महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म
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कुल जनसंख्या | |
---|---|
१२,४२५,९७२(१०%) | |
विशेष निवासक्षेत्र | |
महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों में | |
भाषाएँ | |
हिंदी | |
धर्म | |
नवयान बौद्ध धर्म ![]() |
महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म राज्य का तिसरा सबसे बड़ा धर्म है। महाराष्ट्र भारत का सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला राज्य है। बौद्ध धर्म महाराष्ट्र की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सातवाहन काल के दौरान महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ था। नाग लोगों ने धर्म प्रसार के लिए अपना जीवन दाव पर लगाया था। हजारों बुद्ध गुफाएँ मूर्तियां बनाई गई हैं। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और नाथों से वारकरी संप्रदाय तक बौद्ध धर्म फैलता गया। सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था।
2011 में भारतीय जनगणना के अनुसार, भारत में 84,42,972 बौद्ध थे और उनमें सें सबसे ज्यादा 65,31,200 यानी 77.36% बौद्ध महाराष्ट्र राज्य में थे।[1] जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में हिंदू धर्म और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जो महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का 6% है। भारत के कुल धर्मपरावर्तित बौद्धों (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) की संख्या 73 लाख हैं, उनमें से लगभग 90% महाराष्ट्र में हैं।[2][3] महाराष्ट्र में आबादी में 12% वाला पूरा समुदाय बौद्ध धर्मावलंबी हैं.[4] 1956 में, भीमराव आम्बेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। यह दीक्षा समारोह दीक्षाभूमि नागपूर में हुआ था। महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाडा एवं कोकण यहाँ के (अनुसूचित जाति) समाज ने इसमे बडे पैमाने पर भाग लिया। इसी वजह से भारत में प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में बौद्धों की संख्या अधिक हुई है।
इतिहास
[संपादित करें]महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार सातवहन काल के दौरान बडे पैमाने पर हुआ है, जिसमें नाग लोगों का योगदान महत्वपूर्ण है। जब प्राचीन वास्तु और प्राचीन लेखन की खोज की गई, तब पता चला की सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था। पर्सी ब्राउन इस विद्वान के अनुसार, भारत में मूर्तियों में से आधी से अधिक बौद्ध मूर्तियां पायी जाती हैं, इससे महाराष्ट्र में बौद्ध काल की लोकप्रियता दिखाई देती है। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और वारकरी सम्प्रदाय के माध्यम से बौद्ध धर्म फैलता गया। सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्म का पालन किया जाता था। उसके बाद मुसलमान एवं हिन्दु शासकों के बौद्ध प्रति नकारात्मक कृतिओं से बौद्ध धर्म के अनुयायि कम होने लगे, बौद्धों पर हमले एवं उनका विरोध होता रहा। आधुनिक भारत तक बौद्ध धर्म अनुयायि महाराष्ट्र में १% से कम रह गये।
बौद्ध दलित आंदोलन
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महाराष्ट्र में भीमराव आम्बेडकर प्रमुख बौद्ध नेता थे, जिन्होंने भारत में एवं महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म को पुनर्जिवीत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सन् 1950 के दशक में आम्बेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओं व विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका (तब सिलोन) गये।[5] 1954 में आम्बेडकर ने म्यानमार का दो बार दौरा किया; दूसरी बार वो रंगून मे तीसरे विश्व बौद्ध फैलोशिप के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गये।[6] 1955 में उन्होंने 'भारतीय बौद्ध महासभा' या 'बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया' की स्थापना की।[7] उन्होंने अपने अंतिम प्रसिद्ध ग्रंथ, 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्म' को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात सन 1957 में प्रकाशित हुआ।[7] 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर शहर में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। प्रथम डॉ॰ आम्बेडकर ने अपनी पत्नीमेंसविता आम्बेडकर एवं कुछ सहयोगियों के साथ म्यानमार के भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने अपने 5,00,000 अनुयायियो को त्रिरत्न, पंचशील और 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुए नवयान बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया।[8] आम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को भी वहाँ अपने 2 से 3 लाख अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, यह वे अनुयायि थे जो 14 अक्तुबर के समारोह में नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। आम्बेडकर ने नागपूर की "भूमि" में करीब 8 लाख लोगों बौद्ध धर्म की "दीक्षा" दी, इसलिए यह भूमि दीक्षाभूमि नाम से प्रसिद्ध हुई। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आम्बेडकर चंद्रपुर गये और वहां भी उन्होंने करीब 3,00,000 अपने अनुयायीयों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी।[8][9] आम्बेडकर ने महाराष्ट्र में तीन बडे धर्म परिवर्तन समारोह किये, और केवल तीन दिन में आम्बेडकर ने स्वयं 11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर विश्व के बौद्धों की संख्या 11 लाख बढा दी और भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्जिवीत किया। इसके बाद वे नेपाल में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए काठमांडू गये।[6] उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और कार्ल मार्क्स को 2 दिसंबर 1956 को पूरा किया।[10]
