कैमूर जिला

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कैमूर
—  जिला  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य बिहार
ज़िला कैमूर
अध्यक्ष जैनेन्द्र आर्य
आधिकारिक जालस्थल: www.kaimur.bih.nic.in

निर्देशांक: 25°03′N 83°37′E / 25.05°N 83.62°E / 25.05; 83.62 कैमूर भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक जिला है। यहां का प्राशासनिक मुख्यालय भभुआ है।[1] पर्वत और कैमूर वन्यजीव अभ्यारण यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। इसके अलावा, रामगढ़ गाँव, दुरौली, चैनपुर, भगवानपुर, भभुआ, बिद्यानाथ और मुंडेश्‍वरी स्टोन मंदिर आदि भी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल है।[2] चट्टानों पर हुई चित्रकारी कैमूर की एक बड़ी खोज है। इन चित्रों का सम्बन्ध मैसोलिथिक काल से है। माना जाता है कि यह चित्रकारी 5000 ई.पू. से 2500 ई.पू. के समय की है। इनमें से कई चित्र जानवरों के बने हुए हैं। कैमूर जिला में मां मुंडेश्वरी का अदभुत मंदिर हैं जिसके चलते यहां काफी पर्यटक आते जाते रहते हैं मां मुंडेश्वरी का मंदिर विश्व का सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक हैं यहां से 500m दूरी पर एक गाव है रामगढ़ नाम का जो कि काफी इतिहासिक है यहां का इतिहास और झरने काफी मनमोहक लगते हैं।।

भूगोल[संपादित करें]

इसका जिला मुख्यालय भभुआ है। कर्मनाशा और दुर्गावती यहां की दो प्रमुख नदियां है। ऐतिहासिक द़ष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कैमूर जिला बिहार के बक्सर जिला एवं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के दक्षिण, झारखंड के गढ़वा जिले के उत्तर, उत्तर प्रदेश के चन्दौली एवं मिर्जापुर जिले के पूरब और बिहार के रोहतास जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। पूर्व में यह रोहतास जिला का अंग था।

इतिहास[संपादित करें]

कैमूर का इतिहास काफी प्राचीन और रूचिकर है। यह जिला छठी शताब्दी ई.पू. से पांचवी शताब्दी ई. तक शक्तिशाली मगध साम्राज्‍य का हिस्सा था। सातवीं शताब्दी में कैमूर कन्नौज के शासक हर्षवर्द्धन के अधीन आ गया। सी. मार्क (इतिहासकार) के अनुसार इस क्षेत्र पर शासन करने वाले प्रथम शासक पाल वंश के थे। उसके बाद चन्दौली का यहां शासन रहा और बारहवीं शताब्दी में ताराचंदी ने कैमूर जिले पर राज किया। अत: यह क्षेत्र कई शासक वंशो के अधीन रहा।

आकर्षण[संपादित करें]

कैमूर का तेलहर प्रपात

यहाँ का मुख्य आकर्षण प्राशासनिक मुख्यालय भभुआ में देखा जा सकता है जहाँ आपको सबकुछ हरा ही दिखेगा। भभुआ को 'हरित नगर' (हरा शहर) के रूप में पहचान मिल चुकी है। [3]

चैनपुर[संपादित करें]

भभुआ मुख्यालय के पश्चिम से 11 किलोमीटर की दूरी पर चैनपुर स्थित है। यहां बख्तियार खान का स्मारक है। कहा जाता है कि बख्तियार खान का विवाह शेरशाह की पुत्री से हुआ था। चैनपुर स्थित किले का निर्माण सूरी अथवा अकबर काल के दौरान हुआ था, इसी स्मारक के पश्चिम में मुस्लिम दरगाह असमकोटी हैं। इसके अतिरिक्त, यहां हरसू ब्रह्म नाम का एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर भी है। कहा जाता है कि राजा शालीवाहन के पुजारी हरशू पांडे ने अपने घर की रक्षा में इसी जगह पर अपने प्राण गवाएं थे।

तेलहार प्रपात[संपादित करें]

तेलहार कुंड भभुआ जिला से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, जो की अधौरा(गांव ) के रास्ते में है | मुख्यः रूप से यह एक झरना है जहाँ पहाड़ो से होकर आने वाली पानी गिरता है |

भगवानपुर[संपादित करें]

