सिविल इंजीनियरी

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द पेट्रोनस ट्विन टावर्स, जिसे वास्तुकार सीज़र पेली और थोरनटन-टोमेसिटी और रेन हिल बरसेकुटू एस.डी. एन. बी. एच. डी. इंजीनियरों ने बनाया था। ये इमारत 1998-2004 तक दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी।

सिविल इंजीनियरी, व्यावसायिक इंजीनियरिंग की एक शाखा है जो कि भौतिक और प्राकृतिक रूप से बने परिवेश में पुल[1][1], सड़क,[1]नहरें[1], बाँध और भवनों आदि के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव से जुड़ी है।[1][2]सिविल इंजीनियरिंग, सैन्य अभियान्त्रिकी के बाद आने वाली इंजीनियरिंग की सबसे पुरानी शाखा है। [3] इसे सैन्य इंजीनियरिंग से अलग करने के लिए 'असैनिक इंजीनियरिंग' (सिविल इंजीनियरी) के रूप में परिभाषित किया गया है।[4] परंपरागत रूप से इसे कई उप-शाखाओं में बांटा गया है, जिनमें -पर्यावरण इंजीनियरिंग, भू-तकनीक इंजीनियरिंग, संरचनात्मक इंजीनियरिंग, परिवहन इंजीनियरिंग, नगरपालिका या शहरी इंजीनियरिंग, जल संसाधन इंजीनियरिंग, पदार्थ इंजीनियरिंग, तटीय इंजीनियरिंग,[3] सर्वेक्षण और निर्माण इंजीनियरिंग।[5] सिविल इंजीनियरिंग हर स्तर पर होती है: सार्वजनिक क्षेत्र में नगरपालिका के क्षेत्र से संघीय स्तरों तक और निजी क्षेत्र में व्यक्तिगत घरों के मालिकों से अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों तक।[उद्धरण चाहिए]

सिविल अभियांत्रिकी व्यवसाय का इतिहास[संपादित करें]

स्कॉटलैंड में फल्क्रिक व्हील.

जब से मानव अस्तित्व में आया है तब से इंजीनियरिंग उसकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है। सही ढंग से सिविल अभियांत्रिकी की शुरुआत उस समय से मानी जा सकती है जब 4000 और 2000 ई.पू. में प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामियामें मानव ने बंजारों की ज़िन्दगी का परित्याग करना शुरू किया। इसके फलस्वरुप उन्हें एक घर की आवश्यकता महसूस हुई। इस समय के दौरान, परिवहन अग्रणी महत्वपूर्ण बन गया जिससे पहिये और नौकायन का विकास किया गया। मिस्र में पिरामिडों के निर्माण (लगभग 2700-2500 ई.पू.) को बड़ी संरचना निर्माण का पहला उदाहरण माना जा सकता है। अन्य प्राचीन ऐतिहासिक सिविल अभियांत्रिकी निर्माणों में प्राचीन ग्रीस में इक्तिनोसद्वारा निर्मित पार्थेनन (447-438 ई.पू.), रोमन इंजीनियरों द्वारा निर्मित एपियन मार्ग (सी. 312 ई.पू.) और चीन के सम्राट शिह हुआंग टी के आदेश पर जनरल मेंग टीन द्वारा निर्मित द ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना शामिल है (सी.220 ई.पू.).[5] रोमनों ने अपने पूरे साम्राज्य में नगरीय ढांचों का निर्माण करवाया, जिनमें विशेषकर शामिल हैं - नहरें,कोठरियाँ,बंदरगाह,पुल, बाँध, और सड़कें

आधुनिक काल से पहले सिविल अभियांत्रिकी और वास्तुकला,के बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं था। अभियंता और वास्तुकार दोनों ही शब्दों में केवल भौगोलिक अंतर था जिसमें वो उसी व्यक्ति को कहीं पर अभियंता कहा जाता था तो कहीं पर वास्तुकार, अक्सर उसी व्यक्ति को लोग कभी इंजिनियर कह देते थे तो कभी वास्तुकार.[6] 18 वीं सदी में, सैन्य अभियांत्रिकी को सिविल अभियांत्रिकी से अलग करने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा.[4]

आर्किमिडीज स्क्रू हाथ से संचालित और कुशलता से जल उठा सकता था।

एडीस्टोन लाईटहाउस का निर्माण करने वाले जॉन स्मीटन ने स्वयं को सबसे पहला सिविल अभियंता बताया.[3][5] 1771 में स्मीटन और उनके कुछ सहकर्मियों ने मिलकर स्मीटनियन सोसाईटी ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स का गठन किया जो इस व्यवसाय के अग्रणी लोगों का एक ऐसा समूह था जो अनौपचारिक रूप से मिलकर रात का भोजन साथ किया करते थे। हालांकि कुछ प्रमाण ऐसे भी हैं जो बताते हैं कि तकनीकी बातों पर विचार के लिए भी ये बैठकें होती थीं लेकिन आमतौर पर ये समूह एक सामाजिक समूह की ही तरह था।

