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तिरुवनन्तपुरम

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तिरुवनन्तपुरम
തിരുവനന്തപുരം
ट्रिवानड्रम
Thiruvananthapuram
ऊपर से दक्षिणावर्त: कुलातूर का दृश्य, पद्मनाभस्वामी मंदिर, नियमसभा मन्दिरम, पूर्व दुर्ग, टेक्नोपार्क ट्रिवानड्रम, कनककुन्नु महल, केन्द्रीय तिरुवनन्तपुरम, कोवलम बालूतट (बीच)
ऊपर से दक्षिणावर्त: कुलातूर का दृश्य, पद्मनाभस्वामी मंदिर, नियमसभा मन्दिरम, पूर्व दुर्ग, टेक्नोपार्क ट्रिवानड्रम, कनककुन्नु महल, केन्द्रीय तिरुवनन्तपुरम, कोवलम बालूतट (बीच)
तिरुवनन्तपुरम is located in केरल
तिरुवनन्तपुरम
तिरुवनन्तपुरम
केरल में स्थिति
निर्देशांक: 8°29′N 76°57′E / 8.49°N 76.95°E / 8.49; 76.95निर्देशांक: 8°29′N 76°57′E / 8.49°N 76.95°E / 8.49; 76.95
देश भारत
प्रान्तकेरल
ज़िलातिरुवनन्तपुरम ज़िला
क्षेत्रफल
 • शहर214 किमी2 (83 वर्गमील)
 • महानगर[1]311 किमी2 (120 वर्गमील)
ऊँचाई10 मी (30 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • शहर9,57,730
 • महानगर16,87,406
भाषा
 • प्रचलितमलयालम
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड695 XXX
वेबसाइटtrivandrum.nic.in

तिरुवनन्तपुरम (तिरु-अनन्तपुरम) या त्रिवेंद्रम भारत के केरल राज्य का सबसे बड़ा नगर और राजधानी है। यह तिरुवनन्तपुरम ज़िले का मुख्यालय भी है। केरल की राजनीति के अलावा शैक्षणिक व्यवस्था का केन्द्र भी यही है। कई शैक्षणिक संस्थानों में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र कुछ प्रसिद्ध नामों में से हैं। भारत की मुख्य भूमि के सुदूर दक्षिणी पश्चिमी तट पर बसे इस नगर को महात्मा गांधी ने "भारत का नित हरा नगर" की संज्ञा दी थी।[2][3]

पोनमुदी पर्वत

तिरुवनन्तपुरम का सन्धि विच्छेद है: तिरु +अनन्त +पुरम्

"तिरु" एक दक्षिण भारतीय आदरसूचक आद्याक्षर और संस्कृत के "श्री" का रूप है, जैसे कि तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तिरुवल्लुवर। इसका संस्कृत समानान्तर "श्री" है, जैसे कि श्रीमान, श्रीकाकुलम्, श्रीनगर, श्रीविष्णु इत्यादि। "अनन्त" भगवान अनन्त के लिए हैं तथा संस्कृत शब्द "पुरम" का अर्थ है घर, वासस्थान। तिरुवनन्तपुरम का शाब्दिक अर्थ होता है "भगवान अनन्त का वासस्थान"। भगवान अनन्त, हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, शेषनाग हैं जिनपर भगवान विष्णु विराजते हैं। यहां का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, जहां भगवान विष्णु शेषनाग जी पर आराम की मुद्रा में बैठे हैं, नगर की पहचान बन गया है। ब्रिटिश शासन के पर्यन्त इसे ट्रिवानड्रम के नाम से भी जाना जाता था। १९९१ में राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर तिरुवनन्तपुरम कर दिया। यद्यपि अब भी ट्रिवानड्रम नाम बहुत प्रयुक्त होता है।

