भारत में इंजीनियरी शिक्षा

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भारत में सबसे अधिक संख्या में इंजीनियर होने के साथ-साथ विश्व में सबसे अधिक इंजीनियरिंग शिक्षा संस्थान और बुनियादी ढांचा भी है। सन २०२१ के आंकड़ों के अनुसार भारत प्रतिवर्ष पंद्रह लाख इंजीनियरिंग स्नातक तैयार करता है। [1] भारत के तकनीकी शिक्षा के बुनियादी ढांचे में 2500 इंजीनियरिंग कॉलेज, 1400 पॉलिटेक्निक और आयोजना और वास्तुकला के 200 स्कूल शामिल हैं। [1]

प्रतिवर्ष तैयार होने वाले हजारों इंजीनियरी स्नातकों में से 5% से भी कम इंजीनियर राष्ट्रीय स्तर के स्वायत्त संस्थानों, जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) तथा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) द्वारा तैयार किए जाते हैं। 5% से थोड़ा अधिक राज्य स्तरीय स्वायत्त संस्थानों और यूजीसी द्वारा अनुमोदित एकात्मक विश्वविद्यालयों द्वारा उत्पादित होते हैं। शेष 90% से अधिक इंजीनियरिंग स्नातक निजी और गैर-स्वायत्त राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग शिक्षा संस्थानों द्वारा तैयार किए जाते हैं। इन संस्थानों को छात्रों को प्रवेश देने से पहले ऐसे पाठ्यक्रम चलाने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से अनुमोदन प्राप्त करना होता है। [1]

स्नातक पाठ्यक्रम में सबसे लोकप्रिय इंजीनियरिंग शाखाएं कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग, वैद्युत और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और केमिकल इंजीनियरिंग हैं। [2] [3]

इतिहास[संपादित करें]

भारतीय उपमहाद्वीप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लंबा इतिहास है। पश्चिमी शैली की इंजीनियरिंग शिक्षा ब्रिटिश राज के दौरान ही शुरू हो गयी थी। यह सब सार्वजनिक भवनों, सड़कों, पुलों, खानों, नहरों और बंदरगाहों के निर्माण के लिये आरम्भ हुआ था। इसके अलावा इनका उद्देश्य सेना, नौसेना और सर्वेक्षण विभाग के लिए आवश्यक उपकरणों के उपयोग एवं रखरखाव के लिए कारीगरों के प्रशिक्षण की आवश्यकता के रूप में भी शुरू हुआ। अधीक्षण अभियंताओं (superintending engineers ) की भर्ती ज्यादातर ब्रिटेन से की जाती थी जबकि निचले दर्जे के कारीगरों और उप-पर्यवेक्षकों की भर्ती स्थानीय स्तर पर की जाती थी। उन्हें और अधिक कुशल बनाने के लिये आयुध निर्माणी बोर्ड और अन्य इंजीनियरिंग प्रतिष्ठानों से जुड़े औद्योगिक स्कूलों की स्थापना हुई। [4]

भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग सन 1847 में स्थापित किया गया था। इसे अब आईआईटी रूड़की कहा जाता है। इसके बाद जुलाई 1854 में "द पूना इंजीनियरिंग क्लास ऐण्ड मैकेनिकल स्कूल" शुरू हुआ [5] जो कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे का पूर्ववर्ती संस्थान था।

१५ अगस्त, १९४७ को भारत के स्वतन्त्र होने के पूर्व भारत में इंजीनियरी की शिक्षा देने वाले ३५ संस्थान थे।

इंजीनियरी संस्थानों के स्थापना का कालक्रम[संपादित करें]

