विम कडफिसेस
विम कडफिसेस | |
---|---|
कुषाण सम्राट | |
शासनावधि | 90–100 सी.ई. |
पूर्ववर्ती | विम ताक्तू |
उत्तरवर्ती | कनिष्क |
विम कडफिसेस (बाख़्त्री में Οοημο Καδφισης) लगभग 90-100 सी.ई. में कुषाण वंश का शासक था। रबातक शिलालेख के अनुसार वह विम ताकतू का पुत्र तथा कनिष्क का पिता था। उसे कडफिसेस द्वितीय भी कहा जाता है।
शासन
[संपादित करें]सम्राट विम कडफिसेस ने कुषाण साम्राज्य का विस्तार अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान तथा पश्चिमोत्तर भारत में किया। वह स्वर्ण मुद्रा का प्रचलन करवाने वाला प्रथम कुषाण शासक था। इसके अतिरिक्त उसने पहले से प्रचलित ताँबे तथा चाँदी की मुद्राओं को भी जारी रखा।
ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश सोना रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के माध्यम से प्राप्त किया गया था। लगभग आठ ग्राम का स्वर्ण भार मानक पहली शताब्दी के रोमन सिक्कों के अनुरूप है। रोम से प्राप्त सोने को पिघला कर टकसालों में सिक्के ढालने में उपयोग किया जाता था।
व्यापारिक सम्बन्ध
[संपादित करें]सोने के उपयोग से विम कडफिसेस के समय में कुषाण साम्राज्य की समृद्धि की पुष्टि होती है, चीन का हान राजवंश (जहां विम को 阎 膏 珍 के रूप में जाना जाता था), मध्य एशिया और अलेक्जेंड्रिया और पश्चिम में एंटीऑक के बीच व्यापार का केंद्र रहा। कुषाण चीन, भारत और पश्चिम के बीच जाने के लिए रेशम मार्ग (सिल्क रोड) को बनाए रखने और संरक्षित करने में सक्षम थे जिससे होकर रेशम, मसालों, कपड़ा या दवा का व्यापार होता था ।
जहाजों द्वारा रोमन साम्राज्य को सोने के सिक्कों के बदले सामान भेजा जाता था तथा यूनानी शराब और दासों का आयात होता था। कलात्मक वस्तुओं का भी सभी दिशाओं से आयात होता था जैसा कि अफ़ग़ानिस्तान के बगराम, जो कि कुषाणों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी, में पाई गई कलाकृतियों की विविधता और गुणवत्ता से संकेत मिलता है।
रोमन इतिहास के अनुसार ट्राजन (98-117 सी.ई.) के दरबार में भारतीय राजाओं द्वारा राजदूतों के हाथों उपहार और यूनानी भाषा में पत्र भेजे गये थे, जिन्हें विम कडफिसेस अथवा उसके पुत्र कनिष्क द्वारा भेजा गया था। विम के अधिकांश सिक्कों के पृष्ठ भाग में बौद्ध धर्म के प्रमुख अंग त्रिरत्न अथवा हिंदू धर्म के देवता शिव को उनके वाहन नंदी(बैल) के साथ चित्रित किया गया है। कुछ सिक्कों में शिव को एक त्रिशूल के साथ चित्रित किया गया है।
वंशावली
[संपादित करें]अन्य कुषाण शासकों के साथ विम कडफिसेस का संबंध रबातक शिलालेख में वर्णित है, जिसे कनिष्क ने स्वयम् लिखा था। कनिष्क ने उन राजाओं की सूची बनाई है जिन्होंने उसके समय तक शासन किया: उसके प्रपितामह कुजुल कडफिसेस, उसके पितामह विम ताक्तू, तथा उसके पिता विम कडफिसेस तथा कनिष्क स्वयम्।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ धानी, अहमद हसन (१९९९). History of Civilizations of Central Asia: The development of sedentary and nomadic civilizations: 700 B.C. to A.D. 250 [मध्य एशिया की सभ्यता का इतिहास: आवासित तथा घूमन्तू सभ्यताएं ७०० ईसा पूर्व से २५०ईसवी] (अंग्रेज़ी में). भारत: मोतीलाल बनारसीदास. पृ॰ २४८ से ४२७.
|pages=
और|page=
के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)