सोरठा
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सोरठा एक मात्रिक छंद है। यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। उदाहरण -
- जो सुमिरत सिधि होई, गननायक करिवर बदन।
- करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि रासि शुभ गुनसदन॥
सन्दर्भ[संपादित करें]
शास्त्र [[श्रेणी:हिन्दी साहित्य] नील सरोरूह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन कराऊँ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन