लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव | |
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लालू प्रसाद यादव | |
पद बहाल 24 मई 2004 – 22 मई 2009 | |
पूर्वा धिकारी | नीतीश कुमार |
उत्तरा धिकारी | ममता बनर्जी |
चुनाव-क्षेत्र | सारण |
पद बहाल 16 मई 2009 – 22 अक्टूबर 2013 | |
उत्तरा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
पद बहाल 4 अप्रैल 1995 – 25 जुलाई 1997 | |
पूर्वा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
उत्तरा धिकारी | राबड़ी देवी |
पद बहाल 24 मई 2004 – 22 मई 2009 | |
पूर्वा धिकारी | राजीव प्रताप रूड़ी |
उत्तरा धिकारी | निर्वाचन क्षेत्र परिसीमित |
पद बहाल 23 मार्च 1977 – 22 अगस्त 1979 | |
पूर्वा धिकारी | रामशेखर प्रसाद सिंह |
उत्तरा धिकारी | सत्य देव सिंह |
पद बहाल 2 दिसम्बर 1989 – 13 मार्च 1991 | |
पूर्वा धिकारी | रामबहादुर सिंह |
उत्तरा धिकारी | लाल बाबू राय |
जन्म | 11 जून 1948 गोपालगंज, बिहार |
राजनीतिक दल | राष्ट्रीय जनता दल |
जीवन संगी | राबड़ी देवी |
शैक्षिक सम्बद्धता | पटना विश्वविद्यालय |
धर्म | हिन्दू |
जालस्थल | rashtriyajanatadal |
लालू प्रसाद यादव (जन्म: 11 जून 1948) भारत के बिहार राज्य के राजनेता व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वे 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के लिए उन्हें बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया था।[1] केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विशेष न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा जबकि उन पर कथित चारा घोटाले में भ्रष्टाचार का गम्भीर आरोप सिद्ध हो चुका था।[2] 3 अक्टूबर 2013 को न्यायालय ने उन्हें पाँच साल की कैद और पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी।[3] दो महीने तक जेल में रहने के बाद 13 दिसम्बर को लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली।[4] [5]
यादव और जनता दल यूनाइटेड नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया।[6] के नये नियमों के अनुसार लालू प्लक सभा के महासचिव ने यादव को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने की अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गँवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद हो गये हैं।[7]
जीवन एवं राजनीतिक सफर
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बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के[8] राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए।[9] लोक सभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुँचे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे।
व्यक्तिगत जीवन
[संपादित करें]1 जून 1973 को यादव ने राबड़ी देवी से अपने माता-पिता द्वारा व्यवस्थित एक पारंपरिक शादी की। यादव नौ बच्चों, सात बेटियाँ और दो बेटों के पिता हैं।[10]
- मीसा भारती , सबसे बड़ी बेटी ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शैलेश कुमार से शादी कर ली
- रोहिणी आचार्य, दूसरी बेटी, राव समरेश सिंह, एसआरसी दिल्ली से एक अमेरिका स्थित वाणिज्य स्नातक, औरंगाबाद जिले के दाउदनगर निवासी राव रणविजय सिंह के बेटे से मई 2002 में शादी कर ली
- चंदा सिंह, तीसरी बेटी, विक्रम सिंह से शादी कर ली, और 2006 में इंडियन एयरलाइंस के साथ पायलट
- रागिनी यादव, चौथी बेटी, राहुल यादव से शादी, जितेंद्र यादव के बेटे, गाजियाबाद से सांसद विधायक, जो अब कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं
- हेमा यादव, पांचवीं बेटी, विनीत यादव से शादी की, एक राजनीतिक परिवार के वंशज
- Dhannu (उर्फ अनुष्का राव), छठे बेटी, चिरंजीव राव, कांग्रेस के राव अजय सिंह यादव, हरियाणा सरकार में कुछ समय ऊर्जा मंत्री के बेटे से शादी की
- तेज प्रताप यादव, बड़े बेटे , बिहार राज्य सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री
- राजलक्ष्मी सिंह, सबसे छोटी बेटी, मैनपुरी और मुलायम सिंह यादव के भव्य भतीजे से तेज प्रताप सिंह यादव, सांसद से शादी की[11]
- तेजस्वी यादव, छोटे बेटे, पूर्व क्रिकेटर, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री
छात्र राजनीति और प्रारंभिक कैरियर
