सामग्री पर जाएँ

कार्कोट साम्राज्य

Checked
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
कार्कोट साम्राज्य की भूसीमा

कर्कोट या कर्कोटक कश्मीर का एक राजवंश था, जिसने गोनंद वंश के पश्चात् कश्मीर पर अपना आधिपत्य जमाया। 'कर्कोट' पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध नाग का नाम है। उसी के नाम पर इस वंश का नाम पड़ा।

परिचय

गोनंद वंश का अंतिम नरेश बालादित्य पुत्रहीन था। उसने अपनी कन्या का विवाह दुर्लभवर्धन से किया जिसने कर्कोंट वंश की स्थापना लगभग ६२७ ई. में की। इसी के राजत्वकाल में प्रसिद्ध चीनी चात्री युवान्च्वांग भारत आया था। उसके ३० वर्ष राज्य करने के पश्चात् उसका पुत्र दुर्लभक गद्दी पर बैठा और उसने ५० वर्ष तक राज्य किया। फिर उसके ज्येष्ठ पुत्र चंद्रापीड़ ने राज्य का भार सँभाला। इसने चीनी नरेश के पास दूत भेजकर अरब आक्रमण के विरुद्ध सहायता माँगी थी। अरबों का नेता महम्मद बिन कासिम इस समय तक कश्मीर पहुँच चुका था। यद्यपि चीन से सहायता नहीं प्राप्त हो सकी तथापि चंद्रापीड़ ने कश्मीर को अरबों से आक्रांत होने से बचा लिया। चीनी परंपरा के अनुसार चंद्रापीड़ को चीनी सम्राट् ने राजा की उपाधि दी थी। संभवत: इसका तात्पर्य यही था कि उसने चंद्रापीड़ के राजत्व को मान्यता प्रदान की थी। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार चंद्रापीड़ की मृत्यु उसके अनुज तारापीड़ द्वारा प्रेषित कृत्या से हुई थी। चंद्रापीड़ ने साढ़े साठ वर्ष राज्य किया। तत्पश्चात् तारापीड़ ने चार वर्ष तक अत्यंत क्रूर एवं नृशंस शासन किया। उसके बाद ललितादित्य मुक्तापीड़ ने शासनसूत्र अपने हाथ में ले लिया।

७३३ ई. में ललितादित्य ने चीनी सम्राट् की पास सहायतार्थ दूत भेजा। सहायता न प्राप्त होने पर भी उसने पहाड़ी जतियों- कंबोज, तुर्क, दरद, खस तथा तिब्बतियों-को पराजित कर कश्मीर में एकच्छत्र साम्राज्य की स्थापना की। ललितादित्य ने कन्नौज के यशोवर्मन् को भी पराजित किया। गौड़ नरेश ने बिना लड़े ही उसका आधिपत्य स्वीकार कर लिया और उपायन में हाथी प्रदान किए। दक्षिण में विजयाभियान में ललितादित्य कावेरी तट तक पहुँचा था। पश्चिम में सप्त कोंकणों को पराजित किया था। प्राग्ज्योतिष, स्त्रीराज्य, तथा उत्तर कुरु की भी विजय की। इन विजयों के वर्णन में कहाँ तक ऐतिहासिक तथ्य है, यह कहने की आवश्यकता नहीं। इसमें असाधारण अतिरंजन है। ३६ वर्ष तक राज्य करने के बाद उसकी मृत्यु हुई। उसके बाद उसके दो पुत्र कुवलयापीड़ तथा वज्रापीड़ गद्दी पर बैठे।