1818 में लंदन में इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स कि स्थापना हुई और 1820 में प्रख्यात इंजीनियर थॉमस टेलफोर्ड इसके पहले अध्यक्ष बने। सिविल इंजीनियरिंग को औपचारिक रूप से एक पहचान देते हुए वर्ष 1828 में इस संस्थान को एक शाही घोषणापत्र मिला। इसके घोषणापत्र ने सिविल अभियांत्रिकी को इस रूप में पारिभाषित किया कि

the art of directing the great sources of power in nature for the use and convenience of man, as the means of production and of traffic in states, both for external and internal trade, as applied in the construction of roads, bridges, aqueducts, canals, river navigation and docks for internal intercourse and exchange, and in the construction of ports, harbours, moles, breakwaters and lighthouses, and in the art of navigation by artificial power for the purposes of commerce, and in the construction and application of machinery, and in the drainage of cities and towns.[7]

संयुक्त राज्य अमेरिका में सिविल अभियांत्रिकी की शिक्षा देने वाला पहला निजी विद्दालय था नॉर्विच विश्वविद्यालय जिसकी स्थापना 1819 में कैप्टेन एलडेन पार्ट्रीज ने की थी। [20] 1835 में रेन्ससेलर पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में सिविल अभियांत्रिकी कि पहली डिग्री दी गयी।[8] किसी महिला को मिलने वाली ऐसी डिग्री थी कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा नोरा स्टेनटन ब्लाच को 1905 में दी गयी थी।[उद्धरण चाहिए]

सिविल इंजीनियरिंग के विज्ञान का इतिहास[संपादित करें]

पोंट डू गार्ड, फ्रांस में बनी एक रोमन जल सेतु है

सिविल इंजीनियरिंग भौतिक और वैज्ञानिक सिद्धांतों का अनुप्रयोग है और इसका इतिहास भी भौतिकी और गणित की समझ में होने वाले विकास के पूरे इतिहास से जुड़ा है। क्योंकि सिविल इंजीनियरिंग एक व्यापक व्यवसाय है जिसमें कई अलग अलग और विशिष्ट उपशाखाएं शामिल हैं, इसका इतिहास संरचनाओं, पदार्थ विज्ञान, भूगोलभूविज्ञान, मृदा एवं जल विज्ञान, पर्यावरण, यांत्रिकी और अन्य कई क्षेत्रों के ज्ञान से जुड़ा हुआ है, .

प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास के दौरान ज़्यादातर वास्तुकला की डिजाइ और निर्माण पत्थर तराशने वाले और बढ़ई जैसे कारीगरों द्वारा किये जाते थे जिनकी भूमिका आगे चलकर प्रधान निर्माता तक बढ़ी.ज्ञान समाज के एक विशेष संघ के बीच कायम रहता था और कभी कभार ही इनमें कोई विकास जगह ले पाता था। उस समय बने ढांचे, सड़कें और बुनियादी सुविधाएं दुहराए हुए से होते थे और पैमाने में बढ़त वृद्धिसम्बन्धी थी।[9]

सिविल इंजीनियरिंग में भौतिक और गणितीय समस्याओं के अनुप्रयोग के सबसे पहले उदाहरणों में से एक है तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व आर्किमिडीज द्वारा किये गए कार्य जिनमें शामिल है आर्किमीडीज़ का सिद्धांत, जो कि हमें तैरने या उछाल की प्रक्रिया के मूल को बताता है और साथ ही अभ्यासिक समाधान भी बताता है जैसे कि आर्किमीडीज़ स्क्रू.भारतीय गणितज्ञ,ब्रह्मगुप्त, ने गढित (घनफल) संगणना करने के लिए 7 वीं शताब्दी ई. में हिंदु-अरबी अंकों पर आधारित गणित का प्रयोग किया[10]

सिविल इंजीनियर[संपादित करें]

शिक्षा और लाइसेंस प्रदान करना[संपादित करें]

लंदन में स्थित सिविल इंजीनियर के संस्थान का मुख्यालय या द इंस्टीट्युशन ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग हेड क्वाटरस इन लन्दन