[संपादित करें]प्रसाद ने 1970 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (पुसू) के महासचिव के रूप में छात्र राजनीति में प्रवेश किया और 1973 में अपने अध्यक्ष बने। 1974 में, उन्होंने बिहार आंदोलन, जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुवाई वाली छात्र आंदोलन में अनुसूचित जाति व जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के हक व अधिकार के लिए शामिल हो गए। पुसू ने बिहार छात्र संघर्ष समिति का गठन किया था, जिसने लालू प्रसाद को अध्यक्ष के रूप में आंदोलन दिया था। आंदोलन के दौरान प्रसाद जनवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के करीब आए और 1977 में लोकसभा चुनाव में छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए, बिहार राज्य के तत्कालीन अध्यक्ष जनता पार्टी और बिहार के नेता सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने उनके लिए प्रचार किया।। जनता पार्टी ने भारत गणराज्य के इतिहास में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाई और 29 साल की उम्र में, वह उस समय भारतीय संसद के सबसे युवा सदस्यों में से एक बन गए।[12][13]
निरंतर लड़ने और वैचारिक मतभेदों के कारण जनता पार्टी सरकार गिर गई और 1980 में संसद को फिर से चुनाव में भंग कर दिया गया। वह जय प्रकाश नारायण की विचारधारा और प्रथाओं और भारत में समाजवादी आंदोलन के एक पिता, राज से प्रेरित था। नारायण। उन्होंने मोरारजी देसाई के साथ अलग-अलग तरीके से हिस्सा लिया और जनता पार्टी-एस के नेतृत्व में लोकभाऊ राज नारायण के नेतृत्व में शामिल हुए जो जनता पार्टी-एस के अध्यक्ष थे और बाद में अध्यक्ष बने। प्रसाद 1980 में फिर से हार गए। हालांकि उन्होंने सफलतापूर्वक 1980 में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा और बिहार विधान सभा के सदस्य बने। इस अवधि के दौरान यादव ने पदानुक्रम में वृद्धि की और उन्हें दूसरे दल के नेताओं में से एक माना जाता था। 1985 में वह बिहार विधानसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु के बाद, प्रसाद 1989 में विपक्षी बिहार विधानसभा के नेता बन गए। उसी वर्ष, वह वी.पी. सिंह सरकार के तहत लोक सभा के लिए भी चुने गए थे।
1990 तक, प्रसाद ने राज्य की 11.7% आबादी के साथ यादव के सबसे बड़े जातियों का प्रतिनिधित्व किया, जो खुद को निम्न जाति के नेता के रूप में स्थापित करता है। दूसरी तरफ बिहार में मुसलमान परंपरागत रूप से कांग्रेस (आई) वोट बैंक के रूप में कार्यरत थे, लेकिन 1989 के भागलपुर हिंसा के बाद उन्होंने प्रसाद के प्रति अपनी वफादारी बदल दी। 10 वर्षों की अवधि में, वह बिहार राज्य की राजनीति में एक ताकतवर बल बन गया, जो कि मुस्लिम और यादव मतदाताओं में उनकी लोकप्रियता के लिए जाना जाता है।
बिहार के मुख्यमंत्री
[संपादित करें]1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे। 23 सितंबर 1990 को, प्रसाद ने राम रथ यात्रा के दौरान समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया,[14] और खुद को एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत किया। 1990 के दशक में आर्थिक मोर्चे पर विश्व बैंक ने अपने कार्य के लिए अपनी पार्टी की सराहना की। 1993 में, प्रसाद ने एक अंग्रेजी भाषा की नीति अपनायी और स्कूल के पाठ्यक्रम में एक भाषा के रूप में अंग्रेजी के पुन: परिचय के लिए प्रेरित किया। लालू यादव के जनाधार में एमवाई (MY) यानी मुस्लिम और यादव फैक्टर का बड़ा योगदान है और उन्होंने इससे कभी इन्कार भी नहीं किया है।[15]
राष्ट्रीय जनता दल
[संपादित करें]लालू प्रसाद यादव मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर लेखों के अलावा विभिन्न आन्दोलनकारियों की जीवनियाँ पढ़ने का शौक रखते हैं। वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। लालू यादव ने एक फिल्म में भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है।
जुलाई, 1997 में लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी बना ली। गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बनाने का फैसला किया। जब राबड़ी के विश्वास मत हासिल करने में समस्या आयी तो कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उनको समर्थन दे दिया।
