भिंड
भिंड Bhind | |
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निर्देशांक: 26°34′N 78°47′E / 26.56°N 78.79°Eनिर्देशांक: 26°34′N 78°47′E / 26.56°N 78.79°E | |
ज़िला | भिंड ज़िला |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
देश | ![]() |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,97,585 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 477001 |
दूरभाष कोड | 07534 |
वाहन पंजीकरण | MP 30 |
वेबसाइट | bhind.nic.in |
भिंड (Bhind) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भिंड ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
विवरण[संपादित करें]
भिण्ड के गाँव भदौरिया राजाओं के काल से ही स्वतंत्र रहे है। भिण्ड के गाँव के लोगो के रोज़गार का साधन कृषि है। आज़ादी के बाद से यहाँ के लोग को एक नई पहचान मिली वो देश की सेवा में संलग्न हो गए। ओर तभी यहाँ के लोग सेना में जाकर देश की रक्षा करते हैं। भिण्ड भदावर ठाकुर राजाओं का गढ़ माना जाता है।
उल्लेखनीय तथ्य[संपादित करें]
- गौरी सरोवर के किनारे एक प्राचीन गणेश मन्दिर स्थित है।
- भिण्ड का सबसे बड़ा गाँव अमायन है।
- दंदरौआ मंदिर यहाँ का एक प्राचीन मंदिर है। वहाँ पर प्रतिष्ठित हनुमान जी की मूर्ति डॉ हनुमान के नाम से प्रसिद्ध है,यह मंदिर भिंड जिले की मौ तहसील में आता है।
- वनखंडेश्वर मन्दिर पृथ्वीराज चौहान द्वारा निर्मित एक शिवालय है। जो कि गौरी सरोवर के निकट है।
- भिंड चम्बल नदी के बीहड़ के लिए भी प्रसिद्ध है, जहाँ कुछ समय पहले तक डाकुओं का राज़ रहा।
- ऐसा माना जाता है ,भिण्ड का नाम महान भिन्डी ऋषि के नाम पर रखा गया है।इसके नाम पर भदावर राजाओं के के नाम और है
- भारत के सर्वाधिक साक्षर जिलों में से एक भिण्ड मंत्रमुग्ध कर देने वाली वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।
- भिंड जिले से करीब 30,000 सैनिक देश की सुरक्षा में तत्पर है
- मध्यप्रदेश में सबसे कम वर्षा भिंड जिले की मौ तहसील में होती है।
- मालनपुर यहाँ का औद्योगिक क्षेत्र है, जो कि गोहद तहसील में ही पड़ता है। जिसे सूखा पॉर्ट भी कहा जाता है।
- भिंड जिले की मौ तहसील सबसे छोटी तहसील है।
- गोहद तहसील स्थित गोहद का किला बहुत ही प्राचीन स्थल है।
- भिंड जिला भोपाल इंदौर जबलपुर के बाद सर्वाधिक पुरूष साक्षर जिला है।
भिण्ड के पर्यटन स्थल[संपादित करें]
- गौरी सरोवर -- भिण्ड में गौरी सरोवर अपने आप में एक पर्यटन स्थल है। गौरी सरोवर पर बहुत से पार्को को नए रूप से विकसित किया गया हैं।
- वनखण्डेश्वर मन्दिर भिंड
- त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर भिंड
- बटेश्वर महादेव मंदिर
- भिंडी ऋषि का मंदिर भिंड
- माँ रेणुका मंदिर जमदारा(मौ)
- गहियर धाम देबगढ
- डिडी हनुमान जी मंदिर
- गौरी सरोवर पार्क भिंड
- पाण्डरी बाबा मंदिर(पाण्डरी)
- नरसिंह भगवान मन्दिर सायना(मेहगांव)
- भिण्ड का किला
- अटेर का किला
- श्री नरसिंह भगवान मंदिर मौ
- दंदरौआ मंदिर मौ
- जागा सरकार हनुमान मंदिर लौहरपुरा(मौ)
- जामना वाले हनुमानजी
- पावई वाली शारदा माता
- श्री सीताराम बाबा रतवा(मौ)
- श्री मस्तराम बाबा रसनोल(मौ)
- कचनाव खुर्द(गोरमी से 9 कि.मी.दूर उत्तर दिशा) में प्राचीन शिव मंदिर जिसे काई बाले शंकर जी के नाम से जाना जाता है ।
- कालिका माता मंदिर (भिंड से पूर्व में 35किमी दूर रौंन तहसील में ग्राम बहादुरपुरा भगेली में स्थित प्रसिद्ध भव्य विशाल मंदिर जहा माघ के महीने में हर शनिवार विशाल मेला लगता हैै लाखों की संख्या में दूर दूर से श्रद्धालु आते है।)