वज्रापीड़ ने लगभग ७६२ ई. में शासन आरंभ किया। राज्य के अनेक मनुष्यों को उसने म्लेच्छों के हाथ बेच दिया और ऐसे कार्य प्रारंभ किए जिनसे म्लेच्छों को लाभ हो। ये म्लेच्छ संभवत: सिंध के अरब थे। हिशाम-इब्न-अम्र-अम्रतगलवी (सिंध का गवर्नर, ७६२-७७२ ई.) ने कश्मीर पर धावा मारा था और अनेक दास कैदियों को पकड़ लाया था। यह आक्रमण वज्रापीड़ के ही काल में हुआ होगा। वज्रापीड़ के तीन पुत्र पृथिव्यापीड़, संग्रामापीड़ और जयापीड़ थे। पृथिव्यापीड़ गद्दी पर बैठने के सात ही दिन के बाद मर गया। तब जयापीड़ विनयादित्य ने शासन सँभाला। अपने दादा मुक्तापीड़ की भाँति दिग्विजय के लिए वह प्राची चला। इधर उसके बहनोई जज्ज ने सिंहासन पर अधिकार कर लिया। यह हाल सुनकर सेना ने विनयादित्य का साथ छोड़ दिया। अकेला विनयादित्य पुँड्रवर्धन पहुँचा। दैवयोग से उसने एक सिंह मारकर वहाँ के राजा को प्रसन्न किया और उसकी कन्या से विवाह किया। आसपास के नरेशों को जीतकर अपने श्वसुर को उनका नेता बनाया। इसके बाद कान्यकुब्ज के नरेश (संभवत: इंद्रराज) को पराजित करते हुए वह वापस लौटा। जज्ज मारा गया। इस प्रकार तीन वर्ष के पश्चात् वह विजयी होकर सिंहासनारूढ़ हुआ। ३१ वर्ष शासन करने के बाद कुछ ब्राह्मणों के षड्यंत्र से वह मारा गया। इसके दरबार को अलंकृत करनेवाले कवियों में क्षीर, भट्ट उद्भट, दामोदर गुप्त इत्यादि थे। उसका राज्यकाल ल. ७७० ई. से ८०० ई. तक माना जाता है। इसके बाद ललितादित्य (जयापीड़ का पुत्र), संग्रामादित्य द्वितीय (पृथिव्यापीड़) ने शासन किया। इसकी मृत्यु के समय थिप्पट जयापीड़ (बृहस्पति) बालक था। मामाओं ने राज्य सँभाला और मिलकर बृहस्पति का वध कर दिया, किंतु वे स्वयं आपस में लड़ने लगे थे। इसी अवस्था में राजा को कठपुतली की भाँति बैठाकर उन्होंने ४० वर्ष तक राज्य किया। साम्राज्य का का शासन इस प्रकार ढीला पड़ गया। अंतिम नरेश उत्पलापीड़ को राज्यच्युत करके मंत्री ने अवंतिवर्मन् को गद्दी पर बैठाया और कर्कोट वंश का अंत हुआ।

इतिहास

इतिहासकार कार्कोट साम्राज्य की स्थापना पर एकमत नहीं हैं यद्यपि यह माना जाता है कि उनका शासन कश्मीर क्षेत्र में एलचोन हुण के बाद आरम्भ हुआ।[1][2]

शासकों की सूची

कश्मीर के कार्कोट साम्राज्या के शासकों की सूची
क्र॰सं॰ शासक शासनकाल (ईस्वी)
1 दुर्लभवर्धन 625–662
2 दुर्लभक अथवा प्रतापदित्य 662–712
3 चन्द्रपीड अथवा वर्णादित्य 712–720
4 तारपीड अथवा उदयादित्य 720–724
5 ललितादित्य मुक्तपीड 724–760
6 कुवलयपीड 760–761
7 वज्रादित्य अथवा बाप्यायिका अथवा ललितापीड 761–768
8 पृथिव्यपीड प्रथम 768–772
9 संग्रामपीड प्रथम 772–779
10 जयपीड 779–813
11 ललितपीड 813–825
12 संग्रामपीड द्वितीय 825–832
13 चिप्यात-जयपीड 832–885
उत्पल वंश के कठपुतली शासक के अधीन शासन रहा।
14 अजीतपीड ~
15 अनंगपीड ~
16 उत्पलपीड ~
17 सुखवर्मा ~

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. पल, प्रतापदित्य (1973). "Bronzes of Kashmir: Their Sources and Influences". जरनल ऑफ़ द रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स. 121 (5207): 727, 746. आईएसएसएन 0035-9114. जेस्टोर 41371150.
  2. किम, ह्यूँ जिन (19 नवम्बर 2015). "THE HUNS OF CENTRAL ASIA AND SOUTH ASIA: THE KIDARITE AND HEPHTHALITE WHITE HUNS". The Huns (अंग्रेज़ी भाषा में). रूटलेज. p. 58. डीओआई:10.4324/9781315661704. ISBN 978-1-317-34090-4. मूल से से 25 नवम्बर 2021 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 29 मार्च 2021.