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ज्योतिष, ज्योतिषी की भविष्यवाणी, भाग्य-दुर्भाग्य, मुकद्दर क्या होते हैं?..
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Amrutam अमृतम पत्रिका, ग्वालियर

फलादेश के क्या फायदे हैं?..

अखबार में बताए राशिफल कितना सही होता है?..

भाग्य, भविष्यवाणी, भविष्यफल पर कितना भरोसा करना चाहिए?..

क्या भाग्य-दुर्भाग्य, लक, किस्मत, मुकद्दर ज्योतिष द्वारा से पता लग सकता है?...

ज्योतिष के क्या लाभ है?..

ज्योतिष कितना सही है?..

क्या ज्योतिष, ग्रह नक्षत्र के द्वारा भाग्य को जगाया जा सकता है?..

दुनिया में 700 करोड़ की जनसंख्या है और राशियां 12 हैं। इस प्रकार 60 करोड़ जातक एक राशि के होते हैं। ठाप खुद ही अंदाज लगाएं की इन तथाकथित भविष्यवाणी या भविष्यफल कितने सटीक होंगे।
एक सर्वाधिक समस्या यह है कि हर कोई सोचता है कि मेरे जीवन में किसी तरह का बड़ा चमत्कार होगा और सारी दिक्कतें मिट जाएंगी।

पहले के लोग कहते थे-इंसान को हाथी, घोड़ा, ऊंट, गाय, साढ़, बिल्ली, कुत्ता, चूहा, सब कुछ पालें लेकिन कभी मुगालता न पालें।

सपने देखकर उन पर काम करना शुरू करेंगे, तो वे रात को सोते समय नहीं आएंगे बल्कि ये सपने आपको सोने नहीं देंगे।
अपना आंकलन सदैव अपनी योग्यताओं के अनुसार करें। अगर आप कट्टर मेहनती ओर अनुभवी हैं, तो राधियों के फलादेश सुनने से क्या भला होगा। यह बहुत विशाल मूर्खता है और हर व्यक्ति इसी वेवकूफी में जी रहा है।
आपके कर्म और धर्म आगे बढाएंगे।

एक ज्योतिषी ने एक जातक से कहा- तेरा नाम विष्णु है, तेरी बीबी का नाम मोहिनी है, तेरे एक लड़का है, तू फलानी जगह रहता है। विष्णु नतमस्तक होकर बोला… पंडितजी आप तो अन्तर्यामी हैं-

पंडितजी बोले- अबे गधे, आगे से कुंडली लेकर आना। राशनकार्ड नहीं।
वैसे भी आदमी के खुश होने की वजह अमेरिका के वैज्ञानिकों ने खोजी कि पुरुष तभी प्रसन्न रहता है, जब बीबी नई हो या नहीं हो….फिर फलादेश क्या करेगा।
अनुभव की बात ये है कि यदि दूध को उबलता छोड़ोगे, तो बहु पछताओगे।
ज्योतिष, फलादेश आदि के झंझट से मुक्त होकर खुद को मजबूत बनाएं।

आपका आत्मविश्वास ही एक दिन एहसास करा देगा कि खुद के मरने से स्वर्ग मिलेगा।
हर श्वांस में विश्वनाथ का स्मरण हो। महादेव पर करेंगे विश्वास, तो विश्व में निवास हो जाएगा अन्यथा कम उम्र में ही सांस फूलने लगेगी। इस मन्त्र का जप शुरू करें—

!!ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय!!

