नगरपालिका परिषद (भारत)
नगर पालिका एक प्रशासनिक इकाई होती है जो किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में शहरी प्रशासन और स्थानीय स्वशासन का कार्य करती है। इसका गठन उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ जनसंख्या घनत्व, शहरी सुविधाएँ और आर्थिक गतिविधियाँ ग्राम स्तर से अधिक विकसित हती हैं, परंतु वे इतने बड़े नहीं होते कि उन्हें नगर निगम (Municipal Corportion) का दर्जा दिया जा सके।[1]
नगर पालिका का मुख्य उद्देश्य स्थानीय नागरिकों को बुनियादी नागरिक सुविधाएँ प्रदान करवा होता है- जैसे जलापूर्ति, स्वच्छता, सड़क निर्माण, प्रकाश व्यवस्था, कचरा प्रबंधन, जन्म-मृत्यु का पंजीकरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्राथमिक शिक्षा आदि।
संरचना और प्रशासन
[संपादित करें]नगर पालिका में सामान्यतः दो प्रमुख स्तर होते हैं-
- नगर परिषद या नगरपालिका परिषद (Municipal Council): यह निर्वाचित निकाय होता है जिसमें पार्षद (councillors) या सदस्य होते हैं जिन्हें नगर के वार्डों से चुना जाता है।
- महापौर या अध्यक्ष: यह संस्था का प्रमुख होता है, जो परिषद की बैठकों का संचालन करता है और प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करता है। कई राज्यों में महापौर का पद औपचारिक (ceremonial) होता है, जबकि वास्तविक प्रशासनिक कार्य नगरपालिका अध्यक्ष (Executive Officer या Chief Municipal Officer) के अधीन रहते हैं।
भारत में नगर पालिका की स्थिति
[संपादित करें]भारत में नगर पालिकाओं की स्थापना संविधान के 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी, जिसने नगर निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इस संशोधन का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण (Democratic Decentralization) सुनिश्चित करना था।
भारत में नगर निकायों को तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है —
- नगर निगम (Municipal Corporation): 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले बड़े शहरों के लिए।
- नगर पालिका (Municipality): मध्यम आकार के शहरों या कस्बों के लिए, जिनकी जनसंख्या लगभग 20,000 से 5 लाख के बीच होती है।
- नगर पंचायत (Nagar Panchayat): उन क्षेत्रों के लिए जो ग्रामीण से शहरी स्थिति की ओर संक्रमण में हैं।
कार्य और दायित्व
[संपादित करें]नगर पालिका निम्नलिखित कार्यों के लिए उत्तरदायी होती है:
- शहरी योजना और भूमि उपयोग का नियमन
- जलापूर्ति और सीवरेज व्यवस्था
- सड़कों, पुलों और गलियों का निर्माण एवं रख-रखाव
- सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन
- शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं का संचालन
- कर संग्रह (जैसे गृहकर, जलकर, व्यावसायिक कर आदि)
- पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण
वित्तीय स्रोत
[संपादित करें]नगर पालिका के राजस्व के मुख्य स्रोत हैं –
- स्थानीय कर (गृहकर, संपत्ति कर, जलकर आदि)
- राज्य सरकार से अनुदान
- केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित निधियाँ
- विकास परियोजनाओं से प्राप्त धन
महत्व
[संपादित करें]नगर पालिकाएँ भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ में स्थित हैं। ये स्थानीय स्तर पर जनता की भागीदारी सुनिश्चित करती हैं और नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएँ बनाती हैं। इनके माध्यम से नागरिक सीधे प्रशासन से जुड़े रहते हैं, जिससे स्थानीय शासन अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनता है।
- ↑ "Municipalities: Meaning, Evolution, Types & Significance". NEXT IAS Blog. 2024-06-20. अभिगमन तिथि: 2025-11-10.