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तुलुव राजवंश

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विजयनगर साम्राज्य
संगम राजवंश
हरिहर राय प्रथम 1336-1356
बुक्क राय प्रथम 1356-1377
हरिहर राय द्वितीय 1377-1404
विरुपाक्ष राय 1404-1405
बुक्क राय द्वितीय 1405-1406
देव राय प्रथम 1406-1422
रामचन्द्र राय 1422
वीर विजय बुक्क राय 1422-1424
देव राय द्वितीय 1424-1446
मल्लिकार्जुन राय 1446-1465
विरुपाक्ष राय द्वितीय 1465-1485
प्रौढ़ राय 1485
शाल्व राजवंश
शाल्व नृसिंह देव राय 1485-1491
थिम्म भूपाल 1491
नृसिंह राय द्वितीय 1491-1505
तुलुव राजवंश
तुलुव नरस नायक 1491-1503
वीरनृसिंह राय 1503-1509
कृष्ण देव राय 1509-1529
अच्युत देव राय 1529-1542
सदाशिव राय 1542-1570
अराविदु राजवंश
आलिया राम राय 1542-1565
तिरुमल देव राय 1565-1572
श्रीरंग प्रथम 1572-1586
वेंकट द्वितीय 1586-1614
श्रीरंग द्वितीय 1614-1614
रामदेव अरविदु 1617-1632
वेंकट तृतीय 1632-1642
श्रीरंग तृतीय 1642-1646

तुलुव विजयनगर साम्राज्य का तीसरा राजवंश था।[1]

तुलुव राजवंश एक भारतीय राजवंश था तथा यह भारत का तीसरा राजवंश था इनके सम्राटों ने विजयनगर साम्राज्य पर राज किया था। तुलुव राजवंश की स्थापना मूल रूप से तटीय कर्नाटक के दक्षिणी भागों पर शासन करने वाले मुखिया बंटों द्वारा की गयी थी। इनको तुलु नाडू के नाम से भी बुलाया जाता है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि वे तुलु नाडू के तुलु भाषी क्षेत्र के थे और इनकी मातृभाषा प्राचीन तुलु भाषा थी क्योंकि वंश का नाम "'तुलुव'" प्राप्त हुआ है। [1]नरसा नायक जो कृष्णदेवराय के पिता थे और साथ ही आंध्रप्रदेश के चंद्रगिरि के राज्यपाल भी थे। राजा कृष्णदेवराय ने अपनी एक लोकप्रिय पुस्तक अमुक्तमल्यदा में लिखा है कि यह एक तेलुगुदेश है और यहां शक्ति सुलुव राजवंश के बाद आई है। तुलुव राजवंश दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली राजवंश

नागराज एक पौराणिक कथाओं के अनुसार सांप थे। इतिहास के अनुसार तुलुव राजवंश का सबसे शक्तिसाली और लोकप्रिय राजा कृष्णदेवराय थे जिन्होंने इस वंश का बहुत विकास किया [2][3] था। [4] कुछ लोगों का मानना है कि यह काल अर्थात राजवंश तेलुगु साहित्य का सुनहरा काल माना जाता है। इन पर कई तेलुगु संस्कृत ,कन्नड़ तथा तमिल कवियों ने रचनाएं की हैं।

पांच तुलुव सम्राट और उनका राज्य काल।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Sen, Sailendra (2013). A Textbook of Medieval Indian History. Primus Books. pp. 103–112. ISBN 978-9-38060-734-4.
  2. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 27 सितंबर 2015. Retrieved 13 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  3. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 30 जनवरी 2013. Retrieved 13 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  4. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 27 सितंबर 2015. Retrieved 13 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)