प्राणी व वनस्पति जातियाँ पाई जाती हैं।<ref>{{Cite news |url=http://www.savingwetlands.com/wetlands-around-the-world/bhitarkanika-national-park-wetlands/ |title=Bhitarkanika Wetlands of Odisha, India{{!}} Saving Wetlands |date=2017 |newspaper=Saving Wetlands |access-date=2017-09-13 |archive-date=2 नवंबर 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20191102183750/http://www.savingwetlands.com/wetlands-around-the-world/bhitarkanika-national-park-wetlands/ |url-status=dead }}</ref>

85 एकड़ में फैला जलाशय

जलाशय के चारों ओर पर्यटकों की सुरक्षा के लिए जलस्तर से 10 फीट की दूरी पर डबल लेयर जाली भी लगाई गई है। किनारे परिक्रमा पथ से मगरमच्छों को देखा जा सकता है। इस पार्क में दो मंजिला वाचिंग टावर बनाया गया है। वाचिंग टावर से पूरे परिसर को एक साथ देखा जा सकता है। पर्यटकों के भोजन व जलपान की व्यवस्था के लिए सर्वसुविधायुक्त एक रेस्टोरेंट और बच्चों के लिए आकर्षक झूले लगाए गए हैं। परिसर में सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए पेड़-पौधे पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।


कोटमी सोनार क्रोकोडाइल पार्क (अकलतरा ) का मगरमच्छ

इतिहास -

इस केंद्र के निर्माण के पूर्व इस स्थान पर कोटमी सोनार गांव का मुढ़ा तालाब था। अनुकूल वातावरण होने के कारण यहां पूर्व से ही मगरमच्छों का निवास था। मगरमच्छ के रहने से यहां गांव में जनहानि या पशुहानि की आशंका बनी रहती थी। इसका समाधान यहां मगरमच्छ संरक्षण केंद्र बनाकर किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 6 मई, 2006 को इस मगरमच्छ संरक्षण केंद्र का शिलान्यास किया था। इस केंद्र को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मगरमच्छ संरक्षण केंद्र के देख रेख करने वाले व्यक्ती कहते है कि यहां प्रतिवर्ष 40 से 50 से हजार पर्यटक आते हैं। राज्य के समीपवर्ती राज्यों सहित विदेशी सैलानियों का भी आगमन होता है।

कोटमी सोनार का यह गांव पुराने समय में सोनारो का गांव हुआ करता था जिससे यहां कई सिक्‍कों से भरी मटकीयां और प्राचीन जेवरात भी मिले हैं कहा जाता है कि यह गांव पहले एक पुरा किला हुआ करता था जो चारों तरफ से घिरा था और यहां के लोग काफी अमीर थे पुरातात्‍विक विभाग को यहां पुरातन अवशेष भी प्राप्‍त हुए हैं और इस जगह के पुराने किले को कोटमी सोनार फोर्ट के नाम से भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा एक संरक्षित स्‍मारक का दर्जा भी प्राप्‍त है हालांकि अब यहां किले के नाम पर सिर्फ उसके पत्‍थर ही बचे हुए फिर भी अगर इस जगह को चारों तरफ से देखे तो एैसा लगता हैं मानों की यह पुरा गांव ही किले की दीवारों से घिरा हुआ होगा।


पहुच मार्ग -

यह स्‍थान बिलासपुर से लगभग 30-35 कि.मी. दूर स्थित हैं आप यहां बिलासपुर से ट्रेन के माध्‍यम से आ सकते हैं या रोड के सहारे टैक्‍सी बुक कर आ सकते हैं और जांजगीर चांपा जिला मुख्‍यालय से यह जगह लगभग 20 कि.मी. की दुरी पर हैं और अकलतरा से 10 की.मी. की दुरी पर है यहाँ आप ट्रेन के माध्‍यम से भी आ सकते है यहाँ निकटतम रेलवे स्टेशन कोटमी सोनार है।


हमारी राय -

अगर आप शहरो से दूर कही गाव का लुप्त उठाना चाहते है तो यहाँ जरुर आइये आपको काफी अच्छा लगेगाआप यह परिवार से साथ भी बहुत मजे कर सकते है यह बहोत बड़ा बगीचा और झूले भी है यहाँ आप जब चाहे तब आ सकते है यह हमेशा देखने लायक रहते है...


