"गोमती नदी (उत्तर प्रदेश)": अवतरणों में अंतर

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== प्रदूषण ==
== प्रदूषण ==
आईटीआरसी के शोधपत्र के मुताबिक चीनी मिलों और शराब के कारखानों के कचरे के कारण यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। गोमती में जो कुछ पहुंचता है वह पानी नहीं बल्कि औद्योगिक कचरा होता है। सरकार भी मानती है कि गोमती में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है।<ref>{{cite news | url = http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Aiming-for-a-scrubbed-clean-look/articleshow/7376022.cms | title = Aiming for a scrubbed clean look | date = 2010-01-28| accessdate= 2010-01-28 | work=द टाइम्स औफ़ इण्डिया}}</ref><ref>{{cite web|url = http://www.downtoearth.org.in/node/13371| title = गोमती नदी मृत्यु के कग़ार पर| date = 2003-08-31|accessdate = 2012-04-11|work=सैंटर फ़ौर साइंस ऍण्ड ऍन्वायरैन्मैण्ट}}</ref>
आईटीआरसी के शोधपत्र के मुताबिक चीनी मिलों और शराब के कारखानों के कचरे के कारण यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। गोमती में जो कुछ पहुंचता है वह पानी नहीं बल्कि औद्योगिक कचरा होता है। सरकार भी मानती है कि गोमती में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है।
इतना ही नहीं यूपी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी ने तो इस नदी में प्रदूषण को लेकर सबसे कठोर टिप्पणी की थी। कमेटी ने इस नदी के प्रदूषण के लिए यूपी के मुख्य सचिव से लेकर सभी बड़े अफसरों को इसके लिए कसूरवार बताया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गोमती की हालत ऐसी हो गई है कि इसमें डुबकी लगाने से लेकर इसके किनारों पर टहलने तक से परहेज करने की जरूरत है। इस कमेटी ने नदी के आस पास की जगह को बेहद प्रदूषित करार देते हुए नदी के 150 मीटर के दायरे में किसी तरह के निर्माण कार्य नहीं होने देने की ताकीद की थी। इस सिलसिले में नदी के किनारे बसे 11 जिलों के डीएम को इस कमेटी ने नोटिस जारी कर कहा था वे जितनी जल्द हो सके इसे प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी इंतजाम करें। इसके साथ ही अनुपालन गारंटी के रूप में प्रदेश सरकार से 100 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए एनजीटी से सिफारिश की गई। <ref>{{cite news | url = http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Aiming-for-a-scrubbed-clean-look/articleshow/7376022.cms | title = Aiming for a scrubbed clean look | date = 2010-01-28| accessdate= 2010-01-28 | work=द टाइम्स औफ़ इण्डिया}}</ref><ref>{{cite web|url = http://www.downtoearth.org.in/node/13371| title = गोमती नदी मृत्यु के कग़ार पर| date = 2003-08-31|accessdate = 2012-04-11|work=सैंटर फ़ौर साइंस ऍण्ड ऍन्वायरैन्मैण्ट}}</ref>
=== गोमती में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं: ===
=== गोमती में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं: ===
* औद्योगिक कचरे और चीनी कारखानों और मद्यनिष्कर्षशालाओं से प्रवाह।
* औद्योगिक कचरे और चीनी कारखानों और मद्यनिष्कर्षशालाओं से प्रवाह।

07:52, 25 जून 2019 का अवतरण

गोमती उत्तर भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। इसका उदगम पीलीभीत जिले में माधोटान्डा के पास होता है। इस नदी का बहाव उत्तर प्रदेश में ९०० कि.मी. तक है। यह वाराणसी के निकट सैदपुर के पास कैथी नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती हैI पुराणों के अनुसार गोमती ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री हैं तथा एकादशी को इस नदी में स्नान करने से संपूर्ण पाप धुल जाते हैं। हिन्दू ग्रन्थ श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार गोमती भारत की उन पवित्र नदियों में से है जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हैं। पौराणिक मान्यता ये भी है कि रावण वध के पश्चात "ब्रह्महत्या" के पाप से मुक्ति पाने के लिये भगवान श्री राम ने भी अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार इसी पवित्र पावन आदि-गंगा गोमती नदी में स्नान किया था एवं अपने धनुष को भी यहीं पर धोया था और स्वयं को ब्राह्मण की हत्या के पाप से मुक्त किया था, आज यह स्थान सुल्तानपुर जिले की लम्भुआ तहसील में स्थित है एवं धोपाप नाम से सुविख्यात है। लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति गंगा दशहरा के अवसर पर यहां स्नान करता है, उसके सभी पाप आदिगंगा गोमती नदी में धुल जाते हैं।

सम्पूर्ण अवध में गोमती तट पर स्थित "धोपाप" के महत्व को कुछ इस तरह से समझाया गया है:--

