सामग्री पर जाएँ

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा

पद बहाल
११ मार्च १९८९ – ०६ दिसम्बर १९८९
प्रधानमंत्री राजीव गान्धी,
विश्वनाथ प्रताप सिंह
पूर्वा धिकारी भागवत झा आजाद
उत्तरा धिकारी जगन्नाथ मिश्र

बिहार के शिक्षा मंत्री
पद बहाल
18 फ़रवरी 1961 – 05 मार्च 1967
पूर्वा धिकारी कोई नहीं
उत्तरा धिकारी कर्पूरी ठाकुर

बिहार के कृषि मंत्री
पद बहाल
18 फ़रवरी 1961 – 05 मार्च 1967

बिहारके स्थानीय स्वशासन मंत्री
पद बहाल
18 फ़रवरी 1961 – 05 मार्च 1967
पूर्वा धिकारी दीप नारायण सिंह
उत्तरा धिकारी कामाख्या नारायण

बिहारके वित्त मंत्री
पद बहाल
११ मार्च १९८९ – ०६ दिसम्बर १९८९
पूर्वा धिकारी भागवत झा आजाद
उत्तरा धिकारी जगन्नाथ मिश्र

पद बहाल
17 April 1952 – 18 July 1961
पद बहाल
15 March 1971 – 20 July 1989
पूर्वा धिकारी कोई नहीं
उत्तरा धिकारी रमेश सिंह

जन्म १२ सितम्बर १९१७
मगध मंडल, बिहार
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल कांग्रेस (1940-1969), कांग्रेस-ओ (1969–1977), जनता पार्टी
शैक्षिक सम्बद्धता कला स्नातक, बी. एल.
पेशा स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ
धर्म हिन्दू
उपनाम छोटे साहब, सत्येन्द्र बाबू

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा (12 जुलाई 1917 – 4 सितम्बर 2006) एक भारतीय राजनेता थे। वे बिहार के मुख्यमंत्री रहे। प्यार से लोग उन्हें छोटे साहब कहते थे। वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ,सांसद, शिक्षामंत्री , जेपी आंदोलन के स्तम्भ तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।[1]उन्हें 10 वर्षों तक लगातार केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय समिति में एशिया का प्रतिनिधित्व किया|सत्येंद्र बाबू बिहार के औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से सात बार सांसद रहे और इसे मिनी चितौड़गढ़ के नाम से जाना जाता रहा|[2]

व्यक्तिगत जीवन

[संपादित करें]

सत्येंद्र बाबू का प्रारंभिक विद्यार्थी जीवन इलाहाबाद में श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के सानिध्य में बीता और शास्त्री जी के सहजता का उनपर व्यापक प्रभाव पड़ा|छोटे साहब के[3] रूप में प्रसिद्ध स्व सत्येंद्र नारायण सिन्हा की पत्नी किशोरी सिन्हा वैशाली की पहली महिला सांसद थी तथा 1980 में जनता पार्टी व 1984 में कांग्रेस पार्टी से सांसद बनी थी। अस्सी व नब्बे के दशक में किशोरी सिन्हा ने [4] महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की थी।

राजनीतिक जीवन

[संपादित करें]
संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री श्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा आम जनता के बीच

स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था। उन्होंने छठे और सातवें दशक में बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी और उनके राजनीतिक समर्थन से बिहार[5] के मुख्यमंत्री बने पंडित बिनोदानंद झा ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से विशेष आग्रह करके उन्हें केंद्र से बिहार राज्य लाये एवं मंत्रिमडल में दूसरा स्थान दिया, वस्तुतः उन दिनों उनको बिहार का 'डिफैक्टो' सीएम माना जाता था। 1963 में कामराज योजना के बाद छोटे साहेब द्वारा बिहार में श्री के. बी. सहाय को मुख्यमंत्री पद पर स्थापित करने का राजनितिक निर्णय बिहार की राजनीती के मास्टर स्ट्रोक के रूप में माना जाता है । सत्येन्द्र बाबू 1961 में बिहार के शिक्षा मंत्री, कृषि और स्थानीय प्रशासन मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी, शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही मगध विश्वविद्यालय की स्थापना की।औरंगाबाद[6]संसदीय क्षेत्र के सांसद के रूप में उन्होंने १९७२ में महत्वपूर्ण उत्तरी कोयल परियोजना नहर का शिलान्यास किया था|

वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित थे। सत्येन्द्र बाबू ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई। अपने छह दशक के राजनीतिक जीवन में छोटे साहब ने कई मील के पत्थर स्थापित किए। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए मोटिवेट किया। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के प्रोत्साहन पर आपातकाल आन्दोलन से नितीश कुमार, नरेन्द्र सिंह, रामजतन सिन्हा, लालू प्रसाद यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, सुशील कुमार मोदी, रामविलास पासवान और सुबोधकान्त सहाय जैसे तात्कालीन युवा नेता निकले। इन्होंने वर्ष 1988 में ऐतिहासिक पटना तारामंडल की आधारशिला रखी, साथ ही अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में बिहार के  नवीनगर में सुपर थर्मल पावर परियोजना की सिफारिश की। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के जीवन को समेटते हुये सत्येन्द्र नारायण सिन्हा स्मृति ग्रंथ समिति द्वारा एक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। इस पुस्तक में सत्येंद्र नारायण से संबंधित दुर्लभ चित्रों के संग्रह भी हैं और कई महत्वपूर्ण लोगों द्वारा उन पर लिखे गये आलेख भी।

स्व. सत्येन्द्र नारायण सिन्हा बिहार की राजनीति के स्तंभ और युवा पीढ़ी के प्रेरणास्रोत थे। छात्र आंदोलन एवं जयप्रकाश आंदोलन के समय से ही स्व. सत्येन्द्र बाबू का मार्गदर्शन और स्नेह मुझे मिलता रहा। -- नीतीश कुमार

इस पुस्तक में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी, तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, बिहार के तत्कालीन राज्यपाल देबानन्द कुंवर, उड़ीसा के तत्कालीन राज्यपाल मुरलीधर चंद्रकांत भंडारी, पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल नारायणन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली की पूर्व मुख्य मंत्री शीला दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान,केरल राज्य के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, प्रभु चावला समेत कई अन्य गणमान्य लोगों के द्वारा छोटे साहब पर लिखे गये आलेख और शुभ संदेश हैं।

स्मृति श्रद्धांजलि

[संपादित करें]
बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री एसएन सिन्हा अपनी पत्नी और वैशाली की तत्कालीन सांसद किशोरी सिन्हा के साथ

पटना के प्रतिष्ठित चिल्ड्रेन पार्क, श्रीकृष्णापुरी का नामकरण स्वतंत्रता सेनानी एवं अविभाजित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा[7] के नाम से अब सत्येन्द्र नारायण सिन्हा पार्क श्रीकृष्णापुरी किया गया हैं और उनकी जयंती पे आयोजित राजकीय जयंती समारोह पर पार्क में उनकी आदमकद प्रतिमा का राज्यपाल राम नाथ कोविन्द और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनावरण किया। औरंगाबाद शहर के दानी बिगहा में बन [8] रहे शहर के पहले पार्क का [9] नामकरण पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा उर्फ छोटे साहब के नाम पर करने का निर्णय लिया गया हैं और पार्क में छोटे साहब की आदमकद प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।गया के ए.एम. कॉलेज परिसर[10]में बिहार के शिक्षा मंत्री ने स्वर्गीय सत्येंद्र नारायण सिन्हा भवन का शिलान्यास किया है जिसका निर्माण बिहार शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड कराएगा|औरंगाबाद समाहरणालय परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सत्येन्द्र नारायण सिन्हा उर्फ छोटे साहब की याद में स्मृति भवन का निर्माण कराया जाएगा जिसके लिए नगर परिषद ने आधिकारिक स्वीकृति भी दे दी है।स्मृति भवन में छोटे साहब से जुड़े किताबों और तस्वीरों के माध्यम से उनकी याद को सहेजने का काम किया जाएगा[11]

राजनीतिक पद

[संपादित करें]