हिन्दी वर्तनी

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हिन्दी में इसे इन वर्तनियों में भी लिखा जाता है - तिरुवनन्तपुरम या ट्रिवानड्रम। हिन्दी (तथा अन्य भारतीय भाषाओं) में सन्धि के अनुसार तिरु+अनन्त = तिरुवनन्त। इसलिए इसे तिरुवनन्तपुरम लिखते हैं। हलन्त (्) लगाने का कारण उच्चारण है। हिन्दी (तथा उत्तर भारतीय भाषाओं) में, अन्तिम अक्षर में, बिना लिखे हलन्त होने का प्रचलन है। हमें शब्द के अन्त में हलन्त लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि ये माना हुआ होता है कि शब्द के अन्त में एक हलन्त लगा होता है। परन्तु दक्षिण भारतीय भाषाओं में हलन्त लगाना पड़ता है। अतः तिरुवनन्तपुरम के नाम का यदि मलयालम से लिप्यन्तरित किया जाए तो यह तिरुवनन्तपुरम होता है। हिन्दी में हलन्त लगाने की आवश्यक्ता तो नहीं है पर चुंकि ये नाम दक्षिण भारतीय है इसलिए इसमें हलन्त लगा लिया जाता है। दक्षिण भारतीय भाषाओं में के ध्वनि को अंग्रेज़ी में Th से लिखा जाता है, क्योंकि इसे T लिखने से (जो उत्तर भारत में किया जाता है), की ध्वनि के साथ विभेद नहीं हो पाता है। पर कई लोग इस अंग्रेज़ी के शब्द का हिन्दी में लिप्यन्तरित करते समय इसे "थिर्वनन्तपुरम" लिखते है परन्तु यह अनुचित है।

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम को त्रिवेंद्रम के नाम से भी पुकारा जाता है। देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर इस शहर को महात्मा गांधी ने नित हरा नगर की संज्ञा दी थी। इस नगर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। तिरुवनंतपुरम, एक प्राचीन नगर है जिसका इतिहास १००० ईसा पूर्व से शुरू होता है। त्रावणकोर के संस्थापक मार्त्ताण्डवर्म्म ने तिरुवनंतपुरम को अपनी राजधानी बनाया जो उनकी मृत्यु के बाद भी बनी रही। स्वतन्त्रता के बाद यह त्रावणकोर- कोचीन की राजधानी बनी। १९५६ में केरल राज्य के बनने के बाद से यह केरल की राजधानी है। पश्चिमी घाट पर स्थित यह नगर प्राचीन काल से ही एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है। तिरुवनंतपुरम की सबसे बड़ी पहचान श्री पद्मनाभस्वामी का मंदिर है जो लगभग २००० साल पुराना है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से यह नगर एक प्रमुख पर्यटक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और शोभायमान तटों से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक यहां खीचें चले आते हैं।

भौगोलिक दशा

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तिरुवनंतपुरम भारत के केरल राज्य के दक्षिण-पश्चिमी तट पर 8°30′N 76°54′E / 8.5°N 76.9°E / 8.5; 76.9 पर स्थित है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से १६ फीट है, एवं इसका क्षेत्रफल अरब सागर एवं पश्चिमी घाट के बीच २५० वर्ग कि॰मी॰ है

नगर का जलवायु उष्णकटिबंधीय सवाना जलवायु और उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु के बीच है। नतीजतन, यह विभिन्न ऋतुओं का अनुभव नहीं करता है। माध्य अधिकतम तापमान ३४ ° C (९३ ° F) और न्यूनतम तापमान २१ ° C (७० ° F) है। वर्षाऋतु में आर्द्रता अधिक होती है और लगभग 90% तक बढ़ जाती है।

तिरुवनंतपुरम
जलवायु सारणी (व्याख्या)
माजूजुसिदि
 
 
26
 
29
23
 
 
21
 
29
23
 
 
33
 
31
24
 
 
125
 
31
25
 
 
202
 
29
24
 
 
306
 
28
24
 
 
175
 
28
24
 
 
152
 
28
24
 
 
179
 
29
24
 
 
223
 
29
24
 
 
206
 
29
24
 
 
65
 
29
23
औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान (°से.)
कुल वर्षा (मि.मी)
स्रोत: Weather Underground

मुख्य आकर्षण

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श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर

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यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल है। पूर्वी दुर्ग के अंदर स्थित इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जिसकी अनुभूति इसका सात मंजिला गोपुरम देखकर हो जाता है। केरल और द्रवि‍ड़ियन वास्तुशिल्प में निर्मित यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। पद्मा तीर्थम, पवित्र कुंड, कुलशेखर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। २६० वर्ष पुराने इस मंदिर में केवल हिंदु ही प्रवेश कर सकते हैं। पुरुष केवल श्वेत धोती पहन कर यहां आ सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर राजसी परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में दो वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं- एक पंकुनी के महीने (१५ मार्च - १४ अप्रैल) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने (अक्टूबर-नवंबर) में। इन समारोहों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

तिरुवनंतपुरम वेधशाला

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यह वेधशाला तिरुवनंतपुरम के संग्रहालय परिसर में स्थित है। महाराजा स्वाति तिरुनाल ने १८३७ में इसका निर्माण करवाया था। यह भारत की सबसे पुरानी वेधशालाओं में से एक है। यहां आप अंतरिक्ष से सम्बन्धित सारी जानकारी प्राप्‍त कर सकते है। पहाड़ी के सामने एक अतिसुन्दर उद्यान है जहां गुलाब के फूलों का अत्योत्तम संग्रह है। वर्तमान में इसकी पर्यवेक्षण भौतिकी विभाग, केरल विश्वविद्यालय द्वारा की जाती है।

चिड़ियाघर

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विज़िंजम पत्तन

पी.एम.जी. संगम के पास स्थित यह चिड़ियाघर भारत का दूसरा सबसे पुराना चिड़ियाघर है। ५५ एकड़ में फैला यह जैविक उद्यान वनस्पति उद्यान का भाग है। इसका निर्माण १८५७ ई. में त्रावणकोर के महाराजा द्वारा बनाए गए संग्रहालय के एक भाग के रूप में हुआ था। यहां देशी-विदेशी वनस्पति और जंतुओं का संग्रह है। यहां आने पर ऐसा लगता है जैसे कि नगर के बीचों बीच एक वन बसा हो। रैप्टाइल हाउस में सांपों की अनेक प्रजातियां रखी गई हैं। इस चिड़ियाघर में नीलगिरी लंगूर, भारतीय गैंडा, एशियाई सिम्ह और राजसी बंगाल व्याघ्र भी आपको दिख जाएगें।

समय: सुबह १० से शाम ५ बजे तक, सोमवार को बंद

वाइजिनजाम

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चंद्रशेखर नैयर फुटबॉल स्टेडियम

तिरुवनंतपुरम से17 किलोमीटर दूर वाइजिनजाम मछुआरों का गांव है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा और बीच रिजॉर्ट के लिए प्रसिद्ध है। वाइजिनजाम का एक अन्य आकर्षण चट्टान को काट कर बनाई गई गुफा है जहां विनंधरा दक्षिणमूर्ति का एक मंदिर है। इस मंदिर में 18वीं शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनाई गई प्रतिमाएं रखी गई हैं। मंदिर के बाहर भगवान शिव और देवी पार्वती की अर्धनिर्मित प्रतिमा स्थापित है। वाइजिनजाम में मैरीन एक्वैरियम भी है जहां रंगबिरंगी और आकर्षक मछलियां जैसे क्लाउन फिश, स्क्विरिल फिश, लायन फिश, बटरफ्लाइ फिश, ट्रिगर फिश रखी गई हैं। इसके अलावा आप यहां सर्जिअन फिश और शार्क जैसी शिकारी मछलियां भी देख सकते हैं।

कनककुन्नु महल

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नेपिअर संग्रहालय से 800 मी. उत्तर पूर्व में स्थित यह महल केरल सरकार से संबंद्ध है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर बने इस महल का निर्माण श्री मूलम तिरुनल राजा के शासन काल में हुआ था। इस महल की आंतरिक सजावट के लिए खूबसूरत दीपदानों और शाही फर्नीचर का प्रयोग किया गया है। यहां स्थित निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम और सूर्यकांति ओडिटोरिअम में अनेक सांस्कृतिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पर्यटन विभाग निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम में प्रतिवर्ष अखिल भारतीय नृत्योत्सव का आयोजन करता है। इस दौरान जानेमाने कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।