सिविल इंजीनियरों के पास आमतौर सिविल इंजीनियरिंग के लिए महत्वपूर्ण अकादमिक डिग्री होती है . इस डिग्री के लिए आम तौर पर चार या पाँच साल की पढाई पूरी करनी होती है। इस डिग्री को पूरा करने के बाद सामान्यतः आपको पर एक इंजीनियरिंग में स्नातक, करना कहा जाता है, हालांकि कुछ विश्वविद्यालयों में इसे विज्ञान में स्नातक करना कहा जाता है इस डिग्री में आम तौर पर भौतिक विज्ञान, गणित, परियोजना प्रबंधन, डिजाईनिंग और सिविल इंजीनियरिंग के कुछ विशिष्ट विषय शामिल होते हैं। प्रारंभ में ऐसे विषय अधिक से अधिक विषय वस्तुओं को बताने की कोशिश करते हैं और अगर ये उस विषय के बारे में पूरी जानकारी दे पाना संभव नहीं हो पाता है तो सिविल इंजीनियरिंग के उपभागों के बारे में बताते हैं डिग्री पूरी हो जाने के बाद इस विषय में विशेष पढाई करने के लिए छात्र एक या अधिक उपभागों को चुन सकते हैं।[11]

अधिकांश देशों में, इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री एक पेशेवर प्रमाणीकरण की दिशा में पहला कदम होता है और इसका डिग्री प्रोग्राम स्वयं एक पेशेवर संस्था द्वारा प्रमाणित होता है। प्रमाणित डिग्री प्रोग्राम को पूरा करने के बाद इस प्रमाणित डिग्री को प्राप्त करने से पहले इंजीनियर को (जिसमें कार्य अनुभव और परीक्षा संबधी आवश्यक नियमों में उतीर्ण होना शामिल है) इस डिग्री को प्राप्त करने की योग्यता पर खरा होना चाहिए. एक बार प्रमाणित हो जाने के बाद, इंजीनियर को (संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका में) व्यावसायिक इंजीनियर की उपाधि दी जाती है (राष्ट्रमंडलीय देशों) में उन्हें चार्टर्ड या अधिकृत इंजीनियर कहा जाता है (ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में उन्हें अधिकृत व्यावसायिक इंजीनियर बोला जाता है और यूरोपीय संघ में उन्हें यूरोपीय इंजीनियर बुलाया जाता है। प्रासंगिक व्यावसायिक निकायों के बीच अंतर्राष्ट्रीय इंजीनियरिंग समझौते होते हैं ताकि दुसरे देशों के इंजीनियरों को भी इसका अभ्यास करने का मौका मिल सके.

प्रमाणीकरण लाभ स्थान के आधार पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में "केवल एक लाइसेंस प्राप्त इंजीनियर चिन्ह और मुहर बना सकता है। केवल वह ही अभियान्त्रिकी योजनाओं और चित्रों को पारित करने के लिए सरकारी आधिकारियों के पास जमा कर सकता है या सार्वजनिक और निजी ग्राहकों के लिए अभियान्त्रिकी कार्यों पर मुहर लगा सकता है।"[12] इस आवश्यकता को राज्य और प्रांतीय कानून द्वारा लागू किया जाता है, जैसे कि क्यूबेक्स इंजीनियर्स अधिनियम[13] दूसरे देशों में ऐसा कोई कानून मौजूद नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में इंजीनियरों के लिए राज्य द्वारा दिया जाने वाला लाइसेंस केवल क्वींसलैंड तक सीमित है। व्यावहारिक रूप से सभी प्रमाणित निकाय निति-संहिता पर चलती है जिसके अनुसार वो आशा रखती है कि सभी सदस्य निति-संहिता का निष्ठा से पालन करेंगे और या तो वे निष्कासित किये जायेंगे.[14] इस प्रकार ये संगठन इस व्यवसाय के लिए नैतिक स्तर को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यहां तक कि न्यायालय में जहां प्रमाणीकरण का काम बहुत ही कम या लगभग कोई प्रभाव नहीं होता है, वहां पर भी इंजीनियरों को अनुबंधित कानून के दायरे में रहना पड़ता है। जहां पर इंजीनियर का काम बिगड़ जाता है, तो ऐसे मामलों में वो लापरवाही के कारण हुए हानि के लिए जिम्मेदार हो सकता है। कुछ गंभीर मामलों में उस पर आपराधिक लापरवाही के आरोप भी लग सकते हैं।[उद्धरण चाहिए]किसी इंजीनियर का काम पर्यावरण कानून से संभंधित निर्माण संहिता और विधान जैसे कई अन्य दुसरे नियमों से अनुपालित होना चाहिए.