1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। दो साल बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। सात दिनों के लिये नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फ़िर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मन्त्री बने। 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद एक बार फिर "किंग मेकर" की भूमिका में आये और रेलमन्त्री बने। यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई। भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया। लेकिन अगले ही साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सरकार हार गई और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। समय-समय पर लालू को बचाने वाली कांग्रेस भी इस बार उन्हें नहीं बचा नहीं पायी। दागी जन प्रतिनिधियों को बचाने वाला अध्यादेश खटाई में पड़ गया और इस तरह लालू का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया।[16]
लालू का अन्दाज
[संपादित करें]देश भर में लालू प्रसाद यादव की एक छवि हास्य नेता की भी है। इनकी लोकप्रियता उनके बिहारी उच्चारण और अनोखे अंदाज के भाषण को लेकर भी है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे। टीवी हो या इन्टरनेट, लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला।[17]
चारा घोटाला
[संपादित करें]1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमन्त्री पद से हटना पड़ा।[18] अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गये और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी। चारा घोटाला मामले में लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी।
लगभग सत्रह साल तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये 3 अक्टूबर 2013 को पाँच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।[19]

यादव और जदयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया।[20] इसके कारण राँची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव को लोक सभा की सदस्यता भी गँवानी पड़ी। भारतीय चुनाव आयोग के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल (5 साल जेल और रिहाई के बाद के 6 साल) तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। भारतीय उच्चतम न्यायालय ने चारा घोटाला में दोषी सांसदों को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने से बचाने वाले प्रावधान को भी निरस्त कर दिया था। लोक सभा के महासचिव एस॰ बालशेखर ने यादव और शर्मा को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने की अधिसूचना जारी कर दी। लोक सभा द्वारा जारी इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गँवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद बने जबकि जनता दल यूनाइटेड के एक अन्य नेता जगदीश शर्मा दूसरे, जिन्हें 10 साल के लिये अयोग्य ठहराया गया।[21]
लालू प्रसाद यादव को फ़रवरी 2022 में डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाले में पांच साल की सजा सुनाई . स्पेशल कोर्ट के जज एसके शशि ने यह फैसला सुनाया. उनपर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया[22] |
घोटाले की समयरेखा
[संपादित करें]1990 के दशक में हुए चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा को दोषी करार देने के बाद उनके राजनीतिक कैरियर पर सवालिया निशान लग गया। लालू पर पशुओं के चारे के नाम पर चाईबासा ट्रेज़री से 67.70 करोड़ रुपए निकालने का आरोप था। पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:
- 27 जनवरी 1996: पशुओं के चारा घोटाले के रूप में सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की लूट सामने आयी। चाईबासा ट्रेजरी से इसके लियेगलत तरीके से 37.6 करोड़ रुपए निकाले गये थे।
- 11 मार्च 1996: पटना उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले की जाँच के लिये सीबीआई को निर्देश दिये।
- 19 मार्च 1996: उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करते हुए हाईकोर्ट की बैंच को निगरानी करने को कहा।
- 27 जुलाई 1997: सीबीआई ने मामले में राजद सुप्रीमो पर फंदा कसा।
- 30 जुलाई 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआई अदालत के समक्ष समर्पण किया।
- 19 अगस्त 1998: लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की आय से अधिक की सम्पत्ति का मामला दर्ज कराया गया।
- 4 अप्रैल 2000: लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप पत्र दर्ज हुआ और राबड़ी देवी को सह-आरोपी बनाया गया।
- 5 अप्रैल 2000: लालू प्रसाद और राबड़ी देवी का समर्पण, राबड़ी देवी को मिली जमानत।
- 9 जून 2000: अदालत में लालू प्रसाद के खिलाफ आरोप तय किये।