  • मई १७९४ : मद्रास में 'स्कूल ऑफ सर्वे' की स्थापना। आजकल इसका नाम 'कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग गिन्डी' (College of Engineering, Guindy (CEG)) है।
  • १८४७ : रुड़की में 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' की स्थापना
  • जुलाई १८५४ : "द पूना इंजीनियरिंग क्लास ऐण्ड मैकेनिकल स्कूल" शुरू हुआ।
  • १८५६ : कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग में 'कलकत्ता सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज' की स्थापना। अनेक बार नाम बदलते हुए आजकल इसका नाम 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस ऐण्ड टेक्नॉलोजी' (IIEST) है और यह कोलकाता के शिवपुर में स्थित है।
  • १८८७ : मुम्बई में 'विक्टोरिया जुबली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी' (VJTI) की स्थापना। सन १९९८ में इसका नाम बदलकर 'वीरमाता जीजाबाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी' कर दिया गया।
  • १९१९ : कोलकाता में 'गवर्नमेन्ट रिसर्च टैनरी' (Calcutta Research Tannery) की स्थापना। आजकल इसका नाम 'गवर्नमेन्ट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ऐण्ड टेक्नॉलोजी' (GCELT) है।
  • नवम्बर, १९२१ : लाहौर में 'मुगलपुरा इंजीनियरिंग कॉलेज' की स्थापना। स्वतन्त्रता के बाद यह चंडीगढ़ (भारत) लाया गया और अब इसका नाम 'PEC University of Technology' है।
  • अक्टूबर १९३३ : मुम्बई विश्वविद्यालय के एक विभाग के रूप में 'इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नॉलोजी' की स्थापना। आजकल यह एक मानद विश्वविद्याल्य है।
  • १९४१ : कोलकाता में प्रो० शशिधर राय द्वारा 'बंगाल सिरैमिक इन्स्टीट्यूट' की स्थापना। आजकल इसका नाम 'गवर्नमेन्ट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ऐण्ड टेक्नॉलोजी' है।
  • १९४५ : भारत में प्रगत प्रौद्योगिकी शिक्षा के विकल्प सुझाने के लिये 'सरकार समिति' की स्थापना। इस समिति ने अमेरिका के 'एमाअईटी' की तर्ज पर भारत में ४ प्रौद्योगिकी संस्थान बनाने का सुझाव दिया।
स्वतन्त्रता के पश्चात

कानूनी और नियामक ढांचा[संपादित करें]

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानित विश्वविद्यालय माने जाने वाले विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अनुमोदित किया जाता है। 2021 में लगभग 900 सरकारी और निजी विश्वविद्यालय तथा 45,000 कॉलेज इन विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। [1]

विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों से संबद्ध सरकारी या निजी तौर पर वित्तपोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों को एआईसीटीई से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य है। एआईसीटीई संस्थानों को लाइसेंस देता और विनियमित करता है। यह इंजीनियरिंग और/या तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों या उद्यमियों को लाइसेन्स नहीं देता। आईआईटी, आईआईआईटी और एनआईटी आदि को यूजीसी या एआईसीटीई से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ये संसद के अधिनियम के माध्यम से स्वायत्त संगठनों के रूप में बनाए गए ह। उन्हें अपने शिक्षण मानकों, पाठ्यक्रम डिजाइन, पाठ्यक्रम, शुल्क आदि तय करने की पूर्ण स्वायत्तता है [1] केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज, जिन्हें आईआईटी, आईआईआईटी या एनआईटी की तर्ज पर स्वायत्त संस्थानों के रूप में नहीं बनाया गया था, उन्हें भी एआईसीटीई की मंजूरी लेनी होगी।

अखिल भारतीय या राष्ट्रीय स्तर के संस्थान[संपादित करें]

ये संस्थान या तो भारत की केंद्र सरकार द्वारा स्थापित और वित्तपोषित या अनुमोदित हैं जैसे कि आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी और जीएफटीआई । इन संस्थानों में प्रवेश स्नातक के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा और स्नातकोत्तर के लिए इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट के माध्यम से होता है। [6]

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान[संपादित करें]

