करबन नदी

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करबन नदी को 'कारों' भी कहते हैं। यह भी एक प्रकार से एक बरसाती नदी है, जो गर्मी में प्राय सूख जाती है, किन्तु वर्षा ॠतु में इसका आकार बहुत बड़ जाता है। यह बुलंदशहर की खुरजा तहसील से आकर हाथरस जिला सहित अलीगढ़ की खैर और इगलास तहसीलों में बहती है फिर हाथरस जिला की ही सादाबाद तहसील से होकर आगरा जिला की एत्मादपुर तहसीलों में प्रवाहित होती है। उसके बाद यह नदी आगरा नगर से कुछ आगे यमुना में मिल जाती है इससे ब्रज की कई तहसीलों की कृषि भूमि सिंचित होती है। इसके तटवर्ती ग्रामों और कस्बों में चंडौस, खैर और इगलास उल्लेखनीय है।

मैं भी एक नदी हूं - मुझे बचा लो

अलीगढ़ की दहलीज से निकलकर

खेत खलियानो को सींचती

कई शहरों से गुजरकर अविरल बहती, आगे बढ़ती

बस अपना भविष्य तलाशती

मिल जाने, मिट जाने को आतुर

मैं भी एक नदी थी - मुझे बचा लो

बढ़ रही आबादी

विकसित होती विकास की आंधी

खत्म होती निरंतर धारा

देख उसे कहने को विवश

शायद वह एक नदी थी

फिर वह बिलखती , चीखती  और कहती

मैं भी एक नदी हूं मुझे बचा लो

लुप्त होती पेड़ पौधे

विलुप्त होती प्रजातियां

गौरैया पंछी सब गुम हो गए

सुख गई नदियां

मैं भी एक नदी हूं - मुझे बचा लो

               - राहुल मित्तल

संदर्भ[संपादित करें]