"वशिष्ठ": अवतरणों में अंतर
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आकाश में चमकते सात तारों के समूह में पंक्ति के एक स्थान पर वशिष्ठ को स्थित माना जाता है। |
आकाश में चमकते सात तारों के समूह में पंक्ति के एक स्थान पर वशिष्ठ को स्थित माना जाता है। |
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[[चित्र:Dipper.jpg|thumb|right|500px| दूसरे (दाहिने से) वशिष्ठ और उनकी पत्नी अरुंधती को दिखाया गया है। अंग्रेज़ी में सप्तर्षि तारसमूह को ''बिग डिपर'' या ''ग्रेट बियर'' (बड़ा भालू) कहते हैं और वशिष्ठ-अरुंधती को ''अल्कोर-मिज़र'' कहते हैं।]] |
[[चित्र:Dipper.jpg|thumb|right|500px| दूसरे (दाहिने से) वशिष्ठ और उनकी पत्नी अरुंधती को दिखाया गया है। अंग्रेज़ी में सप्तर्षि तारसमूह को ''बिग डिपर'' या ''ग्रेट बियर'' (बड़ा भालू) कहते हैं और वशिष्ठ-अरुंधती को ''अल्कोर-मिज़र'' कहते हैं।]] |
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[{ राजपूतों की उत्पत्ति सातवीं सदी में जाट गुर्जर यादव इन सब के जो सबसे तगड़े युवा थे उनको हवन कराकर ब्राह्मणों के द्वारा राजपूत बनाया गया जो बाद में की जाती बनी सातवीं सदी में राजपूतों की उत्पत्ति माउंट आबू में हुई}] |
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[[श्रेणी:ऋषि मुनि]] |
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13:25, 21 फ़रवरी 2020 का अवतरण
वशिष्ठ वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। वशिष्ठ एक सप्तर्षि हैं - यानि के उन सात ऋषियों में से एक जिन्हें ईश्वर द्वारा सत्य का ज्ञान एक साथ हुआ था और जिन्होंने मिलकर वेदों का दर्शन किया (वेदों की रचना की ऐसा कहना अनुचित होगा क्योंकि वेद तो अनादि है)। उनकी पत्नी अरुन्धती है। वह योग-वासिष्ठ में राम के गुरु हैं। वशिष्ठ राजा दशरथ के राजकुल गुरु भी थे।
आकाश में चमकते सात तारों के समूह में पंक्ति के एक स्थान पर वशिष्ठ को स्थित माना जाता है।
[{ राजपूतों की उत्पत्ति सातवीं सदी में जाट गुर्जर यादव इन सब के जो सबसे तगड़े युवा थे उनको हवन कराकर ब्राह्मणों के द्वारा राजपूत बनाया गया जो बाद में की जाती बनी सातवीं सदी में राजपूतों की उत्पत्ति माउंट आबू में हुई}]
( अग्निगोत्र ऋषि वशिष्ठ भगवान राम के कुल गुरु थे जिनको रघुवंशी राजगुरु कहा जाता है....इतिहासकार बताते है की कालांतर मे ऋषि वशिष्ठ द्वारा माउंट आबू पर्वत पर यज्ञ किया जिससे अग्निकुंड मे 4 राजपूत वंशों एवं एक राजगुरु वंश की उत्पति की ... राजगुरु परमार राजपूत ,चौहान राजपूत, सोलकिं राजपूत, पड़िहार राजपूत इन राजपूतों के गुरु राजगुरु कहलाये जो मारवाड मे राजपुरोहित जाती के राजगुरु गोत्र के नाम से ख्याति पायी है . इस प्रकार.... मध्यकालिन युग मे परमारो की राजधानियां राजस्थान के जूना केराडु बाडमेर, अर्थुना बांसवाडा ,गुजरात और मध्यपरदेश आदि जगह अपना शासन् किया तथा अग्निवंशी राजपूतो के राजगुरु कहलाये जिनको मारवाड मे परमार राजपूतो द्वारा जागीरी देने से जागीरदार कहलाये .! राजगुरुओ की कुलदेवी मा कुबड है जो विद्या की देवी मा सरस्वती का अवतार है.... !अंजारी सिरोही राजगुरुओ की स्थाई राजधानी है! शहिद राजगुरु जो भगत सिंह के साथ थे वो इन्ही वंश से संबंध रखते है.... जय हिंद