ये महामंत्र, जो फलादेश देगा। ठाप कल्पना भी नहीं कर सकते।

किसी भी अंधविश्वास को ज्यादा मानोगे, तो चाय के बिस्कुट जैसा गलकर टूट जाओगे।
मीडिया ज्योतिष के नाम पर धंधामग्न है, उसे आपके दुःख-दर्द से दूर तक लेना-देना नहीं है। जितने भी ज्योतिषाचार्य हैं उन्होंने धर्म के नाम पर भ्र्ष्टाचार मचा रखा है।
वर्तमान में चिकित्सक, ज्योतिषी, राढ़, सांढ़ और सन्यासी से बचोगे उतने ही खुश रह सकते हो।

हर आदमी के पीछे मुसीबत ऐसे पीछे पड़ी हैं। जैसे मैं उसका पहला प्यार हूँ।

सबसे अच्छा फलादेश देखने का सरल तरीका…समझदार आदमी पहचान ये है कि वे कभी फ़लादेश या राशिफल नहीं पढ़ते...!
अनुभवी जातक रसोई में चाय के लिए अदरक कूटने की आवाज से ही अंदाजा लगा लेते हैं कि आज उनका दिन कैसा रहेगा...!

[[जातक]] के जन्म के बाद जो ग्रह स्थिति आसमान में होती है, उस स्थिति को कागज पर या किसी अन्य प्रकार से अंकित किये जाने वाले साधन से भविष्य में प्रयोग गणना के प्रति प्रयोग किये जाने हेतु जो आंकडे सुरक्षित रखे जाते हैं, वह '''कुन्डली''' या '''जन्म पत्री''' कहलाती है।
[[जातक]] के जन्म के बाद जो ग्रह स्थिति आसमान में होती है, उस स्थिति को कागज पर या किसी अन्य प्रकार से अंकित किये जाने वाले साधन से भविष्य में प्रयोग गणना के प्रति प्रयोग किये जाने हेतु जो आंकडे सुरक्षित रखे जाते हैं, वह '''कुन्डली''' या '''जन्म पत्री''' कहलाती है।



05:03, 26 मार्च 2022 का अवतरण

Amrutam अमृतम पत्रिका, ग्वालियर

फलादेश के क्या फायदे हैं?..

अखबार में बताए राशिफल कितना सही होता है?..

भाग्य, भविष्यवाणी, भविष्यफल पर कितना भरोसा करना चाहिए?..

क्या भाग्य-दुर्भाग्य, लक, किस्मत, मुकद्दर ज्योतिष द्वारा से पता लग सकता है?...

ज्योतिष के क्या लाभ है?..

ज्योतिष कितना सही है?..

क्या ज्योतिष, ग्रह नक्षत्र के द्वारा भाग्य को जगाया जा सकता है?..

दुनिया में 700 करोड़ की जनसंख्या है और राशियां 12 हैं। इस प्रकार 60 करोड़ जातक एक राशि के होते हैं। ठाप खुद ही अंदाज लगाएं की इन तथाकथित भविष्यवाणी या भविष्यफल कितने सटीक होंगे। एक सर्वाधिक समस्या यह है कि हर कोई सोचता है कि मेरे जीवन में किसी तरह का बड़ा चमत्कार होगा और सारी दिक्कतें मिट जाएंगी।

पहले के लोग कहते थे-इंसान को हाथी, घोड़ा, ऊंट, गाय, साढ़, बिल्ली, कुत्ता, चूहा, सब कुछ पालें लेकिन कभी मुगालता न पालें।

सपने देखकर उन पर काम करना शुरू करेंगे, तो वे रात को सोते समय नहीं आएंगे बल्कि ये सपने आपको सोने नहीं देंगे। अपना आंकलन सदैव अपनी योग्यताओं के अनुसार करें। अगर आप कट्टर मेहनती ओर अनुभवी हैं, तो राधियों के फलादेश सुनने से क्या भला होगा। यह बहुत विशाल मूर्खता है और हर व्यक्ति इसी वेवकूफी में जी रहा है। आपके कर्म और धर्म आगे बढाएंगे।

एक ज्योतिषी ने एक जातक से कहा- तेरा नाम विष्णु है, तेरी बीबी का नाम मोहिनी है, तेरे एक लड़का है, तू फलानी जगह रहता है। विष्णु नतमस्तक होकर बोला… पंडितजी आप तो अन्तर्यामी हैं-