== वनस्पति और प्राणी ==
== वनस्पति और प्राणी ==

19:28, 15 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण

भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान
Bhitarkanika National Park
ଭିତରକନିକା ଜାତୀୟ ଉଦ୍ୟାନ
आईयूसीएन श्रेणी द्वितीय (II) (राष्ट्रीय उद्यान)
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में सूर्योदय
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
अवस्थितिकेन्द्रापड़ा ज़िला, ओड़िशा, भारत
निकटतम शहरचाँदबाली
निर्देशांक20°45′N 87°0′E / 20.750°N 87.000°E / 20.750; 87.000निर्देशांक: 20°45′N 87°0′E / 20.750°N 87.000°E / 20.750; 87.000
क्षेत्रफल145 कि॰मी2 (56 वर्ग मील)
स्थापित16 सितम्बर 1998
शासी निकायवन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार
www.bhitarkanikanationalpark.com

भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (Bhitarkanika National Park) भारत के ओड़िशा राज्य के केन्द्रापड़ा ज़िले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह 145 वर्ग किमी (56 वर्ग मील) पर फैला हुआ है। इसे 16 सितम्बर 1998 को सन् 1975 में निर्धारित एक केन्द्रीय क्षेत्र को लेकर नामांकित करा गया और 19 अगस्त 2002 को इसे रामसर स्थल का दर्जा मिल गया। ओड़िशा में चिल्का झील के बाद यह दूसरा रामसर स्थल है। यह राष्ट्रीय उद्यान भीतरकनिका वन्य अभयारणय (Bhitarkanika Wildlife Sanctuary) से घिरा हुआ है जो स्वयं एक 672 वर्ग किमी (259 वर्ग मील) के क्षेत्रफल पर विस्तारित है। पूर्व में गहीरमथा बालूतट और समुद्री अभयारण्य है, जो इसके दलदल और मैन्ग्रोव से ढके क्षेत्र को बंगाल की खाड़ी से अलग करता है। ब्राह्मणी, बैतरणी, धामरा और पाठशाला नदियाँ राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य को जल पहुँचाती हैं। यहाँ कई मैन्ग्रोव जातियाँ हैं और यहाँ का भीतरकनिका मैन्ग्रोव पारिक्षेत्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैन्ग्रोव पारिक्षेत्र है। राष्ट्रीय उद्यान में खारे पानी के मगरमच्छ, भारतीय अजगर, नाग, काला बाज़ा (आइबिस पक्षी), डार्टर (पनकौआ) और कई अन्य प्राणी व वनस्पति जातियाँ पाई जाती हैं।[1]

वनस्पति और प्राणी[संपादित करें]

वनस्पति[संपादित करें]

कच्छ वनस्पति, सुंदरी, थेस्पिया, कासुअरिना जैसे वृक्ष और नील झाड़ी और कई अन्य घास हैं।

प्राणी[संपादित करें]

खारे पानी के मगरमच्छ, सफेद मगरमच्छ, भारतीय अजगर, एक प्रकार के काले पक्षी, जंगली सूअर, रीसस बंदरों, चीतल, बानकर, कोबरा, पानी में रहने वाली छिपकली आदि इस उद्यान की शोभा हैं। गाहिरमथा और अन्य पास के समुद्र तटों के घोंसले पर ओलिव रिडले समुद्री-कछुए रहते है। भारत में सबसे बड़े खतरे में रहे समुद्री मगरमच्छ की आबादी भितरकनिका में उपलब्ध है और 10 प्रतिशत वयस्क कछुओं की लंबाई 6 मीटर की है जो कि दुनिया भर में अनूठा है। लगभग 700 समुद्री मगरमच्छ नदियों और खाड़ियों में रहते हैं[2]

पक्षी[संपादित करें]