- अक्टूबर 2001: सुप्रीम कोर्ट ने झारखण्ड के अलग राज्य बनने के बाद मामले को नये राज्य में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद लालू ने झारखण्ड में आत्मसमर्पण किया।
- 18 दिसम्बर 2006: लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में क्लीन चिट दी।
- 2000 से 2012 तक: मामले में करीब 350 लोगों की गवाही हुई। इस दौरान मामले के कई गवाहों की भी मौत हो गयी।
- 17 मई 2012: सीबीआई की विशेष अदालत में लालू यादव पर इस मामले में कुछ नये आरोप तय किये। इसमें दिसम्बर 1995 और जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पूर्ण निकासी भी शामिल है।
- 17 सितम्बर 2013: चारा घोटाला मामले में रांची की विशेष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
- 30 सितम्बर 2013: चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव दोषी करार।
- 6 जनवरी 2018: को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद को चारा घोटाला मामले में साढ़े तीन साल की सजा और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
- 24 जनवरी 2018 : न्यायालय ने तीसरे मामले में निर्णय सुनाया। लालू यादव को ५ वर्ष का कारावास और १० लाख के अर्थदण्ड की सजा सुनायी गयी। इस प्रकार इन तीन निर्णयों में कुल मिलाकर साढ़े तेरह वर्ष का कारावास की सजा तय हुई है।
आलोचनाएं और विवाद
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भाजपा के खिलाफ आरोप
[संपादित करें]5 अगस्त 2004 को यादव ने दावा किया कि एल.के. आडवाणी, जो वरिष्ठ भाजपा नेता और विपक्ष के नेता थे, मुहम्मद अली जिन्ना को मारने की साजिश में आरोपी थे और उन्हें एक 'अंतरराष्ट्रीय फरार' कहा।
28 सितंबर 2004 को, यादव ने तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण मंत्री वेंकैया नायडू को आंध्र प्रदेश में सूखा राहत वितरण समूह में 55,000 टन गेहूं बेची थी। उन्होंने कहा, "सीबीआई की जांच सच जानने के लिए की जाएगी।"
नकारात्मक छवि
[संपादित करें]भ्रषाचार, भाई-भतीजावाद और वंशवाद
यादव उन पहले विख्यात राजनेताओं में से एक हैं, जिन्हें चारा घोटाले में गिरफ्तार होने पर संसदीय सीट गंवानी पड़ी, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सजायाफ्ता विधायकों को उनके पदों पर बने रहने पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, बिहार की कानून और व्यवस्था सबसे निचले स्तर पर थी, अपहरण बढ़ रहा था और निजी सेनाएँ पनप रही थीं। शिल्पी-गौतम मर्डर केस और उनकी बेटी रागिनी यादव के दोस्त, अभिषेक मिश्रा की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत में भी विपक्ष द्वारा उनकी आलोचना की गई थी। इन दोनों केस में इनके पत्नी के सगे भाई साधु यादव पर आरोप लगा । उनके खिलाफ कई चल रही भ्रष्टाचार के बावजूद, वह और उनकी पत्नी रबड़ी देवी ने बिहार राज्य को 15 साल तक शासन किया, एक ऐसा अवधि जिसके दौरान राज्य के हर आर्थिक और सामाजिक रैंकिंग भारत के अन्य राज्यों की तुलना में निम्न स्तर पर गई।
परिवार के सदस्यों के खिलाफ कर चोरी के आरोप
[संपादित करें]आई-टी विभाग ने 12 जून के बीच सांसद मीसा भारती को बेनामी के
जीवनी
[संपादित करें]लालू प्रसाद ने गोपालगंज टू रायसीना रोड नाम से अपनी आत्मकथा लिखी है।
संकर्षण ठाकुर अपने जीवन के आधार पर एक पुस्तक के लेखक हैं, द मेकिंग ऑफ लालू यादव, बिहार की अनमाकिंग; बाद में किताब को अद्यतन और पिकाडोइंडिया द्वारा "सुब्बलर साहिब: बिहार और मेकिंग ऑफ लालू यादव" के तहत पुनर्मुद्रित किया गया
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "चारा घोटाला: लालू यादव दोषी करार, जेल भेजे गए". बीबीसी हिन्दी. Archived from the original on 1 अक्तूबर 2013. Retrieved 1 अक्टूबर 2013.
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बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- राष्ट्रीय जनता दल की आधिकारिक वेबसाइट
- 25 साल पहले लालू और आडवाणी ("राम के नाम" से एक अंश)
- जानें, कैसे समाजवादी चाल से करोड़ों के मालिक बन बैठे लालू यादव एंड संस
- Lalu Prasad Yadav ने Online की म्यूजियम की सैर, Tej Pratap Yadav ने Video call के जरिए दिखाई पुरानी फोटो
राजनीतिक कार्यालय | ||
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पूर्वाधिकारी नितीश कुमार |
रेलवे मंत्री 25 मई 2004 – 18 मई 2009 |
उत्तराधिकारी ममता बनर्जी |
पूर्वाधिकारी जगन्नाथ मिश्र |
बिहार के मुख्यमंत्री 1990–1997 |
उत्तराधिकारी राबड़ी देवी |