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श्रेणी:भारत के राजवंश

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JAAT VANSH


गोकुल सिंह ( 1670 ) गोकुल सिंह जाट तिलपत गाँव का सरदार था। गोकुला के बलिदान ने मुगल शासन के खातमें की शुरुआत की औरंगजेब के खिलाफ यह पहला हिन्दु विद्रोह था। 1 जनवरी 1670 को आगरा के किले पर जनता को आतंकित करने के लिये टुकडे़-टुकड़े कर मारा गया। 10 मई 1666 को जाटों व औरंगजेब की सेना में तिलपत में लड़ाई हुई। लड़ाई में जाटों की विजय हुई। राजाराम (भरतपुर), 1670 - 1688 राजाराम जाट भरतपुर राज्य के राजा थे। गोकुल जाट के बाद राजाराम जाट ने जाट विद्रोह का नेतृत्व किया। वे भज्जासिंह के पुत्र थे और सिनसिनवार जाटों के सरदार थे राजाराम ने मार्च, 1688 ई. को सिकंदरा( आगरा) में स्थित 'अकबर की कब्र' को खोदकर अकबर की हड्डियों को जला दिया 1685 ई. में राजाराम के नेतृत्व में दूसरा जाट विद्रोह हुआ था। सन् 1688, मार्च में राजाराम ने सिकंदरा में मुघलों पर आक्रमण किया और 400 मुगल सैनिकों को काट दिया। कहते हैं "ढाई मसती बसती करी,खोद कब्र करी खड्ड,अकबर अरु जहांगीर के गाढ़े कढ़ी हड्ड" 4 जुलाई 1688 को मुघलों से युद्ध करते समय धोखे से उन पर मुघल सैनिक ने पीछे से वार किया और वो शहीद हो गए। चूड़ामन, 1695 - 1721 चूड़ामन जाट को ही ‘जाट साम्राज्य का संस्थापक' माना जाता है चूडामन जाट ने थून में किला बनाकर अपना राज्य स्थापित किया। राजस्थान, भारत में भरतपुर के जाट राज्य के प्रमुख थे। वह भज्जा सिंह के पुत्र और राजा राम जाट के छोटे भाई थे। चूड़ामन 1688 ई. में जाटों का नेता बना फर्रूखसियर दिल्ली के तख्त पर बैठा तो उसने चूड़ामन को राव बहादुर खान की उपाधि दी । चूड़ामन की माँ, अमृतकौर चिकसाना के चौधरी चन्द्रसिंह की पुत्री थी। बदन सिंह, 1722 - 1756 सवाई जयसिंह ने थून के किले को जीतकर 23 नवंबर, 1722 ई को बदनसिंह के सिर पर सरदारी पाग ( पगड़ी ) बाँधकर राजाओं के समान तिलक लगाकर उसको चूड़ामन का उत्तराधिकारी नामजद किया बदनसिंह जाट ने डीग, कुम्हेर, बैर व भरतपुर में नये दुर्ग बनवाये वह चूड़ामन के भतीजे थे 22 सितंबर 1721 को राव चूड़ामन सिंह की मृत्यु के बाद, चूड़ामन के भतीजे बदन सिंह और उनके बेटे मुहकम सिंह के बीच परिवार विवाद थे बदनसिंह जाट ने भरतपुर को अपनी राजधानी बनाया। बदनसिंह को ही 'जाट राजवंश का वास्तविक संस्थापक' माना जाता है बदन सिंह जाट ने आगरा व मथुरा पर अधिकार करके भरतपुर के नये राजघराने की नींव डाली। Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan महाराजा सूरजमल, 1756 - 1767 राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट शासक थे। 1756 ई. में सूरजमल वास्तविक रूप से भरतपुर का शासक बना सूरजमल यहां सन 1753 में आकर रहने लगे। अपनी बुद्धिमता व राजनीतिक कुशलता के कारण महाराजा सूरजमल जाट को जाट जाति का प्लेटो कहा जाता है। सूरजमल की दी गई सहायता के बदले नवाब ने भरतपुर में जाटों की एक खुदमुख्तार हुकूमत की पहली बार औपचारिक रूप से जाट राज्य की मान्यता दी । महाराजा सूरजमल जाट की पत्नी किशोरी देवी अपनी बुद्धिमता के लिए प्रसिद्ध थी। महाराजा सूरजमल जाट ने 12 जून 1761 को आगरा के किले पर अधिकार किया। वस्तुतः बदनसिंह के समय भी शासन की असली बागडोर सूरजमल के हाथ में रही। उन्होने जयपुर के महाराजा जयसिंह से भी दोस्ती बना ली थी। सूरजमल के तबेले में 12,000 घोड़े उतने ही चुनीदा सवारों सहित थे 1763 ई. में नजीब खाँ रोहिला के साथ युद्ध करते हुए महाराजा सूरजमल जाट की मृत्यु हो गई। महाराजा जवाहर सिंह, 1767 - 1768 महाराजा जवाहर सिंह का शासन काल सन् 1763 से सन 1768 तक रहा था। महाराजा सूरजमल के बाद उसका पुत्र जवाहर सिंह भरतपुर का शासक बना था। महाराजा जवाहर सिंह महाराजा सूरजमल के प्रतापी