नरसिंह पुराण
नरसिंह पुराण | |
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गीताप्रेस गोरखपुर का आवरण पृष्ठ | |
लेखक | वेदव्यास |
मूल शीर्षक | श्री नरसिंह पुराण |
देश | भारत |
भाषा |
संस्कृत संस्कृत तथा हिन्दी अनुवाद सहित |
श्रृंखला | उपपुराण |
विषय | भगवान नृसिंह भक्ति |
प्रकार | हिन्दू ग्रंथ |
पृष्ठ | 3,464 श्लोक तथा 68 अध्याय, पृष्ठ संख्या 304 |
वैष्णव धर्म |
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मुख्य देवता |
अन्य देवता |
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ग्रंथ |
सम्प्रदाय |
आचार्यगण |
संबंधित परंपराऐं |
हिन्दू धर्म प्रवेशद्वार |
श्री नरसिंह पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित यह एक उपपुराण है। आर० सी० हाज़रा के शोध[1] के अनुसार यह 5वीं शताब्दी के उत्तरार्धमें लिखा गया था। इसका तेलुगु संस्करण 1300 ई० के बाद का है।
विषय वस्तु
[संपादित करें]इसके पुस्तक.. संस्करण में 68 अध्याय तथा 3,464 श्लोक हैं, 8वां अध्याय यम गीता के तीन संस्करणों में से एक है। अध्याय 36 से 54 तक भगवान विष्णु के 10 अवतारों का विस्तारपूर्वक वर्णन है। 21वें और 22वें अध्याय में सूर्यवंश तथा सोम वंश का वर्णन है इनके अंत में महाराज शुद्धोदन के पुत्र भगवान गौतम बुद्ध तथा क्षेमक का वर्णन है। 41 से 44 अध्याय तक नरसिंहावतार कथा, 47 से 52 तक राम कथा और 53 वे अध्याय में भगवान कृष्ण की कथा सारगर्भित है। अध्याय 57 से 61 तक स्वतंत्र लेख हैं जिसे हारीत संहिता अथवा 'लघुहारीत स्मृति' कहते हैं[2].
अध्यायों के नाम
[संपादित करें]इस पुराण में कुल 68 अध्याय हैं जिनके नाम निम्नांकित हैं[3]:---
- सर्गनिरूपण
- सर्गरचना
- सृष्टि रचना प्रकार
- नाम नहीं।
- सृष्टि कथन
- पुंसवन आख्यान
- मार्कण्डेय मृत्युंजय
- यमगीता
- नाम नहीं
- मार्कण्डेय चरित
- मार्कण्डेय चरित
- यमीय संवाद
- ब्रह्मचारी संवाद
- नाम नहीं।
- नाम नहीं।
- विष्णो: स्तवराजनिरूपण
- अष्टाक्षर महात्म्य
- अश्विनी उत्पत्ति
- नाम नहीं।
- नाम नही।
- सूर्यवंश कथन
- सोमवंश कीर्तन
- नाम नहीं।
- इक्ष्वाकु चरित
- इक्ष्वाकु चरित
- सुर्यवंश चरित
- सोमवंश वर्णन
- शंतनुचरित्र
- शंतनुसंतति
- भूगोलकथन
- नाम नहीं।
- सहस्रानीक चरित
- सहस्रानीक चरित्र, मार्कण्डेय एन उपदिष्ट सम्मार्जनोफलं
- सहस्रानीक चरित, श्री विष्णुपूजा विधि
- लक्षहोम विधि
- हरि प्रदुर्भाव अनुक्रम
- मत्स्य प्रादुर्भाव
- कूर्म प्रादुर्भाव
- वाराह प्रादुर्भाव
- विष्णोर्नामस्तोत्रम्
- नरसिंह प्रादुर्भाव
- नरसिंह प्रादुर्भाव
- नरसिंह प्रादुर्भाव
- नरसिंह प्रादुर्भाव
- वामन प्रादुर्भाव
- परशुराम प्रादुर्भाव
- राम प्रादुर्भाव
- राम प्रादुर्भाव
- राम प्रादुर्भाव
- राम प्रादुर्भाव
- राम प्रादुर्भाव
- राम प्रादुर्भाव
- कृष्ण प्रादुर्भाव
- कलिलक्षण कीर्तन
- शुक्र वर प्रदान
- प्रतिष्ठा विधि
- ब्राह्मण धर्म कथन
- गृहस्थधर्म
- वानप्रस्थधर्म
- यतिधर्म
- योग अध्याय
- विष्णोरर्चाविधि
- सहस्रानीक चरित, आष्टाक्षर मंत्र कथन
- पुण्डरीक नारद संवाद
- धर्म अर्थ मोक्ष दायिनी विष्णुवल्लभे
- तीर्थ प्रतिष्ठा
- मानस तीर्थ व्रत
- नरसिंह पुराण महात्म्य
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Hazra, R.C. (1958). Studies in the Upapuranas, Vol. I (Calcutta Sanskrit College Research Series No.II), Calcutta: Sanskrit College, pp.242-3
- ↑ Hazra, R.C. (1962). The Upapuranas in S. Radhakrishnan ed. The Cultural Heritage of India, Calcutta: The Ramakrishna Mission Institute of Culture, Vol.II, ISBN 81-85843-03-1, p.278
- ↑ नरसिंह पुराण PDF Archived 2015-07-24 at the वेबैक मशीन, संस्कृत