नेपियर संग्रहालय

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लकड़ी से बनी यह आकर्षक इमारत शहर के उत्तर में म्यूजियम रोड पर स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसका निर्माण 1855 में हुआ था। मद्रास के गवर्नर लॉर्ड चाल्र्स नेपियर के नाम पर इस संग्रहालय का नाम रखा गया है। यहां शिल्प शास्त्र के अनुसार 8वीं-18वीं शताब्दी के दौरान कांसे से बनाई गई शिव, विष्णु, पार्वती और लक्ष्मी की प्रतिमाएं भी प्रदर्शित की गई हैं।

चाचा नेहरु बाल संग्रहालय

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यह बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। इसकी स्थापना 1980 में की गई थी। यह सिटी सेंट्रल बस स्टेशन से 1 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस संग्रहालय में विभिन्न परिधानों में सजी 2000 आकृतियां रखी गई हैं। यहां हेल्थ एजुकेशन डिस्प्ले, एक छोटा एक्वेरिअम और मलयालम में प्रकाशित पहली बाल साहित्य की प्रति भी प्रदर्शित की गई है।

शंखुमुखम बीच

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यह बीच शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। इसके पास ही तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा है। इंडोर मनोरंजन क्लब, चाचा नेहरु ट्रैफिक ट्रैनिंग पार्क, मत्सय कन्यक और स्टार फिश के आकार का रेस्टोरेंट यहां के मुख्य आकर्षण हैं। नाव चलाते सैकड़ों मछुवारे और सूर्यास्त का नजारा यहां बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। मंदिरों में होने वाले उत्सवों के समय इस बीच पर भगवान की प्रतिमाओं को पवित्र स्नान कराया जाता है।

कोवलम बीच

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तिरुवनन्तपुरम के पास रेह्नेवाली कोवलम बीच्

तिरुवनंतपुरम से 16 किलोमीटर दूर स्थित कोवलम बीच केरल का एक प्रमुख पर्यटक केंद्र है। रेतीले तटों पर नारियल के पेड़ों और खूबसूरत लैगून से सजे ये बीच पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह विश्व के सबसे अच्छे तटों में से एक है। कोवलम के तटों पर अनेक रेस्टोरेंट हैं जिनमें आपको सी फूड मिल जाएगें।

आट्टुकाल देवी का मंदिर

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सचिवालय, केरल सरकार
कौडियार मार्ग, महल को जाती सड़क
तिरुअनन्तपुरम सार्वजनिक पुस्तकालय

अट्टुकल पोंगल महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। यह उत्सव तिरुवनंतपुरम से 2 किलोमीटर दूर देवी के प्राचीन मंदिर में मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले पोंगल उत्सव की शुरुआत मलयालम माह मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के भरानी दिवस (कार्तिक चंद्र) को होती है। पोंगल एक प्रकार का व्यंजन है जिसे गुड़, नारियल और केले के निश्चित मात्रा को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह देवी का पसंदीदा पकवान है। धार्मिक कार्य प्रात:काल ही शुरू हो जाते हैं और दोपहर तक चढ़ावा तैयार कर दिया जाता है। पोंगल के दौरान पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है। मुख्य पुजारी देवी की तलवार हाथों में लेकर मंदिर प्रांगण में घूमता है और भक्तों पर पवित्र जल और पुष्प वर्षा करता है।

निकटवर्ती दर्शनीय स्थल

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अगस्त्यकूडम

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ऐसा माना जाता है कि यह त्रृषि अगस्त्य का निवास स्थान था। समुद्रतल से 1890 मी. ऊपर स्थित यह जगह केरल का दूसरा सबसे ऊंचा स्‍थान है। सहाद्री पर्वत शृंखला का हिस्सा अगस्त्यकूडम के जंगल अपने यहां मिलने वाली जड़ी बूटियों और वनस्पति के लिए जाना जाता हैं। यहां मिलने वाली चिकित्सीय औषधियों की संख्या 2000 से भी ज्यादा है। वनस्पतियों के अलावा इस जंगल में हाथी, शेर, तेंदुआ, जंगली सूअर, जंगली बिल्ली और धब्बेदार हिरन जैसे जानवर भी मिलते हैं। 1992 में 23 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को अगस्त्य वन को बायोलॉजिकल पार्क बना दिया गया था। ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य इस स्थान का शैक्षणिक प्रयोग करना था। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह स्थान उपयुक्त है। इसके लिए दिसंबर से अप्रैल के बीच यहां आ सकते हैं।