इस समय (२०२३ में) कुल 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैं जो भुवनेश्वर, मुंबई, दिल्ली, गांधीनगर, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, जोधपुर, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई, मंडी, पटना, रूड़की, रोपड़, धनबाद, पलक्कड़, तिरूपति, भिलाई , गोवा, जम्मू, धारवाड़ और वाराणसी में स्थित हैं। सभी आईआईटी 'राष्ट्रीय महत्व के संस्थान' के रूप में मान्य हैं। वे स्वायत्त संस्थान हैं जो अपना पाठ्यक्रम स्वयं तैयार करते हैं। स्नातक बी.टेक और एकीकृत एम.टेक कार्यक्रमों में प्रवेश संयुक्त प्रवेश परीक्षा - एडवांस्ड (जेईई एडवांस्ड) के माध्यम से होता है। प्रति वर्ष लगभग डेढ़ लाख छात्र इस परीक्षा में बैठते हैं, जिनमें से केवल लगभग 16,000 [7] का चयन होता है। इन डेढ़ लाख प्रवेशार्थियों को शुरू में संयुक्त प्रवेश परीक्षा - मुख्य (जेईई मेन) के द्वारा छांटा जाता है। यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में लगभग 12 लाख छात्र भाग लेते हैं। आईआईटी में अधिकांश स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश विभिन्न लिखित प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से दिया जाता है, जैसे ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट), संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेएएम) , डिजाइन के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईईडी)। पीएचडी के लिए प्रवेश कार्यक्रम मुख्य रूप से व्यक्तिगत साक्षात्कार पर आधारित है, हालांकि उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा भी देनी पड़ सकती है। आईआईटी अपनी विशेष आरक्षण नीति के लिए भी प्रसिद्ध हैं, जो भारत के अन्य शैक्षणिक संस्थानों में लागू नीति से काफी अलग है। [8]

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान[संपादित करें]

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) भारत में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी शिक्षा के कॉलेज हैं। सभी एनआईटी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों का दर्जा प्राप्त है और वे स्वायत्त विश्वविद्यालय हैं जो अपना पाठ्यक्रम स्वयं तैयार करते हैं। पहले उन्हें 'क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज' (आरईसी) कहा जाता था। 2002 में, भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी मूल 17 आरईसी को चरणबद्ध रूप में एनआईटी के रूप में अपग्रेड करने का निर्णय लिया। वर्तमान में 31 एनआईटी हैं। वर्ष 2010 में 10 नए एनआईटी और 2015 में अन्य की स्थापना हुई। ये 31 एनआईटी इलाहाबाद, अगरतला, भोपाल, दुर्गापुर, हमीरपुर, कोझिकोड, कुरूक्षेत्र, जालंधर, जमशेदपुर, जयपुर, नागपुर , पटना, रायपुर, राउरकेला, सिलचर, श्रीनगर, सुरथकल, सूरत, तिरुचिरापल्ली, वारंगल, युपिया, नई दिल्ली, फरमागुडी, इंफाल, शिलांग, आइजोल, चुमौकेदिमा, कराईकल, रावंगला, उत्तराखंड और ताडेपल्लीगुडेम में स्थित हैं। भारत सरकार ने NITSER अधिनियम पेश किया है तथा इन 31 संस्थानों को अधिनियम के दायरे में लाते हुए उन्हें अपने कामकाज में पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करने का निर्णय लिया है। क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत के हर प्रमुख राज्य में एनआईटी की स्थापना की गयी है। सभी एनआईटी के स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (एआईईईई) द्वारा किया जाता था[9] । वर्ष 2013 से एआईईईई के स्थान पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा - मुख्य (जेईई मेन) द्वारा प्रवेश दिया जाने लगा जिसमें उच्चतर माध्यमिक परीक्षा के अंकों को 40% महत्व (वेटेज) दिया गया था और जेईई (मेन) परिणामों को 60% वेटेज दिया गया था। वर्ष 2017 के बाद से हायर सेकेंडरी परिणाम का वेटेज 0% कर दिया गया था और इसे केवल पात्रता मानदंड के रूप में दिया गया था (या तो एचएस परिणामों में 75% प्राप्त करना या संबंधित बोर्ड के शीर्ष 20% में होना)। इस परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) है और वर्ष 2019 से राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) [10] द्वारा आयोजित की जा रही है। यह परीक्षा पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा आयोजित की जाती थी। 2013 में सभी एनआईटी में उपलब्ध बी.टेक और बी.आर्क कार्यक्रमों में लगभग 15500 सीटों के लिए बारह लाख (1,200,000 या 1.2 मिलियन) से अधिक आवेदकों ने भाग लिया। [11]

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान[संपादित करें]

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ( IIITs ) भारत में उच्च शिक्षा के 26 अंतःविषय तकनीकी विश्वविद्यालयों का एक समूह है। इनका पाठ्यक्रम मुख्यतः कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग तथा सूचना प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हैं। उनमें से पांच मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित, वित्तपोषित और प्रबंधित हैं। शेष 21 संस्थान सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर स्थापित किए गए हैं। [12] [13]

