माँ तारा चंडी मंदिर
माँ तारा चंडी मंदिर | |
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Maa Tara Chandi | |
![]() मां ताराचंडी | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | सनातन हिन्दू धर्म |
देवता | दुर्गा माँ आदि पराशक्ति, शक्ति, देवी, काली, पार्वती, तारा |
त्यौहार | नवरात्रि, महा शिवरात्रि |
शासी निकाय | मां तारा चंडी मंदिर समिति, सासाराम |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | सासाराम |
ज़िला | रोहतास |
राज्य | बिहार |
देश | ![]() |
भौगोलिक निर्देशांक | 24°57′N 84°02′E / 24.95°N 84.03°Eनिर्देशांक: 24°57′N 84°02′E / 24.95°N 84.03°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | गुफा मंदिर, पर्वत मंदिर |
स्थापित | द्वापर युग |
आयाम विवरण | |
मंदिर संख्या | 1 |
अवस्थिति ऊँचाई | 110 मी॰ (361 फीट) |
वेबसाइट | |
https://maatarachandi.in |
मां तारा चंडी मंदिर भारतीय राज्य बिहार के सासाराम जिले में स्थित एक दुर्गा मंदिर है। यह भारत के 52 शंक्ति पीठों से एक है।[1][2][3]
इतिहास[संपादित करें]
माँ तारा चंडी पीठ भारत के 52 पीठों से सबसे पुराना पीठ माना जाता है। पुराण के अनुसार उनके पत्नी "सती " अपने पिता के घर अपने स्वामी को अबमानना होने पर जब आत्मदाह किए , भगबान शिब क्रोध मे आकार सती के सब को उठाकर भयंकर तांडब नृत्य करने लगे। उसी मे बिश्व द्वंश होने का खतरा रहा। भगबान बिष्णु बिश्व को रक्षया करने हेतु अपने सुदर्शन चक्र भेज कर सती के सब को खंड खंड करा दिये। वो सभी खंड भारत उपमहादेश की बिभिन्न प्रांत में गिरे। वो सभी प्रांत को " शक्ति पीठ" माना जाता है और हिंदुओं के लिए सभी पीठ बहुत मतत्वपूर्ण रहे है। माँ तारा पीठ पर सती की "दाहिने आँख " पड़े थे। यहाँ एक अति प्राचीन मंदिर , जिनहे " माँ सती " मंदिर कहा जाता था,उसे माँ तारा की आबास कहा जाता है।
कैमूर पहाड़ियों में अनन्य कई आकर्षण भी रहे है। यहाँ गुप्त महादेव मंदिर, पारबती मंदिर, पुराने गुंफाओं, मँझार कुंड और धुआ कुंड नामक दो जलप्रपात है। येही दोनों जलप्रपात से बिजली उत्पादन भी संभब है। [4]
प्राचीन[संपादित करें]
माना जाता है कि मां सती की दाहिनी आंख (नेत्र) यहां गिरा थी, इसलिए इसका नाम ताराचंडी पड़ा। यह भी कहा जाता है कि जब गौतम बुद्ध[5] ज्ञान प्राप्त करके यहां आए थे, तो मां ताराचंडी ने उन्हें एक बालिका के रूप में दर्शन दिए थे। तब उन्हें सारनाथ जाने का निर्देश दिया गया, जहां बुद्ध ने पहली बार उपदेश दिया था। मोक्ष देने के लिए जाना जाता है, पूजा की विधि सात्विक है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग यहां पूजा करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की वर्षा होती है।
शक्ति पीठ[संपादित करें]
शक्ति पीठ (संस्कृत: शक्ति पीठ, शक्ति पीठ,[6] शक्ति की सीट देवी शक्ति या सती की पूजा की जगह है, हिंदू धर्म की महिला प्रिंसिपल और शाक्त संप्रदाय के मुख्य देवता। वे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में छिड़के जाते हैं।
अनुष्ठान[संपादित करें]
- नित्य पूजा
- श्रंगार
- आरती
- भोग (हलवा पुरी)
- शायना आरती
स्थान[संपादित करें]
तारा चंडी मंदिर का अबस्थिति सासाराम से दक्षिण दिशा मे 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ बहुत हिन्दू भक्तों का समागम होता है। धुआँ कुंड प्रपात भी यहाँ का एका बहुत बड़ा परज्यातक आकर्षण है।[7]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- Mundeshwari मंदिर
- दक्ष प्रजापति
- शिव
- पार्वती
- हिन्दू धर्म
- Manjhar कुंड
- Dhua कुंड
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2017.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2017.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2017.
- ↑ "Tara Chandi Temple Rohtas - Temples in Rohtas, Attractions in Rohtas bihar". hoparoundindia.com. मूल से 29 जून 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 September 2016.
- ↑ https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%AE_%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7
- ↑ Fuller, Christopher John (2004). The Camphor Flame: Popular Hinduism and Society in India. Princeton: Princeton University Press. पृ॰ 44. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-691-12048-5.
- ↑ https://www.tripadvisor.in/Attraction_Review-g1985450-d3727489-Reviews-Maa_Tara_Chandi_Temple-Sasaram_Bihar.html