- भिंड में शिव के मंदिरों की श्रृंखला में 100 से अधिक मंदिर है जो अपने आप में एक धाम है साथ ही इन मंदिरों की अपनी-अपनी महत्ता है और गौरी सरोवर की नौका विहार अत्यंत मनोरम है यहाँ राष्ट्रीय नौका प्रतियोगिता का आयोजन होता है। भिंडी ऋषि च्यवन ऋषि के वंसज थे जो यदुवंश से थे। इनका काल भारतीय धर्म ग्रंथो के अनुसार सतयुग है।
- भिण्ड जिला में कनावर कोट में क्वारी नदी के पास भदौरिया वंस की कुलदेवी माँ काली माता का मंदिर अति प्राचीन है ।
- भिण्ड जिला में कनावर कोट में रामजानकी मंदिर अति प्राचीन है. *जग राम Bavedi के पास ग्राम नदरौली में बहुत पुराना *ग्राम नदरौली (Babedi)
में हनुमान मंदिर बहुत पुराना है
भिंड का किला[संपादित करें]
भिंड किला 18वीं शताब्दी में भदावर राज्य के शासक गोपाल सिंह भदौरिया ने बनवाया था। भिण्ड किले का स्वरूप आयताकार रखा गया था, प्रवेश द्वार पश्चिम में है। इस आयताकार किले के चारों ओर एक खाई बनाई गई थी। दिल्ली से ओरछा जाने के मार्ग के मध्य मेँ होने से यह किला अत्यन्त महत्वपूर्ण था किले मेँ कई विशाल भवनोँ का निर्माण कराया गया सबसे बड़ा भवन मुख्य दरवाजे के सामने है जिसे दरबार हाल कहा जाता है उत्तर की ओर शिव मन्दिर बना है तथा प्रसिद्ध भिण्डी ऋषि का मन्दिर भी किला परिसर मेँ बना हुआ है किले मेँ अनेक तहखाने बने हुए थे किन्तु दछिणी ओर एक विशाल तलघर पर चबूतरा बना कर इसे गुप्त कर दिया गया था कहा जाता है कि यह कोषागार था वर्तमान मेँ इस चबूतरे पर एक भवन निर्मित है एवँ इसके सामने दो प्राचीन तोपेँ रखी हुई हैँ किले की उत्तर दिशा मेँ प्राचीर से सटा हुआ एक कुआ है यह कुआ किले के निवासियो को पेय जल उपलब्ध कराने हेतु बनवाया गया था । कहा जाता है कि महासिँह तथा राजा गोपाल सिँह ने सँकट के समय किले से बाहर जाने के लिये कई सुरँगो का निर्माण कराया था एक सुरँग भिण्ड किले से नबादा बाग होती हुई जवासा की गढ़ी मेँ पहुँचती थी फिर क्वारी नदी पार करने पर परा की गढ़ी से शुरू हो कर अटेर किले मेँ पहुँचती थी इसी प्रकार सुरँगोँ का मार्ग अटेर किले से रमा कोट तक जाता था।
राजा महासिँह व गोपाल सिँह ने तथा बखतसिँह ने अपने निवास हेतु नबादा बाग मेँ अपना महल तथा अनेक सुन्दर भवन बनवाये थे एवँ चारोँ ओर प्राचीर भी बनवाई थी जिसके अन्दर शानदार इमारतेँ थीँ नौका बिहार के लिये राजा का तालाब व रानी का तालाब अलग अलग बनबाये गये थे इनमेँ फव्वारोँ से जल गिरता था भवनोँ पर सुवर्ण मय नक्काशी की गयी थी वर्तमान मेँ ये सुन्दर भवन खण्डहर मेँ परवर्तित हो नष्ट हो चुके हैँ भिण्ड जिला जब से सिन्धिया के अधीन हुआ तभी से नबादाबाग खण्डहर कर दिये गये थे तत्कालीन भिण्ड प्रदेश के भदावर तथा कछवाहोँ के लिये दौलतराव सिन्धिया एक क्रूर ग्रह के समान था जिसने उनकी स्वतन्त्र सत्ता का अन्त कर दिया भिण्ड जिला जबसे सिन्धिया के अधीन हुआ तभी से भिण्ड के किले मेँ सभी कार्यालय स्थापित कर दिये गये थे उस समय जिलाधीश को सूबा साहब कहा जाता था तब से लेकर नवीन भवन बनने तक कलेक्टर कार्यालय तथा कचहरी, दफ्तरोँ व कोषालय सहित समस्त आफिस भिण्ड किले मेँ ही स्थापित रहे वर्तमान मेँ किले के दरबार हाल मेँ पुरातत्व सँग्रहालय है एक भाग मेँ शासकीय कन्या महाविद्यालय सँचालित है एक भाग मेँ होमगार्ड कार्यालय तथा सैनिकोँ के निवास हैँ शेष भाग रिक्त है जो धीरे धीरे खण्डहर होता जा रहा है चारोँ ओर की प्राचीर मेँ अतिक्रमणकारी खुदाई मेँ लगे रहते हैँ इससे इस इतिहासिक धरोहर को छति पहुँच रही है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the Wayback Machine," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293