व्यवसाय[संपादित करें]

सिविल इंजीनियर के लिए कोई एक विशिष्ट व्यावसायिक मार्ग है। ज्यादातर इंजीनियरिंग स्नातक अपना काम छोटी-मोटी जिम्मेदारियों से ही शुरू करते हैं और जैसे-जैसे वो अपनी उपयोगिता साबित करते चले जाते हैं वैसे-वैसे उनको और ज्यादा जिम्मेदारियों भरे काम सौंपे जाते हैं। लेकिन उनको वहीँ काम सौंपा जाता है जो सिविल इंजीनियरिंग के उपक्षेत्र के अन्दर आते हो या फिर अगर वे प्रत्येक शाखा के बाज़ार के विभिन्न खंडों के अर्न्तगत भी आते हों तो उन्हें वो काम सौंपा जा सकता है लेकिंग व्यावसायिक मार्ग एक दुसरे से अलग हो सकते हैं। कुछ क्षेत्रों और कंपनियों में, जिन इंजीनियरों ने अभी-अभी काम करना शुरू किया है उनको शुरुआत में निर्माण कार्य की निगरानी रखने का काम सौंपा जाता है। वहां पर वो वरिष्ठ डिजाइन इंजीनियरों के लिए "आँख और कान" का काम करते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में, प्रवेश स्तर के इंजीनियरों को अधिक से अधिक विश्लेषण या डिजाइन और विवेचनात्मक कार्यों को नियमित रूप से करना पड़ता है। अधिक वरिष्ठ इंजीनियरों को अधिक जटिल विश्लेषण या डिजाइन या अधिक जटिल डिजाइन परियोजनाओं या अन्य दुसरे इंजीनियरों का संचालन जैसे कार्य करने पड़ सकते हैं। या फिर उन्हें विशेष परामर्श के कार्य सौंपे जा सकते हैं जिसमें फॉरेंसिक इंजीनियरिंग शामिल है।

उप-शाखा[संपादित करें]

सामान्यतः, सिविल इंजीनियरिंग मानव द्वारा निर्मित तय परियोजनाओं का बृहद दुनिया के साथ एक पूर्ण अंतरफलक है। आम सिविल इंजीनियर सर्वेक्षकों के साथ मिलकर काम करते हैं और वरिष्ठ सिविल इंजीनियरों को दिए गए कार्यस्थल, समूह एवं भू-भाग पर निर्धारित परियोजनाओं में श्रेणीकरण को डिजाईन, जल निकासी, जल आपूर्ति, नाली से जुड़े कार्यों, बिजली आपूर्ति में मदद और संचार आपूर्ति एवं भूमि विभाजन करके वो उनकी मदद करता है। आम इंजीनियर अपना ज्यादा समय परियोजना स्थलों के दौरों में, वहां की सामुदायिक आम सहमति और निर्माण कार्य की योजना को तैयार करने में लगाता है। आम सिविल इंजीनियरिंग को साइट इंजीनियरिंग,भी कहा जाता है, जो कि सिविल इंजीनियरिंग की एक ऐसी शाखा है जिसका मुख्या केंद्र है भूमि के एक हिस्से को एक प्रयोग से दुसरे प्रयोग के लिए परिवर्तित करना. सिविल इंजीनियर विशिष्ट रूप से भू-तकनीक इंजीनियरिंग, संरचनात्मक इंजीनियरिंग, पर्यावरण इंजीनियरिंग, परिवहन इंजीनियरिंग और निर्माण इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को आवासीय, व्यापारिक और सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं में निर्माण के सभी आकारों और स्तरों पर लागू करते हैं।

तटीय इंजीनियरिंग[संपादित करें]

तटीय इंजीनियरिंग का सम्बन्ध तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन से है। कुछ इलाकों में समुद्र प्रतिरक्षा और तटीय सुरक्षा का मतलब क्रमशः बाढ़ और कटाव से रक्षा ही होता है। हलाँकि शब्द तटीय रक्षा अधिक परंपरागत है, लेकिन आज कल तटीय प्रबंधन अधिक लोकप्रिय हो गया है क्योंकि अब यह क्षेत्र विस्तृत हो गया है और इसमें ऐसी तकनीकें शामिल हो गयी हैं जो भूमि के कटाव को स्वीकार करती हैं।

अपार्टमेंट के कई खंडों के लिए भवन निर्माण

निर्माण इंजीनियरिंग[संपादित करें]

निर्माण इंजीनियरिंग में शामिल है - परिवहन, स्थल विकास, जल, पर्यावरण, संरचना और भू-तकनीकी इंजिनियरों से मिलने वाले डिजाइनों की योजना और उसका कार्यान्वयन.क्योंकि निर्माण कंपनियों में अन्य सिविल इंजीनियरिंग कंपनियों की तुलना में व्यापार से जुडा खतरा ज्यादा होता है, कई निर्माण इंजिनियर ऐसी भूमिका अदा करते हैं जो कि प्रकृति में व्यापार करने वालों की भूमिका के ज्यादा करीब होती है: जैसे कि अनुबंध तैयार करना और उसका निरीक्षण, सहाय-सहकार सम्बन्धी कार्यों को मूल्यांकन और आवश्यक आपूर्तियों की मूल्यों की निगरानी.

