व्यतिरेक अलंकार
दिखावट
काव्य में जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण
[संपादित करें]स्वर्ग कि तुलना उचित ही है यहाँ, किन्तु सुर सरिता कहाँ सरयू कहाँ। वह मरों को पार उतारती, यह यहीं से सबको ताँती।।
जन्म सिंधु पुनि बंधु विष,दीनन मलिन सकलंक| सीय मुख समता पाव किमी चंद्र बापूरो रंक ||
सन्दर्भ
[संपादित करें]यह बहुत ही सरल होता है इसमें उपमेय मे उपमान से श्रेष्ठ बताया जाता है वहां व्यतिरेक अलंकार होता है उदाहरण संत हृदय नवनीत समाना कहा कविन पे कह नहीं जाना