काव्यलिंग अलंकार
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अलंकार चन्द्रोदय के अनुसार हिन्दी कविता में प्रयुक्त एक अलंकार. जहाँ पर किसी बात के समर्थन में कोई न कोई युक्ति या कारण दिया जाता है वहाँ काव्यलिंग अलंकार होता है. इसमें प्रयुक्त लिंग शब्द का अर्थ ही है 'कारण'
उदाहरण स्याम गौर किमि कहौं बखानी गिरा अनयन, नयन बिनु बानी उपर्युक्त पंक्तियों में 'स्याम गौर'(राम-लक्ष्मण) के सौंदर्य का वर्णन करने की असमर्थता का कारण गिरा (वाणी) का नेत्रहीन होना तथा नयनों का वाणीविहीन होना है, अतः उक्त पंक्तियों में काव्यलिंग अलंकार है.