ज्येष्ठ पुत्र थे जवाहर सिंह ने दिल्ली पर आक्रमण किया तथा विजय के उपलक्ष में जवाहर सिंह जाट ने दिल्ली के लाल किले के दरवाजे को भरतपुर के किले में लगवाया था। बाबा−दादा के सद्श्य ही वीर और साहसी राजा थे महाराजा रतन सिंह, 1768 - 1769 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा रतन सिंह का शासन काल 1768 -1769 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए | महाराजा केहरी सिंह, 1769 - 1771 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा केहरी सिंह का शासन काल 1769 - 1771 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए | Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan महाराजा नवल सिंह, 1771 - 1776 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा नवल सिंह का शासन काल 1771 - 1776 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए | महाराजा रणजीत सिंह, 1776 - 1805 1777 ई. में रणजीत भरतपुर का शासक बना। 29 सितम्बर 1803 ई. में अंग्रेजी सरकार के प्रतिनिधि लाॅर्ड लेक डाउन वेल ने रणजीत सिंह के साथ संधि की। रणजीत सिंह की राजस्थान के पहले शासक व भरतपुर राजस्थान की पहली रियास जिसने ब्रिटिश हुकूमत को धूल चटाई । 1803 ई. में जसवंत राय होल्कर ने भरतपुर दुर्ग में आकर शरण ली । महाराजा रणधीर सिंह, 1805 - 1823 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा रणधीर सिंह का शासन काल 1805 - 1823 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए महाराजा बलदेव सिंह, 1823 - 1825 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा बलदेव सिंह का शासन काल 1823 - 1825 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए महाराजा बलवन्त सिंह, 1825 - 1853 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा बलवन्त सिंह का शासन काल 1825 - 1853 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए महाराजा जशवन्त सिंह - 1853 - 1893 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा जशवन्त सिंह का शासन काल 1853 - 1893 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए महाराजा राम सिंह - 1893 - 1900 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजाराम सिंह का शासन काल 1893 - 1900 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए महारानी गिरिराज कौर - 1900-1918 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा गिरिराज कौर का शासन काल 1900 - 1918 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan Bharatpur ka Jat Vansh in Rajasthan महाराजा किशन सिंह - 1918 - 1929 भरतपुर राज्य के महाराजा थे|महाराजा किशन सिंह का शासन काल 1918 - 1929 तक रहा था| यह एक भरतपुर राज्य के विकास में सहायता करने वाले प्रमुख राजा थे इन्होने अनेक विकास कार्य करवाए महाराजा ब्रजेन्द्र सिंह - 1929-1947 महाराजा ब्रजेन्द्र सिंह का शासन काल 1929-1947 तक रहा था| आजादी के समय भरतपुर का शासक बृजेन्द्र सिंह जाट था। महाराजा भरतपुर जाट सम्राट भरतपुर के जाट राजघराने से महाराजा है पूरे राजस्थान में भरतपुर एकमात्र ही जाटों का राजघराना है महाराजा विश्वेन्द्र सिंह भरतपुर राज्य के महाराजा थे

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लेखक: Sincere Taak मेरा नाम पंकज टाक है और मैं इस ब्लॉग का संस्थापक हूँ, मैं राजस्थान का निवासी हूँ। हमने अपने देश और देश के लोगों की मदद करने के लिए इस वेबसाइट को बनाया है। यहां यह वर्णन करना मुश्किल है कि मैं दूसरों की मदद करने के काम में कितना खुश हूं। मेरा यह जुनून दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहा और बाद में मैंने इसके लिए इंटरनेट चुना।

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