भूकंप इंजीनियरिंग[संपादित करें]

भूकंप इंजीनियरिंग के ज़रिये विभिन्न संरचनाओं को ये क्षमता दी जाती है कि वो जिन विशिष्ट स्थानों पर हैं वहाँ आने वाले खतरनाक भूकंप के झटके सह सकें.

भूकंप-रोधी और चिचेन इत्जा में एल कैस्टिलो का विशाल पिरामिड

भूकंप इंजीनियरिंग संरचनात्मक इंजीनियरिंग की व्यापक श्रेणी की एक उप-शाखा है। भूकंप इंजीनियरिंग के मुख्य उद्देश्य हैं:[उद्धरण चाहिए]

  • संरचना के संपर्क समझे अस्थिर जमीन पर बनने वाली संरचनाओं और ज़मीन के एक दुसरे पर प्रभाव को समझना.
  • ऐसी संरचना डिजाइन करना, बनाना और उसका रख-रखाव करना जो कि निर्माण संहिता के अनुसार हो और भूकंप आने पर अपेक्षानुसार खरे उतरे.

भूकंप इंजीनियरिंग संरचना का मतलब जरूरी नहीं कि बहुत ही मजबूत या महँगी संरचना हो जैसे कि ऊपर दिखाए गए एल चिचेन इत्जा का कैस्टिलो पिरामिड.[मूल शोध?]

अब भूकंप इंजीनियरिंग में सबसे ताकतवर और कम लागत वाला उपकरण है आधार अलगाव जो कि निष्क्रिय संरचनात्मक कंपन के नियंत्रण से जुडी तकनीकों से संबंधित है।[उद्धरण चाहिए]

पर्यावरणीय इंजीनियरिंग[संपादित करें]

एक निष्यंतक तल, नाली से बहनेवाला पानी इत्यादि का एक भाग है

पूर्व व्ययन या आकस्मिक संदूषण की वजह से पर्यावरण इंजीनियरिंग को रासायनिक, जैविक और/या उष्ण व्यय, जल और वायु की शुद्धि और संदूषित स्थलों की सफाई रखनी पड़ती है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में सम्मिलित विषयों में प्रदूषक परिवहन, जल शुद्धीकरण, व्यय जल उपचार, वायु प्रदूषण, ठोस व्यय उपचार और खतरनाक व्यय प्रबंधन शामिल हैंप्रदूषण में कमी, हरित इंजीनियरिंग और औद्योगिक पारिस्थितिकी इन सभी में पर्यावरण इंजीनियर शामिल हो सकते हैं। पर्यावरण इंजीनियरिंग प्रस्तावित कार्यों के पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव की जानकारी इकठ्ठा करने का कार्य भी करते हैं साथ ही प्रस्तावित कार्यों के पर्यावरण पर प्रभाव का मूल्यांकन भी करते हैं ताकि समाज और निति निर्माणकर्ताओं को निर्णय लेने में सहायता मिले.

पर्यावरण इंजीनियरिंग स्वच्छता इंजीनियरिंग के लिए एक समकालीन शब्द है। हालांकि, स्वच्छता इंजीनियरिंग में परंपरागत रूप से खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन और पर्यावरण उपचार से जुडा ज्यादा कार्य शामिल नहीं हैं जो कि पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल है। प्रयोग में आने वाले कुछ अन्य शब्द हैं - सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और पर्यावरणीय स्वास्थ्य इंजीनियरिंग.

भू-तकनीकी इंजीनियरिंग[संपादित करें]

एक श्रेणी बद्ध नीव या ए स्लैब-ऑन-ग्रेड फाउंडेशन

भू-तकनीक सिविल इंजीनियरिंग सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र को वो हिस्सा है जो कि पत्थर और मिट्टी से सम्बंधित है जो कि सिविल इंजीनियरिंग प्रणाली से सहायता प्राप्त हैं। भू-तकनीकी इंजीनियर, नीवों, बनी हुई दीवारों और इसी तरह की और संरचनाओं को सुरक्षित और आर्थिक रूप से डिजाइन करने के लिए भूविज्ञान से सम्बंधित ज्ञान का प्रयोग और भौतिक विज्ञान परीक्षण, यांत्रिकी और जलगति विज्ञान के माध्यम से इन संरचनाओं को बनाने में मदद करते हैं। भूजल और अपशिष्ट निपटान ने पर्यावरण से सम्बंधित अध्ययन के लिए एक नविन विषय प्रदान किया है जिसे भू-पर्यावरणीय इंजीनियरिंग कहते हैं। इस विषय में जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान महत्वपूर्ण हैं।[15][16]

