मीलित अलंकार
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अलंकार चन्द्रोदय के अनुसार हिन्दी कविता में प्रयुक्त एक अलंकार
मीलित का अर्थ है - मिल जाना, एकाकार हो जाना। जब कोई वस्तु अपने अनुरूप दूसरी वस्तु में इस प्रकार मिल जाती है कि उसका स्वरूप अलग लक्षित नहीं होता, तब मीलित अलंकार होता है।।
उदाहरण: अरुण वरन तिय चरन पर जावक लख्यो न जाय।
उपर्युक्त उदाहरण में नायिका के अरुण चरण में लाख्यारस लगा है लेकिन चरण की लालिमा में वह ऐसा मिल गया है कि अलग लक्षित नहीं होता।