पंडितजी बोले- अबे गधे, आगे से कुंडली लेकर आना। राशनकार्ड नहीं। वैसे भी आदमी के खुश होने की वजह अमेरिका के वैज्ञानिकों ने खोजी कि पुरुष तभी प्रसन्न रहता है, जब बीबी नई हो या नहीं हो….फिर फलादेश क्या करेगा। अनुभव की बात ये है कि यदि दूध को उबलता छोड़ोगे, तो बहु पछताओगे। ज्योतिष, फलादेश आदि के झंझट से मुक्त होकर खुद को मजबूत बनाएं।

आपका आत्मविश्वास ही एक दिन एहसास करा देगा कि खुद के मरने से स्वर्ग मिलेगा। हर श्वांस में विश्वनाथ का स्मरण हो। महादेव पर करेंगे विश्वास, तो विश्व में निवास हो जाएगा अन्यथा कम उम्र में ही सांस फूलने लगेगी। इस मन्त्र का जप शुरू करें—

!!ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय!!

ये महामंत्र, जो फलादेश देगा। ठाप कल्पना भी नहीं कर सकते।

किसी भी अंधविश्वास को ज्यादा मानोगे, तो चाय के बिस्कुट जैसा गलकर टूट जाओगे। मीडिया ज्योतिष के नाम पर धंधामग्न है, उसे आपके दुःख-दर्द से दूर तक लेना-देना नहीं है। जितने भी ज्योतिषाचार्य हैं उन्होंने धर्म के नाम पर भ्र्ष्टाचार मचा रखा है। वर्तमान में चिकित्सक, ज्योतिषी, राढ़, सांढ़ और सन्यासी से बचोगे उतने ही खुश रह सकते हो।

हर आदमी के पीछे मुसीबत ऐसे पीछे पड़ी हैं। जैसे मैं उसका पहला प्यार हूँ।

सबसे अच्छा फलादेश देखने का सरल तरीका…समझदार आदमी पहचान ये है कि वे कभी फ़लादेश या राशिफल नहीं पढ़ते...! अनुभवी जातक रसोई में चाय के लिए अदरक कूटने की आवाज से ही अंदाजा लगा लेते हैं कि आज उनका दिन कैसा रहेगा...!

जातक के जन्म के बाद जो ग्रह स्थिति आसमान में होती है, उस स्थिति को कागज पर या किसी अन्य प्रकार से अंकित किये जाने वाले साधन से भविष्य में प्रयोग गणना के प्रति प्रयोग किये जाने हेतु जो आंकडे सुरक्षित रखे जाते हैं, वह कुन्डली या जन्म पत्री कहलाती है।

कुन्डली में सम्पूर्ण भचक्र को बारह भागों में विभाजित किया जाता है और जिस प्रकार से एक वृत के ३६० अंश होते हैं, उसी प्रकार से कुन्डली में भी ३६० अंशों को १२ भागों में विभाजित करने पर हर भाग के ३० अंश बनाकर एक राशि का नाम दिया जाता है। इस प्रकार ३६० अंशों को बारह राशियों में विभाजित किया जाता है, बारह राशियों को अलग भाषाओं में अलग अलग नाम दिये गये हैं, भारतीय संस्कृत और वेदों के अनुसार नाम इस प्रकार से है-मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन इन राशियों को भावों या भवनो का नाम भी भी दिया गया है जैसे पहले भाव को नम्बर से लिखने पर १ नम्बर मेष राशि के लिये प्रयोग किया गया है। शरीर को ही ब्रह्माण्ड मान कर प्रत्येक भावानुसार शरीर की व्याख्या की गई है, संसार के प्रत्येक जीव, वस्तु, के भी अलग अलग भावों व्याख्या करने का साधन बताया जाता है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  1. जन्मकुंडली बनाए