भू-तकनिकी इंजीनियरिंग से सम्बंधित कुछ अजीब से परेशानियां परिवर्तनशीलता और मिटटी के गुणों का परिणाम हैं। इंजीनियरिंग की अन्य शाखाओं में बाउंडरी की स्थिति को अच्छी तरह से परिभषित किया जाता है। लेकिन मिटटी के साथ इन नियमों को परिभाषित करना असंभव हो सकता है।सिमित निरिक्षण और मिटटी की परिवर्तनशीलता के कारण पदार्थ गुण और मिटटी के स्वभाव को समझ पाना बहुत मुश्किल है।कंक्रीट और इस्पात के अच्छी तरह से अपेक्षाकृत परिभाषित पदार्थ गुणों के विरोधाभासों को सिविल इंजीनियरिंग के अन्य क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।मिटटी के स्वभाव को परिभाषित करने वाली यांत्रिकी आयतन परिवर्तन, दबाव- खिचाव सम्बन्ध और शक्ति जैसे दबाव पर आश्रित पदार्थों के कारण बहुत ज्यादा जटिल हैं।[15]

जल संसाधन इंजीनियरिंग[संपादित करें]

हूवर बांध

जल संसाधन इंजीनियरिंग जल के संग्रह और उसके प्रबंधन से सम्बंधित है (एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में). एक शाखा के रूप में यह जल विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, मौसम विज्ञान, भूविज्ञान, संरक्षण और संसाधन प्रबंधन को सम्मिलित करता है। सिविल इंजीनियरिंग का यह क्षेत्र भूमिगत (जलवाही स्तर) और धरती के ऊपर वाले (झील, नदियाँ और नाले) संसाधनों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों की भविष्यवाणी और प्रबंधन से जुडा हुआ है। जल संसाधन इंजीनियर ज़मीन के बहुत छोटे हिस्से से बहुत बड़े हिस्से तक का प्रतिरूप बनाकर उसका विश्लेषण करते हैं ताकि वो पानी के बहाव से उसका अनुमान लगा सकें. हालांकि सुविधा के वास्तविक डिजाइन को किसी और इंजिनियर को भी सौंपा जा सकता है। हाइड्रोलिक या जलीय इंजीनियरिंग द्रव के प्रवाह और वहन से सम्बंधित है। मुख्यतः यह जल से सम्बंधित है। सिविल इंजीनियरिंग का यह क्षेत्र पाइपलाइनों के डिजाइन, जल वितरण प्रणाली, जल निकासी (जिनमें पुल, बांध, जलमार्ग, पुलिया, तटबंध नाला) और नहरें शामिल हैं . हाइड्रोलिक या जलीय इंजीनियर इन सुविधाओं को द्रव दाब, द्रव तरल पदार्थ का दबाव, द्रव स्थैतिक, द्रव गतिशीलता और जलगति विज्ञान, के अलावा अन्य डिजाइन करते हैं।

पदार्थ इंजीनियरिंग[संपादित करें]

सिविल इंजीनियरिंग का एक अन्य पहलू पदार्थ या धातु विज्ञान है। पदार्थ या धातु इंजीनियरिंग चीनी-मिटटी की चीजें जैसे कंक्रीट, ठोस मिश्रित डामर, एल्यूमीनियम और इस्पात जैसे धातु और बहुलक जैसे कि पोलीमेथाइलमेथाक्रिलेट (पी.एम्.एम्.ऐ.) धातु की बड़ी हुई शक्ति के इर्द-गिर्द आकृष्ट रहते हैं।

संरचनात्मक इंजीनियरिंग[संपादित करें]

बुर्ज दुबई, दुनिया की सबसे बड़ी इमारत है
क्लिफ्टन सस्पेनशन ब्रिज, जिसकी संरचना यू॰के॰ में स्थित ब्रिस्टल शहर में इसम्बार्ड किंगडम ब्रुनेल द्वारा किया गया था