कैमूर पर्वत के समीप स्थित भगवानपुर भभुआ के दक्षिण से 11 किलोमीटर की दूरी पर है। कहा जाता है कि यह स्थान चन्द्रसेन सारन सिंह की शक्ति का केन्द्र हुआ करता था। राजा शलिवाहन ने इस क्षेत्र को शेर सिंह से जीत लिया था। लेकिन बाद में अकबर के शासनकाल के दौरान उन्होंने इस क्षेत्र पर पुन: विजय प्राप्त कर ली थी। इसी से सटे लगभग ५किलोमीटर की दूरी पे टेकरा गां व है जो अद्भुत छवि झलकता है

रामगढ़[संपादित करें]

रामगढ़ गांव अपराध, सुंदर-सुंदर पहाड़, झरना, झील और जिले की शान मुंडेश्‍वरी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण एक ऊंचे पर्वत पर समुद्र तल से लगभग 600 फीट की ऊंचाई पर किया गया है। यहां से कुछ पुरातत्वीय अभिलेख भी प्राप्त हुए थे, जिनका काफी महत्व माना जाता है। यह काफी प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 635 ई. में किया गया था।

अधौरा[संपादित करें]

यह जगह समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अधौरा, भभुआ से 58 किलोमीटर की दूरी पर है। पर्वतों और जंगलों से घिरे इस स्थल की खूबसूरती देखने लायक है। यहीं कारण है कि काफी संख्या में पर्यटक यहां आना पसंद करते हैं।

बैजनाथ[संपादित करें]

बैजनाथ गांव रामगढ़ खण्ड मुख्यालय के दक्षिण से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर एक अति प्राचीन शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण प्रतिहार वंश ने करवाया था। इस मंदिर में कई प्राचीन सिक्के और अनेक महत्वपूर्ण वस्तुएं मौजूद है। बैजनाथ में स्थित शिव मंदिर का शिखर एक शिला को तराश कर बनाया गया है

मुंडेश्वरी मंदिर[संपादित करें]

मुंडेश्‍वरी मंदिर कैमूर जिले के रामगढ़ गांव में स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर 636 ई. से ही अस्तित्‍व में है। यह मंदिर गुप्‍त काल की वास्तुशैली का अनोखा उदाहरण है। मुंडेश्वरी मंदिर के तराई में स्थित रामगढ़ गाँव काफी मनमोहक लगता है यह गांव पहाड़ों और प्रकृति के गोद में होने के कारण काफी आकर्षित दिखता है

दरौली[संपादित करें]

दरौली गांव रामगढ़ के उत्तर-पूर्व से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बहुत ही खूबसूरत स्थान है। दरौली गांव में दो प्राचीन मंदिर है तथा यहां प्राचीन जिले का सर्वाधिक बड़ा तालाब भी है।

भभुआ[संपादित करें]

भभुआ कैमूर जिले का मुख्यालय है। यह शहर जी.टी. मार्ग के दक्षिण से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जगदहवां डैम

मुंडेश्‍वरी मंदिर से पश्चिम की ओर 6 किलोमीटर की दूरी पर भगवानपुर और चैनपुर के बॉर्डर पर यह डैम स्थित है । यह लगभग 1 से 2 किलोमीटर के दूरी में फैला हुआ हैं। यह सिचाई के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है, इस डैम से नहर के माध्यम से सिचाई की जाती हैं। यह नहर अंत मे गेहुँआ नदी में मिल जाती हैं और गेहुँआ नदी आगे जाकर कर्मनाशा नदी में जा मिलती हैं।

आवागमन[संपादित करें]

वायु मार्ग

यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तथा पटना स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

रेल मार्ग

भारत के कई प्रमुख शहरों से कैमूर जिले में रेलमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।रेलवे स्टेशन भभुआ रोड (मोहनिया) है।

सड़क मार्ग

कैमूर सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से होते हुए कैमूर पहुंचा जा सकता है ।

सटे प्रमुख शहर

वाराणसी, काशी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन, पटना, सासाराम आदि।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  1. "Official Website of District Kaimur | Official Website of District Kaimur". मूल से 19 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019.
  2. "yatrasalah.com - Informationen zum Thema yatrasalah". yatrasalah.com. मूल से 11 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019.
  3. "भभुआ नगर ने रचा ग्रीन सिटी बनने का इतिहास". Dainik Jagran. मूल से 2 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019.