जनसंख्या
[संपादित करें]सन 2011 में, महाराष्ट्र में कुल बौद्धों (महार समेत) की संख्या 1 करोड़ से अधिक हैं, जो महाराष्ट्र की आबादी का 9 से 11% हिस्सा हैं।[4]
सन 1951 में, महाराष्ट्र में केवल 2,489 बौद्ध (0.01%) थे, डॉ॰ आम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को किये हुए सामूहिक धर्म परिवर्तन के बाद सन 1961 में यह बौद्धों संख्या 1,15,991% से बढकर 27,89,501 (7%) हो गई थी।
वर्ष | बौद्ध जनसंख्या (लाख में) | राज्य में प्रमाण (%) | बढोतरी (वृद्धी) (%) |
---|---|---|---|
१९५१ | ०.०२५ | ०.०१ | — |
१९६१ | २७.९० | ७.०५ | ११५९९०.८ |
१९७१ | ३२.६४ | ६.४८ | १६.९९ |
१९८१ | ३९.४६ | ६.२९ | २०.८९ |
१९९१ | ५०.४१ | ६.३९ | २७.७५ |
२००१ | ५८.३९ | ६.०३ | १५.८३ |
२०११ | ६५.३१ | ५.८१ | ११.८५ |

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में बौद्धों की संख्या 84,42,272 हैं, और इनमें से 65,31,200 (77.36%) बौद्ध अकेले महाराष्ट्र राज्य में हैं। महाराष्ट्र में बौद्ध धार्मिक समुदाय भारत का सबसे बड़ा धर्मपरिवर्तित बौद्ध (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) समुदाय है। विदर्भ के बुलढाना, अकोला, वाशिम, अमरावती, वर्धा, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, गडचिरोली, चंद्रपुर और यवतमाल जिलों में बौद्धों का उच्चतम अनुपात हैं। इन 11 जिलों में 65 लाख बौद्धों में से लगभग 30 लाख बौद्ध हैं। एवं इनमे से आठ जिलों में उनकी आबादी 12 से 15% है। अकोला में 18% बौद्धों का सबसे बड़ा अनुपात है। गोंडिया, गडचिरोली और यवतमाल जिलों में अनुसूचित जनजातियों (आदिवासी) की संख्या अधिक है और बौद्धों की संख्या 7 से 10% है। मराठवाड़ा के नांदेड़, हिंगोली, परभनी, जालना और औरंगाबाद जिलों में 12 लाख बौद्ध हैं। पहले के तीन जिलों में उनका हिस्सा 10% से अधिक है, जबकि हिंगोली की कुल आबादी 15% बौद्ध है। ठाणे, मुंबई उपनगर, मुंबई, रायगढ़, पुणे, सातारा और रत्नागिरी इन महाराष्ट्र पश्चिम के जिलों में 18 लाख से अधिक बौद्ध हैं। इनमे से रत्नागिरी और मुंबई उपनगरीय जिला के अलावा अन्य जिलों में बौद्ध जनसंख्या 5% से कम है। मुंबई उपनगर और रत्नागिरी की आबादी क्रमश: 5% और 7% बौद्ध हैं।[11]
अनुसूचित जाति
[संपादित करें]अनुसूचित जातियों (में बौद्ध धर्म तेजी से बढ़ रहा है। सन 2001 में, भारत में 41.59 लाख बौद्ध लोग अनुसूचित जाति से थे। 2011 में, यह आंकड़ा 38% बढ़कर 57.56 लाख हो गया। देश में कुल अनुसूचित जाति के बौद्धों में से 52,04,284 (90% से अधिक) अकेल महाराष्ट्र राज्य में हैं। यह महाराष्ट्र की कुल बौद्ध आबादी का 79.68% हिस्सा है।[12] जबकि महाराष्ट्र की अनुसूचित जाति की कुल 1,32,75,898 आबादी हैं और उनमें 39.20% बौद्ध है। महाराष्ट्र में बौद्ध धर्मावलंबि अनुसूचित जातियों की आबादी में 60% की वृद्धि हुई है।[13]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ http://www.dnaindia.com/india/report-census-2011-in-maharashtra-more-buddhists-jains-than-christians-2118493. Archived from the original on 8 जुलाई 2018.
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(help) - ↑ "दी क्वींट". Archived from the original on 29 जुलाई 2017.
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(help) - ↑ https://web.archive.org/web/20190324034829/http://www.indiaspendhindi.com/cover-story/%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A5%8C%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE. Archived from the original on 24 मार्च 2019.
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(help) - ↑ अ आ वागले, निखिल (8 जन॰ 2018). "आंबेडकर ने कोरेगांव को दलित स्वाभिमान का प्रतीक बनाया?". Archived from the original on 19 जुलाई 2018. Retrieved 9 जुलाई 2018 – via www.bbc.com.
- ↑ Sangharakshita (2006). "Milestone on the Road to conversion". Ambedkar and Buddhism (1st South Asian ed.). New Delhi: Motilal Banarsidass Publishers. p. 72. ISBN 8120830237. Archived from the original on 31 जुलाई 2017. Retrieved 17 July 2013.
- ↑ अ आ Ganguly, Debjani; Docker, John, eds. (2007). Rethinking Gandhi and Nonviolent Relationality: Global Perspectives. Routledge studies in the modern history of Asia. Vol. 46. London: Routledge. p. 257. ISBN 0415437407. OCLC 123912708.
- ↑ अ आ Quack, Johannes (2011). Disenchanting India: Organized Rationalism and Criticism of Religion in India. Oxford University Press. p. 88. ISBN 0199812608. OCLC 704120510.
- ↑ अ आ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;Columbia7
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Sinha, Arunav. "Monk who witnessed Ambedkar's conversion to Buddhism". Archived from the original on 17 अप्रैल 2015.
- ↑ Buddha or Karl Marx – Editorial Note in the source publication: Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3 Archived 19 मार्च 2012 at the वेबैक मशीन. Ambedkar.org. Retrieved on 12 August 2012.
- ↑ अ आ "Religion Data of Census 2011 XI BUDDHISTS". Archived from the original on 29 मई 2019. Retrieved 2 अप्रैल 2020.
- ↑ "बौद्ध बढ़े, चुनावी चर्चे में चढ़े". Archived from the original on 14 अप्रैल 2019.
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(help) - ↑ "Buddhism is the fastest growing religion among Scheduled Castes". Archived from the original on 8 जुलाई 2018.
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बाहरी कड़ियाँ
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