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ब्रह्मा मन्दिर, पुष्कर

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ब्रह्मा मन्दिर पुष्कर
ब्रह्मा मन्दिर पुष्कर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिपुष्कर
ज़िलाअजमेर
राज्यराजस्थान
देशभारत
वास्तु विवरण
प्रकारराजस्थानी वास्तुकला

ब्रह्मा मन्दिर (अंग्रेजी :Brahma Mandir) एक भारतीय हिन्दू मन्दिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर का निर्माण लगभग १४वीं शताब्दी में हुआ था पारीक ब्राह्मण समाज के व्यक्तियों ने मंदिर का निर्माण करवाया था जो कि लगभग ७०० वर्ष पुराना है। यह मन्दिर मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है।[2]कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान यहां मन्दिर में हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते रहते हैं।[3] [4]श्री ब्रह्मा मंदिर को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा 4 मार्च 2005 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया।

ब्रह्मा मन्दिर में मंडपम

सन्दर्भ

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  1. Official board pictured in File:Pushkar05.jpg
  2. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से (PDF) से 21 जुलाई 2011 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 15 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  3. "संग्रहीत प्रति". 14 अगस्त 2014 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 15 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  4. "संग्रहीत प्रति". 7 नवंबर 2012 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 15 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)


पंकज सोनी प्रयागराज। मूल निवास फतेहपुर ग्राम शाहपुर,तहसील खागा। सबसे पहले इस सृष्टि में केवल ब्रह्म आए, और इस ब्रह्माण्ड में ब्रम्ह केवल एक है इसलिए पूरे पृथ्वी पर ब्रह्मा का मंदिर केवल एक है। गिनती पहले ० से शुरू होती है अर्थात पहले इस पृथ्वी पर शून्य था और उस शून्य से एक अंश बाहर निकला (कोख से एक बच्चा निकला) और वो थे ब्रम्ह अर्थात वह ज्ञान जो सर्वोच्च है, पहली गिनती शून्य से इसीलिए प्रारंभ होती है कि जब शून्य था इस ब्रह्माण्ड पर तब कुछ नहीं था।अब शून्य से एक अंश बाहर निकला और वो थे ब्रम्ह इसलिए पहली गिनती बनी १॥ फिर ब्रम्ह ने अपने से एक अंश को बाहर किया वो थे महादेव,इनकी ये गिनती थी २। महादेव से एक अंश बाहर निकला वो थे हरि और संख्या बनी ३। ऐसे ही सबके अंश से एक-एक चीजे निकलती गई और संख्या बनती गई। एक और सत्य ब्रह्माण्ड इसीलिए फैल रहा है कि चीजे अभी पृथ्वी पर बन रही है हर दिन जितनी जीवात्मा जन्म ले रही है वह सब ब्रम्ह ही दे रहे हैं। एक और सत्य इस देश का वास्तविक नाम भरत ही था क्योंकि तब त्रेतायुग आया तो राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न आए। १४ वर्ष के वनवास के बारे में कभी सोचना कि राम का जितने दिन वनवास था उतने दिन भरत भी महल को त्याग दिए कि जब तक भैया नहीं आएंगे हम महल नहीं जाएंगे। भरत का यह त्याग था इसीलिए इस देश का नाम भरत पड़ा।इस ब्रह्माण्ड में देवताओं ने 14 लोक बनाए है,हिन्दू कैलेंडर चन्द्र कैलेंडर के आधार पर आधारित है,चन्द्र वहां भी 14 के बाद या तो पूर्णिमा होगी या आमावस्या,14 दिन बाद सब पूर्ण हो जाएगा। गिनती बस ऐसे ही बनती गई और वह आज भी जारी है।जितने भी लोग आज हमसे जुड़े है यह सभी बोलते है कि कितने लोग जुड़े हैं तुमसे। इसलिए बोलते है ब्रम्ह ही सत्य है। प्रथम युग सतयुग इसीलिए बोलते हैं कि वह ब्रम्ह का युग था अर्थात सत्य का युग था। राम सत्य थे,और सत्य सिर्फ क्या है,केवल ब्रम्ह।। जय श्री कृष्णा।