पत्नी

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पत्नी विवाहिता महिला होती है। पत्नी का विरुद्धार्थी शब्द पति होता है। पति और पत्नी मिलकर वैवाहिक जीवन को जीते हैं। गृहस्वामिनी होने से ग्रामीण भाषा में ये गृहवाली या घरवाली भी कही जाती है।

वेदों में उल्लेख[संपादित करें]

पत्नी शब्द का उल्लेख वेदों में भी प्राप्त होता है।[1] [2] [3] [4] ऋक्संहिता में नदी नामक वीर-पत्नी का उल्लेख किया गया है -

अजसी कुलिशी वीर-पत्नी पयोहिन्वाना उद्भिर्भरन्ते।।[5]

पत्नी को वेदों में गृहस्वामिनी कहा गया है - "त्वं सम्राज्ञयेधि पत्युरस्तं परेत्य"[6] गृह में पत्नी को भिन्न सदन दिया, जाता था, जिस में वो अपने कार्यों को पूर्ण करती थी। अतः कहा गया कि, पत्नीनां सदनम्।[7] अर्थात् पत्नी का भिन्न सदन हो।

परिभाषा[संपादित करें]

"पत्युः यज्ञे संयोगो यया" अर्थात् यज्ञ में पति के साथ जिसको बैठने का अधिकार प्राप्त है, वह पत्नी। पतिशब्द से "पत्युर्नो यज्ञसंयोगे"[8] सूत्र से ङीप्, नकारागमन होने पर पत्नी शब्द बनता है।सामान्यतः पुरुष की जीवनसाथी बनने वाली सत्री को पत्नी के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार जो स्त्री किसी पुरुष के साथ पूरी जिंदगी बिताने के लिए उसके हर सुख दुःख में उसके साथ रहने के लिए और सबसे प्रमुख उसके परिवार की बढ़ोतरी के लिए उससे शादी करती है तो वह उसकी पत्नी कहलाती है।

देखें[संपादित करें]

स्रोत[संपादित करें]

  1. ऋग्वेद - १०/८५/३९
  2. अथर्वसंहिता ९/३/७
  3. तैतरीयसंहिता ६/५/१/४
  4. मैं. सं - १/५/८
  5. ऋग्. १/१०४/४
  6. ऋग्वेद १४/१/४३
  7. अथर्वसंहिता ९/३/७
  8. पाणिनिसूत्राणि - ( ४/१/३३) भाष्यकारः पतञ्जलिः महाभाष्ये

बाहरी कडियाँ[संपादित करें]