संरचनात्मक इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन एवं इमारतों, पुलों, टावरों, फ्लाईओवरों,सुरंगों के संरचनात्मक विश्लेषण से सम्बंधित हैं। साथ ही साथ यह समुद्रगामी इलाकों में बनी संरचनाएं एवं और अन्य संरचनाओं से सम्बंधित है। इसमें संरचना पर लगने वाले बल और उस संरचना के भीतर इन बलों के कारण उत्पन्न हुए दबाव और तनाव की पहचान होती है और उसके बाद उस संरचना को ऐसा बनाया जाता है कि वो उन बलों को सफलतापूर्वक उठा और सह सके.बल का वजन संरचना, अन्य मृत बल, जीवित बल, गतिशील (पहिया) बल, वायु बल, भूकंप बल, तापमान परिवर्तन से उत्पन्न हुए बल के बराबर हो सकता है। संरचनात्मक इंजीनियरों को संरचनाओ को इस प्रकार बनाना चाहिए कि उनके प्रयोग से प्रयोग करने वाले को कोई हानि हो और जिस कार्य के लिए उसका निर्माण हुआ है, वो उस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करे (उपयोगी हो). कुछ भारण स्थितियों कि प्रकृति के कारण संरचनात्मक इंजीनियरिंग के भीतर की उप-शाखाएं विकसित हो जाती हैं, जिसमें वायु इंजीनियरिंग और भूकंप इंजीनियरिंग शामिल हैं।

डिजाइन के प्रतिफल में, शक्ति, कठोरता और संरचना की स्थिरता शामिल हैं, जब ऐसे फर्नीचर या स्वयं के रूप में लोड जो स्थिर हो सकता है, के लिए किए वजन, या गतिशील, जैसे हवा, भूकंप, के रूप में होगा भीड़ या वाहन लोड, या अस्थायी ऐसे अस्थायी रूप में, निर्माण लोड या प्रभाव. अन्य प्रतिफलों में, लागत, निर्माण करने की क्षमता, सुरक्षा, सौंदर्य और स्थिरता शामिल हैं।

सर्वेक्षण[संपादित करें]

1918, इदाहो में सर्वेक्षण दल की सभी सदस्य महिला थी

सर्वेक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें सर्वेक्षक कुछ आयामों को नापता है जो कि आमतौर पर धरती की सतह पर होता है। सर्वेक्षण उपकरण, जैसे कि चौरस और थियोडोलाइट कोणीय अपसरण, क्षैतिज, लम्बरूप और ढलान दूरियां का उपयोग सटीक मापन के लिए किया जाता है। कम्प्यूटरीकरण के साथ, इलेक्ट्रॉनिक दूरी की माप (ई.डी.एम्.), कुल स्टेशन, जीपीएस सर्वेक्षण और लेजर स्कैनिंग पूरक ने (बहुत हद तक उसका स्थान ले लिया है) पारंपरिक ऑप्टिकल उपकरणों को अनुपूरक बना दिया है . यह जानकारी पृथ्वी की सतह के डेटा को चित्रमय प्रतिरूप में एक नक्शे के रूप में बदलने में बहुत महत्वपूर्ण है। उसके बाद यह जानकारी सिविल इंजीनियरों, ठेकेदारों और यहाँ तक की दलालों को भी दी जाती है ताकि वो इसका इस्तेमाल करके क्रमशः डिजाइन तैयार करें, निर्माण कार्य करें और व्यापार करें. इमारत या संरचना के तत्वों का एक दुसरे से और सीमाओं की सही स्थिति एवं समीपवर्ती संरचनाओं के सम्बन्ध में सही आकार और स्थान पर होना आवश्यक है। यद्यपि सर्वेक्षण अलग योग्यता और अलग लाइसेंस व्यवस्था के साथ एक अलग व्यवसाय है। सिविल इंजीनियरों को सर्वेक्षण और मानचित्रण, के मूल और भौगोलिक सूचना प्रणाली में प्रशिक्षित किया जाता है। सर्वेक्षक रेलवेमार्ग, ट्रैमवे ट्रैक, राजमार्ग, सड़क, पाइपलाइनों और गलियों के निर्माण के साथ-साथ कुछ अन्य अवसंरचनाओं के निर्माण से पहले उनकी स्थित तय करते हैं, जैसे कि बंदरगाह

भूमि सर्वेक्षण

संयुक्त राज्य अमेरिका में, ब्रिटेन, कनाडा और अधिकाँश राष्ट्रमंडल देशों के भूमि सर्वेक्षण को एक विशिष्ट पेशा माना जाता है। भूमि संरक्षकों को इंजिनियर नहीं माना जाता है और उनका अपना व्यावसायिक संगठन और अपनी लाइसेंसिंग आवश्यकताएं होती हैं। एक लाइसेंस भूमि की सेवाओं को आम तौर पर सीमा के सर्वेक्षण के लिए आवश्यक हैं (एक पार्सल की सीमाओं अपनी कानूनी विवरण आमतौर पर लाइसेंस प्राप्त भूमि सर्वेक्षकों की आवश्यकता सीमा सर्वेक्षण और उप-विभाजन योजनाओं के लिए होती है (सीमाओं के खंड को बनाने के लिए अपनी संवैधानिक विवरणिका प्रयोग करके) (एक प्लाट या मानचित्र ज़मीन के खंड के सर्वेक्षण पर आधारित होता है, जिसमें नयी सीमा रेखाएंओं और सड़को को दिखाने के लिए बड़े खंड के अन्दर सीमा रेखाएं बनी होती है).

