भोला पासवान शास्त्री
भोला पासवान शास्त्री | |
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कार्यकाल जून 1971 - जनवरी 1972 | |
कार्यकाल जून 1969 - जुलाई 1969 | |
कार्यकाल फरवरी 1968 - जून 1968 | |
जन्म | 1914 बैरगच्ची, पूर्णिया जिला, बिहार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धर्म | हिन्दू धर्म |
भोला पासवान शास्त्री एक भारतीय राजनेता थे जो १९६८ और १९७१ के बीच तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।[1]
व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]
भोला पासवान शास्त्री एक बेहद ईमानदार और देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे। वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय हुए थे। बहुत ही गरीब परिवार से आने के बावजूद वह बौद्धिक रूप से काफी सशक्त थे। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें तीन बार अपना नेता चुना और वह तीन बार अखंड बिहार के मुख्यमंत्री बनाये गये। उनका कार्यकाल निर्विवाद था और उनका राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन पारदर्शी था ।शास्त्री जी वैसे ही शास्त्री हुए थे जैसे लाल बहादुर शास्त्री थे। यानी भोला पासवान जो निलहे अंग्रेजों के हरकारे के पुत्र थे ने बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल की थी। राजनीति में सक्रिय थे। इंदिरा गाँधी ने इन्हें तीन दफा बिहार का मुख्यमंत्री और एक या दो बार केंद्र में मंत्री बनाया। मगर इनकी ईमानदारी ऐसी थी कि मरे तो खाते में इतने पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्ध कर्म हो सके।बिरंची पासवान जो शास्त्री जी के भतीजे हैं। उन्होंने ही शास्त्री जी को मुखाग्नि दी थी। शास्त्री जी को अपनी कोई संतान नहीं थी। विवाहित जरूर थे मगर पत्नी से अलग हो गये थे। पूर्णिया के तत्कालीन जिलाधीश ने इनका श्राद्ध कर्म करवाया था। गांव के सभी लोगों को गाड़ी से पूर्णिया ले जाया गया था। चुंकि मुखाग्नि उन्होंने दी थी सो श्राद्ध भी उनके ही हाथों सम्पन्न हुआ। सरकार की ओर से शास्त्री जी के परिजन को एक या दो इंदिरा आवास मिला है। हालाँकि उन्होंने कभी कुछ माँगा नहीं।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री". http://cm.bih.nic.in/ (अंग्रेज़ी में). मूल से 19 मार्च 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 नवंबर 2015.
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में बाहरी कड़ी (मदद)
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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