ग्रहणे काशी, मकरे प्रयाग। चैत्र नवमी अयोध्या, दशहरा धोपाप।।

अर्थात् अगर वर्ष भर में ग्रहण का स्नान काशी में, मकर संक्रान्ति स्नान प्रयाग में, चैत्र मास नवमी तिथि का स्नान अयोध्या में और ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशहरा तिथि का स्नान "धोपाप" में कर लिया जाय तो अन्य किसी जगह जाने की आवश्यकता ही नहीं है। बस इतने मात्र से ही मनुष्य को सीधे बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है...!![1]

उद्गम

इसका उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कसबे में होता है। माधोटान्डा पीलीभीत से लगभग ३० कि.मी. पूर्व में स्थित है। कस्बे के मध्य से करीब १ कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में फुलहर झील है जिसे "पन्गैली फुल्हर ताल" या "गोमत ताल" कहते हैं, वही इस नदी का स्रोत्र है। इस ताल से यह नदी मात्र एक पतली धारा की तरह बहती है। इसके उपरान्त लगभग २० कि.मी. के सफ़र के बाद इससे एक सहायक नदी "गैहाई" मिलती है। लगभग १०० कि. मी. के सफ़र के पश्चात यह लखीमपुर खीरी जनपद की मोहम्मदी खीरी तहसील पहुँचती है जहां इसमें सहायक नदियाँ जैसे सुखेता, छोहा तथा आंध्र छोहा मिलती हैं और इसके बाद यह एक पूर्ण नदी का रूप ले लेती है। गोमती और गंगा के संगम में प्रसिद्ध मार्कण्डेय महादेव मंदिर स्थित है। लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर और जौनपुर गोमती के किनारे पर स्थित हैं और इसके जलग्रहण क्षेत्र में स्थित 15 शहर में से सबसे प्रमुख हैं। नदी जौनपुर शहर को एवं सुल्तानपुर जिले को लगभग दो बराबर भागों में विभाजित करती है और जौनपुर में व्यापक हो जाती है।

नदी की लम्बाई (किलोमीटर मे)

लखनऊ में गोमती

गोमती नदी की लंबाई उद्गम से लेकर गंगा में समावेश तक लगभग ९०० कि.मी. है। गंगा और गोमती के संगम पर मार्कंडेय महादेव जी का मंदिर है। गोमती के किनारे जो नगर बसे हैं, उनमें लखनऊ, सुल्तानपुर, तथा जौनपुर प्रमुख हैं।

प्रदूषण

आईटीआरसी के शोधपत्र के मुताबिक चीनी मिलों और शराब के कारखानों के कचरे के कारण यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। गोमती में जो कुछ पहुंचता है वह पानी नहीं बल्कि औद्योगिक कचरा होता है। सरकार भी मानती है कि गोमती में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इतना ही नहीं यूपी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी ने तो इस नदी में प्रदूषण को लेकर सबसे कठोर टिप्पणी की थी। कमेटी ने इस नदी के प्रदूषण के लिए यूपी के मुख्य सचिव से लेकर सभी बड़े अफसरों को इसके लिए कसूरवार बताया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गोमती की हालत ऐसी हो गई है कि इसमें डुबकी लगाने से लेकर इसके किनारों पर टहलने तक से परहेज करने की जरूरत है। इस कमेटी ने नदी के आस पास की जगह को बेहद प्रदूषित करार देते हुए नदी के 150 मीटर के दायरे में किसी तरह के निर्माण कार्य नहीं होने देने की ताकीद की थी। इस सिलसिले में नदी के किनारे बसे 11 जिलों के डीएम को इस कमेटी ने नोटिस जारी कर कहा था वे जितनी जल्द हो सके इसे प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी इंतजाम करें। इसके साथ ही अनुपालन गारंटी के रूप में प्रदेश सरकार से 100 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए एनजीटी से सिफारिश की गई। [2][3]

गोमती में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं:

  • औद्योगिक कचरे और चीनी कारखानों और मद्यनिष्कर्षशालाओं से प्रवाह।
  • घरेलू कचरे और बस्तियों से पानी सीवेज।

अपवाह तन्त्र

सहायक नदियां

  • सई
  • कथिना
  • सरायन
  • छोहा
  • सुखेता

सन्दर्भ

  1. "Bhaktivedanta VedaBase: Srimad Bhagavatam 5.19.17-18". 2010-01-04. अभिगमन तिथि 2010-01-04.
  2. "Aiming for a scrubbed clean look". द टाइम्स औफ़ इण्डिया. 2010-01-28. अभिगमन तिथि 2010-01-28.
  3. "गोमती नदी मृत्यु के कग़ार पर". सैंटर फ़ौर साइंस ऍण्ड ऍन्वायरैन्मैण्ट. 2003-08-31. अभिगमन तिथि 2012-04-11.