निर्माण सर्वेक्षण

निर्माण सर्वेक्षक आमतौर पर विशेष तकनीशियन द्वारा किया जाता है। भूमि सर्वेक्षकों के विपरीत, इसकी परिणाम योजना को संवैधानिक सुविधा प्राप्त नहीं है। निर्माण सर्वेक्षक निम्नलिखित कार्य करता है:

  • स्थलाकृति, मौजूदा इमारतों और बुनियादी सुविधाओं और यहां तक की जब भी संभव हो भूमिगत बुनियादी सुविधाओं सहित भविष्य के कार्य स्थल की मौजूदा स्थिति का निरिक्षण करना.
  • निर्माण सर्वेक्षण ("बनाना" या "सेटिंग" करना): सन्दर्भ बिन्दुओं और चिन्हकों के भरोसे नई संरचनाओं के निर्माण के लिए जोखिम लेना और मार्गदर्शन करना, जैसे कि सड़क या इमारत के अनुवर्ती निर्माण के लिए.
  • निर्माण के दौरान संरचना के स्थान की अच्छी तरह से जांच करें;
  • निर्मित सर्वेक्षण: परियोजना के अंत में इस बात की पुष्टि के लिए कि कार्य पूरी तरह से अधिकृत था और वो विनिर्देश योजनाओं के अनुसार समाप्त हो चूका है, एक सर्वेक्षण निर्माण आयोजित करना

परिवहन इंजीनियरिंग[संपादित करें]

परिवहन इंजीनियरिंग जन और माल को कुशलपूर्वक, सुरक्षित और जीवंत समाज के लोगों के लिए सुचालक हो. परिवहन इंजीनियरिंग का सम्बन्ध इन्हीं चीज़ों से है। इस कार्य में सम्मिलित हैं - उल्लिखित करना, डिजाइन, निर्माण, परिवहन की बुनियादी सुविधाओं को बनाए रखना जिनमें शामिल हैं सड़कें, नहरें, राजमार्ग, रेल प्रणालियां, हवाई अड्डे, बंदरगाह, और जन पारगमन इसमें परिवहन डिजाइन, परिवहन योजना, यातायात इंजीनियरिंग, शहरी इंजीनियरिंग, के कुछ पहलू, पंक्ति सिद्धांत, [[पत्थर या ईंट के फर्श की इंजीनियरिंग|फुटपाथ इंजीनियरिंग,]] इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (आई. टी. एस.) और परिवहन प्रबंधन जैसे क्षेत्र शामिल है

नगर पालिका या शहरी इंजीनियरिंग[संपादित करें]

शहरी इंजीनियरिंग शहरी अवसंरचना से सम्बंधित है। इसमें शामिल है उल्लेखन, डिजाइनिंग, निर्माण और अनुरक्षण करना. जिसमें सड़क, पगडण्डी, जल आपूर्ति नेटवर्क, नाली, स्ट्रीट लाईट नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन और निष्पादन, सार्वजनिक कार्यों और प्रबंधन के लिए कई धातुओं के लिए भण्डारण (नमक, रेत, आदि), सार्वजनिक पार्क और साइकिल पथ का अनुरक्षण करना शामिल है। भूमिगत उपयोगिता नेटवर्क के मामले में, यह बिजली और दूरसंचार सेवाओं के स्थानीय वितरण नेटवर्क के नागरिक भाग को भी जोड़ सकता है (वाहिका और उपयोग कक्ष). इसमें कूड़ा संग्रहण और बस सेवा नेटवर्क का अनुकूलन भी शामिल है। इनमें से कुछ विषय कुछ अन्य सिविल इंजीनियरिंग विशेषताओं से घुलमिल गए हैं, हलाँकि नगर निगम इंजीनियरिंग इन बुनियादी सुविधाओं के नेटवर्क और सेवाओं पर ध्यान केन्द्रित रखता है, जैसा कि ये प्रायः क्रमशः बनते हैं और एक ही नगर निगम प्रशासन द्वारा संचालित किये जाते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]


संघ

सन्दर्भ[संपादित करें]

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बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]