किंगफिशर की आठ किस्मों सहित पक्षिवृन्द की 215 प्रजातियां यहां पाए जाते हैं। एशियाई ओपन बिल, जलकौवा, बानकर, एक प्रकार के काले पक्षी, एग्रेट्स, जैसे पक्षियों को अक्सर उद्यान में देखा जाता है।

मैन्ग्रोव और वन्य जीवन[संपादित करें]

मैन्ग्रोव, नमक सहिष्णु, जटिल और गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र है जो कि उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय और अंतर - ज्वारीय क्षेत्र हैं। ओड़िसा के केंद्रापाड़ा जिल के उत्तर-पूर्वी कोने में ब्राहम्णी-बैतरनी नदी के मुहाने में स्थित भितरकनिका एक उपयुक्त, हरे भरे जीवंत पर्यावरण में स्थित है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी के साथ खाड़ियों के एक नेटवर्क के द्वारा यह क्षेत्र प्रतिच्छेद है। घुमावदार खाड़ियों और नदियों के बीच गली, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यवहार्य मैन्ग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है। यह सदाबहार वन और आर्द्रभूमि की 672 किमी ². में फैली हुई है और यह सेंट्रल एशिया और यूरोप से सर्दियों के प्रवासियों सहित पक्षियों की लगभग 215 से भी अधिक प्रजातियों के लिए घर प्रदान करता है। विशाल नमक पानी मगरमच्छ और अन्य वन्य जीवन की विविधता इस पारिस्थितिकी तंत्र में रहते हैं जो कि एशिया में सबसे शानदार वन्य जीव क्षेत्र होने का गौरव प्रदान करता है।

145 किमी² के एक क्षेत्र को भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान व्यापक अधिसूचना No.19686 / एफ और ई और दिनांक 16.9.1998 वन एवं पर्यावरण विभाग, ओड़िसा सरकार के रूप में अधिसूचित किया है। पारिस्थितिकी, जीवोमोर्फीलॉजिकल और जैविक पृष्ठभूमि जो सदाबहार जंगलों, नदियों, खाड़ियों, ज्वारनदमुख, वापसी पानी, सहवर्धित भूमि और कीचड़ फ्लैट भी शामिल है, के संबंध में यह काफी महत्वपूर्ण है। भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान भितरकनिका अभयारण्य का केन्द्रीय क्षेत्र है।

भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य की व्यापक अधिसूचना को घोषित किया गया जिसका नम्बर है No.6958/FF AH Dtd . 22.04.1975 और यह 672 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। अभयारण्य में सदाबहार वन घुमावदार नदियां, असंख्य क्रिस-पार ज्वारीय बाढ़ खाड़ी शामिल हैं जो कि पहले ही खतरे में रहे नमक पानी मगरमच्छ (क्रोकोडाइल पोरोसस) के लिए शरण प्रदान करते हैं। नदी के मुहाने के मगरमच्छ के अलावा, अभयारण्य पक्षिवृन्द, स्तनधारी और सांप आबादी में समृद्ध है। ये सदाबहार वन किंग कोबरा, भारतीय पाइथन और जल में रहने वाली छिपकली के लिए अच्छा निवास स्थान है। जल पक्षियों की एक बड़ी संख्या बगागाहन बगलाओं के घोंसला में घुमते हैं जो कि जून से अक्टूबर महिने में सुआजोरे खाड़ी के करीब भीतरकनिका वन क्षेत्र के भीतर लगभग 4 हेक्टेयर का एक क्षेत्र है। ज्यादातर पक्षी एशियाई ओपन बिल हैं। एग्रेट (सफ़ेद बगुला) एक प्रकार के काले पक्षी, जलकौवा, बानकर और अन्य.

आकर्षण[संपादित करें]

भितरकनिका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। इस जगह में आने वाले पर्यटक कणिका महल, भगवान जगन्नाथ मंदिर और कई अन्य मंदिरों पर जाकर वास्तविक संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Bhitarkanika Wetlands of Odisha, India| Saving Wetlands". Saving Wetlands. 2017. मूल से 2 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-09-13.
  2. "भितरकनिका में मगरमच्छ". मूल से 24 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2011.