लिसान उद-दावत
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लिसान उद-दावत इल-अलाविया | |
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लिसान अल-दावत | |
لسان الدعوۃ العلویۃ | |
अरबी लिपि में "लिसान उद-दावत इल-अलाविया" | |
बोलने का स्थान | पश्चिमी भारत, गुजरात |
मातृभाषी वक्ता | – |
भाषा परिवार |
हिन्द-यूरोपीय
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लिपि | अरबी लिपि |
भाषा कोड | |
आइएसओ 639-3 | – |
लिसान उद-दावत (لسان الدعوة, दावत की भाषा) गुजराती भाषा की एक उपभाषा है। यह भाषा मुख्यतः इस्माइली शिया बिरादरी के आलवी और तायबी बोहराओं द्वारा बोली जाती है। मानक गुजराती से भिन्न, लिसान उद-दावत में अरबी और फ़ारसी के शब्द ज़्यादा हैं और यह भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती है। यह मूलतः अनुष्ठान हेतु प्रयुक्त भाषा है, लेकिन 1330 में वडोदरा से सईदना जिवाभाई फ़ख़रुद्दीन ने स्थानीय भाषा के रूप में इसका प्रचार किया था।[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Ernst Kausen, 2006. Die Klassifikation der indogermanischen Sprachen Archived 2009-09-28 at the वेबैक मशीन (Microsoft Word, 133 KB)
- ↑ Blank, Jonah (2001). Mullahs on the Mainframe: Islam and Modernity Among the Daudi Bohras. University of Chicago Press. पृ॰ 143.