नेय्यर वन्यजीव अभयारण्य और नेय्यर बांध

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तिरुवनंतपुरम से 30 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह पश्चिमी घाट पर स्थित है। यहां की झील और बांध पर्यटकों को बहुत लुभाते हैं। अभयारण्य की स्थापना 1958 में की गई थी। इसका क्षेत्रफल 123 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह अभयारण्य नेन्नयर, मुल्लयर और कल्लर नदियों के प्रवाह क्षेत्र में आता है। वॉच टावर, क्रोकोडाइल फार्म, लायन सफारी पार्क और डियर पार्क यहां के मुख्य आकर्षण हैं। यहां से पहाड़ों का बहुत ही सुंदर नजारा दिखाई देता है। वन्य जीवों की बात करें तो गौर, भालू, जंगली बिल्ली और नीलगिरी लंगूर यहां पाए जाते हैं। यहां ट्रैकिंग और बोटिंग की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

वायु

तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के लिए चैन्नई, दिल्ली, गोवा, मुंबई से उड़ाने जाती हैं।

रेल

मैंगलोर, अर्नाकुलम, बैंगलोर, चैन्नई, दिल्ली, गोवा, मुंबई, कन्याकुमारी और अन्य नगरों से यहां के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं। त्रिशूर के प्रतिदिन लगभग सात रेलगाड़ियां यहां आती हैं। कोल्लम और कोच्चि से भी प्रतिदिन यहां रेलगाडी आती है।

मार्ग

कोच्चि, चैन्नई, मदुरै, बैंगलोर और कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम के लिए बसें चलती हैं। लंबी दूरी की बसें केन्द्र बस थाना (केएसआरटीसी, तिरुवनंतपुरम बस अड्डा) से जाती हैं।

आकर्षक उत्पाद

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खरीदारी उत्साहकों के लिए तिरुवनंतपुरम उत्तम जगह है। यहां ऐसी अनेक सामान मिलती हैं जो कोई भी व्यक्ति अपने साथ ले जाना चाहेगा। केरल का हस्तशिल्प पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां से पारंपरिक हस्तशिल्प जैसे तांबे का सामान, बांस का उपस्कर लिया जा सकता हैं। कथककली के मुखौटे और पारंपरिक परिधान अनेक दुकानों पर मिलते हैं। सरकारी दुकानों के अलावा चलाई बाजार, कोन्नेमारा मार्केट, पावन हाउस रोड के पास की दुकानें और एम.जी.रोड, अट्टुकल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (पूर्वी किला), नर्मदा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (कोडियार) से भी खरीदारी की जा सकती है। अधिकतर दुकानें सवेरा 9 बजे-रात 8 बजे तक तथा सोमवार से शनिवार तक खुली रहती हैं।

ट्रिवानड्रम के हर प्रमुख मार्ग के कोने पर चाय और पान की दुकानें मिल जाएंगी। केले के चिप्स यहां की विशेषता है। स्वादिष्ट केले के चिप्स के लिए कैथामुक्कु या वाईडब्ल्यूसीए रोड, ब्रिटिश पुस्तकालय के पास जा सकते हैं। यहां ताजे और अच्छे चिप्स मिलते हैं। ट्रिवानड्रम में ऐसे कई जलपान गृह भी हैं जो उत्तर भारतीय भोजन परोसते है। यहां नारियल के तेल का प्रयोग प्राय: हर व्यंजन में होता है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

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इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. "Demographia World Urban Areas" (PDF). demographia.com. मूल से 5 August 2011 को पुरालेखित (PDF).
  2. "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
  3. "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894