आईआईआईटी में 6,000 सीटों के लिए स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण और जेईई-मेन के माध्यम से होता है। [14] स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए प्रवेश ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) के माध्यम से होता है। वे एनआईटी जैसी ही शैक्षणिक नीतियों का पालन करते हैं। [15]

अन्य केन्द्रीय तकनीकी संस्थान[संपादित करें]

आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी के अलावा 30 से अधिक सरकारी वित्तपोषित तकनीकी संस्थान हैं। वे आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी की समान शैक्षणिक और प्रवेश नीतियों का भी पालन करते हैं। [16]

निजी मानद विश्वविद्यालय[संपादित करें]

बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद देश के कुछ शीर्ष निजी डीम्ड विश्वविद्यालय हैं। [17] [18] [19] यहां का पाठ्यक्रम सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक अद्यतन और लचीला है। [20] [21] इन संस्थानों में इंजीनियरिंग में स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश संयुक्त प्रवेश परीक्षा - मुख्य के साथ-साथ स्वतंत्र रूप से आयोजित प्रवेश परीक्षा पर आधारित है। बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी में प्रवेश के लिए BITSAT और वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के लिए VITEEE जैसी अलग-अलग परीक्षाएं भी देनी होती हैं।

इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (भारत)[संपादित करें]

इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की स्थापना 1920 में कोलकाता में हुई थी और इसने इंजीनियरिंग में शिक्षा का बीड़ा उठाया। IEI अपनी एसोसिएट सदस्यता (AMIE) के लिए एक परीक्षा आयोजित करता है। यह परीक्षा भारतीय सिविल सेवा, भारतीय इंजीनियरिंग सेवा, गेट आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं और भारत में सरकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में रोजगार के लिए बीई/बी.टेक के समकक्ष मानी जाती है।

इसमें 2 सेक्शन हैं, सेक्शन ए और सेक्शन बी। दोनों सेक्शन में उत्तीर्ण होने पर प्रत्याशी को चार्टर्ड इंजीनियर (सीईएनजी) माना जाता है।

एआईसीटीई के अनुसार, एएमआईई को इंजीनियरिंग की उपयुक्त शाखा में स्नातक की डिग्री के समकक्ष मान्यता प्राप्त है ( उन लोगों के लिए जिन्होंने 31 मई 2013 को या उससे पहले संस्थान में अपना नामांकन कराया था)। एआईसीटीई वेबसाइट से अधिसूचना देखें। [22]

राज्यस्तरीय संस्थान[संपादित करें]

भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं (2021 में)। प्रत्येक राज्य अपने स्वयं के राज्य स्तरीय तकनीकी शिक्षा संस्थानों को चुनकर उन्हें वित्तपोषित कर सकता है। इन सभी संस्थानों को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी शिक्षा शिक्षण बुनियादी ढांचे और न्यूनतम मानकों के अनुरूप एआईसीटीई अनुमोदन भी प्राप्त करना होगा।

प्रमुख समस्याएँ[संपादित करें]

अवैध कैपिटेशन शुल्क[संपादित करें]

कुछ इंजीनियरिंग कॉलेज कैपिटेशन शुल्क लेने की अवैध प्रथा में शामिल होने के लिए जाने जाते हैं। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने छात्रों, अभिभावकों और आम जनता से आह्वान किया है कि वे प्रोस्पेक्टस में उल्लिखित शुल्क के अलावा किसी भी कैपिटेशन शुल्क या किसी अन्य शुल्क का भुगतान न करें। एआईसीटीई ने यह भी उल्लेख किया है कि छात्रों से ली जाने वाली फीस को राज्य की शुल्क नियामक समिति द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए और संस्थान को अपनी वेबसाइट पर शुल्क का उल्लेख करना चाहिए। [23] एआईसीटीई के मानदंडों के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों को प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित शुल्क से अधिक शुल्क नहीं लेना चाहिए। यूजीसी [24] और क्षेत्रीय स्तर के शुल्क नियामक निकायों [25] जैसी शैक्षिक नियामक एजेंसियों ने अनिवार्य किया है कि किसी संस्थान को प्रॉस्पेक्टस में शुल्क शामिल करना चाहिए।

निम्न गुणवत्ता वाले इंजीनियरिंग शिक्षक[संपादित करें]