एस.एन. सिन्हा ने अपने राजनीतिक जीवन में निम्न पदों पर कार्य किया:

  • 1946-1960 : सदस्य सीनेट और सिंडिकेट, पटना विश्वविद्यालय
  • 1948 : सचिव, बिहार गांधी नेशनल मेमोरियल फंड की प्रांतीय समिति
  • 1950 : सदस्य, अंतरिम संसद
  • 1950-52 : वित्त समिति सदस्य
  • 1952 : प्रथम लोकसभा के लिए निर्वाचित
  • 1956-58 : प्राक्कलन समिति सदस्य
  • 1957 : दूसरी लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित
  • 1958-1960 : सदस्य सीनेट और सिंडिकेट, बिहार विश्वविद्यालय
  • 1961-1963 : सदस्य, बिहार विधान सभा
  • 1961-1962 : शिक्षामंत्री, बिहार
  • 1961-1962 : स्थानीय स्व सरकार मंत्री (अतिरिक्त प्रभार), बिहार
  • 1963 : काबुल के लिए सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल के नेता
  • 1962-1963 : शिक्षामंत्री, बिहार
  • 1962-1963 : स्थानीय स्व सरकार मंत्री (अतिरिक्त प्रभार), बिहार
  • 1963-1967 : सदस्य, बिहार विधान सभा
  • 1963-1967 : शिक्षामंत्री, बिहार
  • 1963-1967 : स्थानीय स्व सरकार मंत्री (अतिरिक्त प्रभार), बिहार
  • 1963-1967 : कृषि मंत्री (अतिरिक्त प्रभार), बिहार
  • 1967-1969 : सदस्य, बिहार विधान सभा
  • 1969-74 : अध्यक्ष, कांग्रेस, बिहार
  • 1971 : पाचवी लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित
  • 1976 : सदस्य, पूर्व सोवियत संघ के लिए भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल
  • 1977-80 : अध्यक्ष, जनता पार्टी, बिहार
  • 1977 : लोकसभा करने के लिए पुनः निर्वाचित
  • 1977 : सदस्य, सांसदों के लिए मानव अधिकारों के उल्लंघन पर विशेष समिति
  • 1977-1988 : अध्यक्ष (केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री स्तर), सांसदों के लिए मानव अधिकारों के उल्लंघन पर अंतरराष्टीय विशेष समिति
  • 1977 : नेता, भारतीय अंतर संसदीय परिषद, कैनबरा के वसंत बैठक करने के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल
  • 1978 : नेता, भारतीय अंतर संसदीय परिषद, लिस्बन के वसंत बैठक करने के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल
  • 1977-1979 : अध्यक्ष, प्राक्कलन समिति, लोकसभा
  • 1980 : सातवीं लोक सभा के लिए पुनः निर्वाचित
  • 1982-83 : सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति सदस्य
  • 1984 : आठवीं लोकसभा के लिए पुन : निर्वाचित
  • 1985-1986 : सदस्य प्राक्कलन समिति, लोकसभा
  • 1989-1990 : सदस्य, बिहार विधान परिषद
  • 1989-1990 : मुख्यमंत्री, बिहार

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]
  1. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 30 जनवरी 2019. Retrieved 29 जनवरी 2019.
  2. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 28 मार्च 2019. Retrieved 28 मार्च 2019.
  3. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 2 फ़रवरी 2017. Retrieved 30 जनवरी 2017.
  4. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 30 जनवरी 2019. Retrieved 30 जनवरी 2017.
  5. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 30 जनवरी 2019. Retrieved 29 जनवरी 2019.
  6. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 30 जनवरी 2019. Retrieved 29 जनवरी 2019.
  7. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 4 नवंबर 2016. Retrieved 4 नवंबर 2016. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  8. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 11 अक्तूबर 2017. Retrieved 11 अक्तूबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  9. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 11 अक्तूबर 2017. Retrieved 11 अक्तूबर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  10. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 17 अप्रैल 2019. Retrieved 17 अप्रैल 2019.
  11. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 20 जुलाई 2019. Retrieved 20 जुलाई 2019.