बिहार का इतिहास
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बिहार के इतिहास को तीन काल-खण्डों में बांटकर देखा जा सकता है।
- प्राचीन इतिहास
- मध्यकालीन इतिहास
- नवीन इतिहास
बिहार भारत के पूर्व भाग में स्थित एक विशेष राज्य है, जो कि ऐतिहसिक दृष्टिकोण से भारत का सबसे बड़ा केंद्र है, या फिर ऐसा कहना गलत नहीं होगा , कि बिहार के बिना भारत अधुरा है। चिरांद, छपरा से ११ किलोमीटर स्थित, सारण जिला का सबसे महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल (2000 ईस्वी पूर्व) है।[1][2] बौध धर्म के लोगो द्वारा यहाँ विहार करने के कारण इस राज्य का नाम बिहार पड़ा.इसी पावन भूमि पर महाबोधि मंदिर स्थित है। बिहार की पावन भूमि पर अनेक संतो का जन्म हुआ, इसी पावन भूमि पर दुनिया के बहुत से हिस्सों में लोग पढना लिखना भी नहीं जानते थे, उस समय शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र, नालंदा विश्वविद्यालय बिहार की राजधानी पाटलिपुत्र वर्तमान में पटना में स्थित था। बिहार की ही पावन भूमि पर अशोक, अजातशत्रु, बिम्बिसार और अन्य महान राजाओं का जन्म हुआ। आज़ाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म भी बिहार में ही हुआ है। सिक्खों के दसवे गुरु गोविद सिंह का जन्म भी बिहार की राजधानी पटना में हुआ। आज भी भारत के सबसे ज्यादा भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बिहार से ही निकलते हैं, लेकिन लगातार विदेशियों के आक्रमण और नेताओं के घटिया राजनीति के कारण बिहार भारत के सबसे गरीब और पिछड़े राज्यों में से एक हो गया है। विश्व में शिक्षा के केंद्र का गौरव प्राप्त करने वाले इस राज्य में साक्षरता दर अन्य राज्यों से कम हो गई है, और रोजगार न मिलने के कारण पलायन एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
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