भारत में कुछ विशिष्ट निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में शैक्षणिक गुणवत्ता की कमी, गुणवत्तापूर्ण प्रोफेसरों की कमी, बुनियादी ढांचा की खराब विद्यमान है। [26] सीआईसीयू के अध्यक्ष उपकार सिंह आहूजा ने कहा कि इंजीनियरिंग शिक्षकों की खराब गुणवत्ता, औद्योगिक विकास में बाधा बन रही है। [27] विश्व बैंक ने भी भारत और दक्षिण एशियाई देशों में खराब गुणवत्ता वाले शिक्षकों पर चिन्ता जतायी है। [27]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Thakur, Ashok (3 February 2021). "Modi govt's HEC can't just be UGC with new label. Engineering still needs its own regulator". ThePrint. अभिगमन तिथि 13 September 2021.
  2. "Top 5 Engineering Branches in India". Jagranjosh.com. 2017-10-09. अभिगमन तिथि 2021-12-22.
  3. "Which Type of Engineering Should You Study?". Top Universities (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-12-22.
  4. (1962) THE REPORT OF THE UNIVERSITY EDUCATION COMMISSION (DECEMBER 1948 – AUGUST 1949). GOVERNMENT OF INDIA. (Report).
  5. "History of COEP".
  6. "JEE Main Result 2021: What after JEE Main 2021 result is declared". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). 2021-09-12. अभिगमन तिथि 2021-09-12.
  7. "More dreams get wings as IITs to add 460 seats this year". The Times of India. 19 February 2017.
  8. "IITs | Technical Education | Government of India, Ministry of Human Resource Development". mhrd.gov.in. अभिगमन तिथि 2019-04-05.
  9. "List of Engineering Entrance Exams". Etoosindia (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-01-22.
  10. Misra, Aishwarya (2018-04-14). "Establishment of the NTA: Purpose, Organization, Features". EduPadhai (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2019-04-22.
  11. "NITs | Technical Education | Government of India, Ministry of Human Resource Development". mhrd.gov.in. अभिगमन तिथि 2019-04-05.
  12. "Institutions | Government of India, Ministry of Education". www.education.gov.in. मूल से 31 जनवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-09-14.
  13. "welcome to IIIT Council". iiitcouncil.com. मूल से 6 मार्च 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-09-14.
  14. "More seats in new IITs 387 additional BTech berths on offer this year". मूल से August 19, 2018 को पुरालेखित.
  15. "List of Indian Institutes of Information Technology (IIITs)". engineering.careers360.com (अंग्रेज़ी में). 2017-09-21. अभिगमन तिथि 2021-09-14.
  16. "JoSAA". josaa.nic.in. अभिगमन तिथि 2021-07-06.
  17. "MoE, National Institute Ranking Framework (NIRF)". www.nirfindia.org. अभिगमन तिथि 2021-07-06.
  18. "Amrita Vishwa Vidyapeetham only Indian university in world top 100 institutes". Hindustan Times (अंग्रेज़ी में). 2021-04-22. अभिगमन तिथि 2021-07-10.
  19. "MoE, National Institute Ranking Framework (NIRF)". www.nirfindia.org. अभिगमन तिथि 2021-09-14.
  20. "Top engineering colleges that accept JEE Main score for UG admissions". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). 2021-09-09. अभिगमन तिथि 2021-09-14.
  21. "Engineering Colleges in India Accepting GATE 2021 – Courses, Fees, Admission, Rank". Careers360 (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-09-14.
  22. "Public Notice for Professional Bodies/Institutes Imparting Technical Education | Government of India, All India Council for Technical Education". www.aicte-india.org. अभिगमन तिथि 2021-03-16.
  23. "All India Council for Technical Education" (PDF). अभिगमन तिथि 17 September 2016.
  24. "Deemed Regulation- The Gazette of India" (PDF). अभिगमन तिथि 17 September 2016.
  25. "MBA Directives issued to all All Self-Financing Management Institutes on 11-05-2015" (PDF). अभिगमन तिथि 17 September 2016.
  26. "Addressing the quality deficit in India's technical education". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). 2021-08-09. अभिगमन तिथि 2022-05-06.
  27. "'Poor education quality in engineering stopping growth'". The Times of India (अंग्रेज़ी में). May 22, 2019. अभिगमन तिथि 2022-05-06.